मनोहर सीरवी (राठौड़) जनासनी-साँगावास (मैसूरु)
मैसूरु के एक किराणा व्यवसायी मनोहर सीरवी का मानना है की जिस स्त्री का ध्यान मायके की तरफ विशेष हो समझ जाएं उस परिवार में महाभारत निश्चित है। बहुत लोगो का ये तक मानना है कि ज्यादातर तलाक का कारण भी लड़की के माता-पिता होते हैं। पर ये कहाँ तक सही है। मेरा मानना है कि लड़की के माँ बाप हो या लड़के के माँ बाप हो दोनो के अनावश्यक दखलअंदाजी के कारण घर बर्बाद होता है। ससुराल भी लड़की की मायके की तरह बन जाये तो महाभारत की नौबत ही नहीं आएगी। हर बात पर बेटे को बहकाना उसके कान भरना आज बहु ने मेरे साथ ऐसा किया। पति के जीवन मे भी अगर उसकी माँ की ज्यादा भूमिका होती है तो वो घर बिखर जाता है। सास हमेशा अपने बेटे बहु को अलग करने की कोशिश में लगी रहे । अगर सास अपनी बहू के साथ अच्छा व्यवहार करे तो बहू भी ऐसा ही करेगी। अगर ससुराल वाले हर बात पर बहु को टोके नही उसे खुलकर अपने तरीके से जीने दे । शादी के शुरुआत में पति पत्नी को एक दूसरे को समझने में समय लगता है पर सास का हर बात में दखल अंदाजी करना ये बहु को अच्छा नही लगता । और ज्यादातर सास को तो ये डर होता है कि कहीं मेरा बेटा जोरू का गुलाम न बन ज..
मायड़ भाषा रा हैताळू
जन्म_क्या_है?
किसी ने खूब कहा कि एक क्रांति की शुरुआत खुद के घर से होती हैं खुद से होती हैं । चलो सबसे पहले मैं ही बहिष्कार करता हूं
संस्कृति की सौरभ---
जब हम किसी और से संपर्क साधते हैं तो इस बात की आशा करते हैं कि वह अच्छा आचरण करें। यह जरूरी नहीं कि मुक्के का जवाब मुक्का ही हो। अच्छा आचरण वह है जिसमें बुरी स्थितियों को अच्छे एवं सुन्दर तरीके से पेश किया जाए। दूसरों से हम कैसा व्यवहार करते हैं चाहे स्थिति विपरीत ही क्यों न हो, हमें उत्तेजित या शान्त, भ्रष्ट या ईमानदार, बर्बर या सभ्य बना सकता है। अच्छी आदतें, अच्छे मित्रों की तरह होती हैं जो आपको ऐसी स्थिति में ले जाते हैं, अन्य गुण यदि आपका आचरण अच्छा है यह तुरन्त दृष्टिगोचर हो जाता है। सभ्य होने का कोई मूल्य नहीं चुकाना पड़ता अलबत्ता यह आपको कुछ प्राप्त करवाता है। यह बात श्ांका से परे है कि हम सभी में किसी न किसी गुण की कमी होती है, और इसी कारण ज्ञान का गुणगान करते हैं और इसके महत्व को समझते हैं। सद्गुणों की सबसे मौलिक बात जो हम सभी नहीं अपनाते हैं वह है इसका निरन्तर अभ्यास करना। इन सद्गुणों से ही हम यह सुनिश्चित कर सकते हैं कि हर चीज सही ढंग से हो और हमें दूसरों की राय भी मिले। दयालुता एवं दूसरों के बारे में सोचने जैसे सद्गुणों को छोड़कर उस चीज में लगातार ..
रिश्तों के तानेबाने की मजबूत डोर 'परिवार'
सब कुछ बदल गया
क्या जीवन में जरुरी है गंभीरता ?