सीरवी समाज - मनोहर सीरवी (राठौड) जनासनी-साँगावास (मैसूरु) संपादक : सीरवी समाज डॉट कॉम - ब्लॉग

Result : 1 - 15 of 30   Total 2 pages
Posted By : Posted By Raju Seervi on 10 Mar 2023, 13:06:21
आज आपा बात कर रियां हाँ.. घर जेडों सुख कठैई नहीं : सीरवी
राम राम सा आज आपा बात कर रियां हाँ.. घर जेडों सुख कठैई नहीं...हुकुम मनुष्य चाहे संसार रे किन्ही भी कोने में घूम ले, मौज-मस्ती कर ले, स्वर्ग जेड़ो आनन्द भोग ले पर सुख उने अपणे घर में आने ही मिले। घर सूं दूर यदि चलो भी जावे तो थोड़े दिनों रे बाद ही अपणे घर री याद सतावण लाग जावें। उण समय मन करें कि उड़ने अपणे आशियाने में वापिस पहुँच जाऊं।
हुकुम सृष्टि रो रचयिता परमात्मा भी घर ने एक धुरी बणा दियों है। इने इर्द-गिर्द आपा गोल-गोल घूमता रेहवा। घर सूं निकलें तो दफ्तर, स्कूल वगैरह जावें पर लौटने पाछो आ जावें। शापिंग वास्तें बाजार जावें, शादी-ब्याह में सम्मिलित हवें, पार्टी करें घूमने-फिरने देश-विदेश कठे भी जावें फिर लौटने घर ही आवें। कोई मारवाड़ी ठीक कयों है कि कठे भी जाओ पर ठौर घर ही है।
घर रें सदस्यों में कितों ही मनमुटाव क्यों न हो, खूब लड़ाई-झगड़े हुवता हों, जूतम पैजार भी हुवती हो, चाहे वे एक-दूसरे रा चेहरा तक देखना पसंद नहीं करें फिर भी घर रो मोह ऐडो है जो उन्हें बाँध ने राखे... ज्यों ही शाम ढलें और रात हुवें, मन घरे भागण ..
Posted By : Posted By राजू सीरवी on 23 Feb 2023, 06:35:27
हर कर्म रो हिसाब हुवे : सीरवी

दूसरों रे सुन्दर महल देखने ईर्ष्या करणे अपने मन ने युहीं व्यथित नी करणों चाहिजे।
खम्मा घणी सा हुकुम आज आपा बात कर रियां हाँ भाग्य पर.... किन्ही व्यक्ति ने उने भाग्य सूं ज्यादा और समय सूं पहला कुछ भी नहीं मिले। यदि इण थ्योरी पर आपा विश्वास करां तो कदैई दूसरों री उन्नति और खुद री तंगहाली पर शर्मिंदगी नहीं हुवे।
हुकुम दुसरो रा महल देखनें आपा आपणी झोंपड़े ने अग्नि रे हवाले कर देंवा यां तो मूर्खता है इण वास्ते कोई सयानों बड़ी खरी कही है-
देख पराई चुपड़ी मत ललचावों जी
रूखी सुखी खाय के ठंडा पानी पी।।
यानि दूसरों रे ऐश्र्वर्य ने देखने अपणों मन नहीं ललचाणों चईजे। अपने भाग्य अथवा पुरुषार्थ सूं जो भी रुखों-सुखों मिले उने खानें और ठंडा पाणी पिने संतोष कर लेणो चहिजे।
कोई केड़ा व्यंजन खावे,? कितेई प्रकार रा सुख भोगे...? किन्हेई कने किती गाड़ियाँ हैं? किता नौकर-चाकर हैं? इण सबने अनदेखों करतों हुवों मनुष्य सदा अपणो पुरुषार्थ पर विश्वास करें। जो भी जीवन में हासिल कारणों चाहवें उने ईमानदारी सूं कौशिश करतों रेवणों चईजे। बारबार प्रय..
Posted By : Posted By Raju Seervi on 19 Feb 2023, 06:28:10
अपने आपको सीरवी कहते ही सिर गर्व से ऊँचा हो जाता है। वास्तव में ऐसा होना भी चाहिए। क्योंकि सीरवी समाज ने मानवता की सेवा में जो योगदान दिया है वह अपने-आपमें मिसाल है। मिसाल इसलिए भी कि समाज ने कभी भी अपनी समृद्धि को अपने आप तक सीमित नहीं रखा। स्वयं ने तो अपनी तीक्ष्ण बुद्धि व कार्यकुशलता से सफलता के शिखर को छुआ ही, साथ ही साथ अपनी इस सफलता का लाभ अन्य लोगों तक पहुँचाकर देश ही नहीं बल्कि विश्व के सम्पन्न वर्ग तक मानव सेवा का संदेश भी पहुँचाया हैं। वर्तमान में विश्व के कई बड़े उद्योगपति समाजसेवा में अपनी सम्पति अर्पित कर रहे हैं, तो विश्व को यह राह तो सीरवी समाज कई वर्ष पूर्व दिखा चूका था। इतना ही नहीं सीरवी समाज ने देश व मानवता को समाज सुधार की भी सदैव राह दिखाई है।

इतना सब कुछ होने के बावजूद सीरवी समाज वर्तमान में कुछ ऐसी समस्याओं से जूझ रहा है, जो वर्तमान समय की देन है। इन समस्याओं में प्रमुख है, देरी से विवाह व अंतर्जातीय विवाह। कॅरियर के चक्कर में समाज का युवा वर्ग विवाह की उचित आयु को काफी पीछे छोड़ देता है और कई बार ऐसी उम्र में भी पहुँच जाता है जहाँ वि..
Posted By : Posted By दुर्गाराम सीरवी (पंवार) on 31 Oct 2022, 14:13:28
वर्तमान समय में सीरवी समाज ने काफी तरक्की की है। अधिकांश परिवारों में भरपूर पैसा, मान-सम्मान, बच्चों का उच्च शिक्षित होना, आधुनिक सुख-सुविधाओं का होना आदि सबकुछ है। लेकिन इसके बावजूद वर्तमान में समाज की सबसे बड़ी समस्या है कि शादी की उम्र निकलते जाना, जिसकी वजह है मनमाफिक जोड़ियां का न मिलना। वह इसलिए कि हम बच्चों के माँ-बाप को तो जानते हैं लेकिन बच्चों को नहीं पहचानते। यह बात संबंध जोड़ने में हर जगह सामने आ रही है। वैसे भी आज की चकाचोंध भरी जिंदगी जीने की चाहत ने युवा पीढ़ी में शादी के महत्व को कम कर दिया है। युवा पीढ़ी अपनी मनमर्जी से बिना किसी बंधन के जीना चाहती है। परिवार बसाने को लेकर भविष्य के प्रति सोच का अभाव होता जा रहा है। युवा पीढ़ी जीवन साथी का महत्व ही समझ नहीं पा रही है। सही/गलत का स्वयं निर्णय नहीं कर पाने के कारण मनोचिकित्सकों की शरण में जा रही है। इसलिए समाज में उच्च पदों पर विराजमान पदाधिकारीगणों को भविष्य में और इस तरह की बढ़ती तकलीफों को ध्यान में रखकर परिचय सम्मेलन जैसे आयोजन की शुरुआत समय-समय पर पुरे देश में करनी चाहिए ताकि हम बच्चों को नह..
Posted By : Posted By Govind Singh Panvar
मेरे प्यारे भाइयों एवं बहनों
सादर जय श्री आई माताजी की।

बंधुओं आज मेरे ही दिमाग में नहीं किन्तु समाज के 90 प्रतिशत बंधुओं के दिमाग में एक ही प्रशन आता है कि हमारे बच्चों के विवाह के लिए किसी को बच्चे की तो किसी को बच्ची की आवश्यकता है। आज के लगभग 60 वर्ष पूर्व का समय देखे जब हमारे माँ-बाप से कितनी ही बार यह कहते हुए सूना है कि हमारी सगाई हुई थी जब मैं लगभग 15 वर्ष का था एवं तेरी माँ 13 वर्ष की थी उसके बाद हम लोगों की शादी हुई तो हमारी उम्र 18 से 21 वर्ष की हुई। अब शादी की बात करते है तो यह उम्र बढ़कर 28 से 30 वर्ष के ऊपर हो गई हैं।
हमारे माँ-बाप आज भी लालायित हैं, उनके पोत्र या पौत्री के विवाह की तैयारी को लेकर हम लालायित हैं कि कब हमारे बच्चों की शादी हो, कब नन्हा सा कन्हैया/लक्ष्मी का आगमन हो एवं हम हमारे माँ-बाप को स्वर्ण सीढ़ी जैसे कार्यक्रम करके उनकी ख़ुशी में चार चाँद लगाए। आपने कभी यह सोचा है कि इन कार्यक्रमों के पीछे क्या हेतु हैं, यह कार्यक्रम हमारे माँ-बाप तो फिर भी देख लेंगे किंतु हम लोग देख पायेंगे? इसका सटीक जवाब है, नहीं देख पायेंगे। कारण स्पष्ट हैं कि हमने बच्च..
Posted By : Posted By Raju Seervi on 22 Aug 2022, 05:43:23
सृष्टि का सृजनकर्ता ईश्वर एक है किन्तु उसके नाम अनेक हैं। मानव जाति भी एक है।  हालांट रचयिता एक ही परमात्मा की कलाकृति और भाई-भाई हैं। अपने भाइयों से द्रोह किसी भीयान में अगाकर ही है। सब मिलजुल कर भाईचारे के साथ आपसी सहयोग और सौहाद्प रो क्योकि इस धरती पर कोई गाना नहीं है। सबको चाहिए कि वे शांति से रहें और जियें तथा शान्ति से धरती के अपने भाइयों को भी जाना किसी को नहीं लूटें और किसी को किसी भी प्रकार की पीड़ा न दें। पापों का भारत बढ़ाएँ चकि पापों का प्रतिफल भोगना ही पड़ेगा। आदमी को भोजन, कुछ और निवासस्थल पूर्ण मानन्दयाम काम करने पर भी उपलब्ध हो सकते हैं। शांतिकामी लोगों को चाहिए कि वे सुखी जीवन के लिए अपव्यय और दवर्यसनों से अपने आपको अवश्य बचाये रखें। जीवन से निठल्लापन को निकाल दें और उपलब्ध समय का पूण सदुपयोग करें। घर में सबसे प्रेमपूर्वक रहें और बड़ों का आदर करें। स्वाध्याय और सत्संग के लिए रात को मान तक भी अपनी सुविधानुसार प्रतिदिन कुछ नियमित समय अवश्य निकालें। सोते समय मस्तिष्क के विचारों के सम्पूर्ण बोझ को उतार दें और ह्रदय से एकाग्र होकर ईश्वर ..
Posted By : Posted By Raju Seervi on 29 Jul 2022, 05:47:58
मेरे प्यारे भाईयों एवं बहनों
सादर जय श्री आईमाताजी की।

सीरवी समाज डॉट कॉम वेबसाइट की और से आप सभी का हार्दिक स्वागत एंव अभिनंदन है। सर्वप्रथम आप सभी सीरवी भाईयों और बहनों को स्वतंत्रता दिवस, रक्षाबंधन एवं जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनायें 
स्नेहवाहिनी, शक्तिदायिनी, मनभावनी पावन राखी में पवित्रता का प्रकाश और रूहानियत का तेज समाया हैं। सारे विश्व को भाई-भाई की भावना से जोड़ने वाले इस पर्व का स्वागत प्रकृति भी अपनी शीतल फुहारों हरीतिमा से ढकी धरती और मोर के नृत्य के साथ करती है। 
आज के समाज में होने वाले चुनाव के परिप्रेक्ष्य में सही मायने में यदि देखा जाए तो समाज में चुनाव की जगह चयन प्रक्रिया, सर्वसम्मति से की जाए तो संगठन में किसी भी तरह का गतिरोध, आपसी वैमनस्यता, मनमुटाव पैदा ही नहीं होगा।
तहसील सभाओं, जिला सभाओं, प्रदेश सभाओं, इत्यादि के चुनाव के दौरान एक बहुत ही अजीब-सी स्थिति देखने को मिलती है कि वह यह कि मुझे संगठन में यह पद चाहिए, मुझे यहां नहीं मुझे वहां जाना है, यह पद या जिम्मेदारी मुझे नहीं दी गई तो मैं देख लूंगा आदि-आदि ! इस प्रकार ..
Posted By : Posted By Raju Seervi on 18 Jul 2022, 14:28:33
आज समाज के छोटे-मध्यम परिवार के लिए लड़कों की शादी कराना बहुत मुश्किल काम हो गया : मनोहर सीरवी

समाज को गंभीरता से सोचना होगा-आज समाज के छोटे-मध्यम परिवार के लिए लड़कों की शादी कराना बहुत मुश्किल काम हो गया है। खासकर मध्यम वर्ग और छोटे शहरों के परिवारों की हालत तो बहुत दयनीय होती जा रही है। लड़के 30-32 वर्ष की उम्र पार कर जा रहे है, मगर रिश्ते आ नहीं रहे और इसके पीछे मानसिकता सिर्फ महानगरों की भौतिकता और स्वच्छद रहने की लालसा। आज हर बच्ची और उसके माता-पिता अपनी लाड़ली के लिए बड़ा शहर, अकेला लड़का और पढ़ा-लिखा तथा अच्छी नौकरी करने वाला ठिकाना ही चाहते हैं और इसके चलते लड़कियों की भी उम्र बढ़ती जा रही है और फिर कही न कही समझौता करना पड़ता है। समाज को इस समस्या के समाधान के लिए जरूर चिंतन करना होगा। ऐसा नहीं हैं कि समाज में लड़कियों की कमी है, मगर समस्या यही है कि लड़की वालों की अपेक्षाएं बहुत ज्यादा बढ़ गयी हैं। वह यह नहीं समझ रहे कि कल यही समस्या उनके घर के लड़कों को भी आनी है और हर परिवार बड़े शहर जाकर तो नहीं बस सकता और जब कोई परिवार अपने पुश्तैनी गाँव में अच्छा खासा धंधा कर र..
Posted By : Posted By Raju Seervi on 17 Jul 2022, 07:22:55
पारिवारिक रिश्ते बचाने एवं सम्बन्ध मजबूत करने के लिए जरुरी विचार योग्य पहल। बेटी के ससुराल में बेटी के माता-पिता को सामान्य रूप से हस्तक्षेप नहीं करना चाहिये। जिससे  प्रत्येक व्यक्ति को अपनी स्वतंत्रता से जीने का अधिकार है, उसी प्रकार प्रत्येक परिवार को भी अपने घर में अपनी इच्छा से जीने का अधिकार हैं। जैसे एक व्यक्ति को दूसरे व्यक्ति के व्यक्तिगत जीवन में हस्तक्षेप करने का अधिकार नहीं है। उसी प्रकार से एक परिवार को दूसरे परिवार की परम्पराओं में भी हस्तक्षेप करने का अधिकार नहीं है। 
एक ही परिवार में बाप और बेटा दोनों 100% एक समान जीवन नहीं जी सकते क्योंकि दोनों के अपने संस्कार अलग-अलग हैं, रुचि अलग-अलग हैं, इसलिए वे अपने रूचि एवं संस्कार के हिसाब से अपना-अपना जीवन जीते हैं। इसी प्रकार से हर परिवार के संस्कार भी अलग-अलग हैं। अतः एक परिवार को दूसरे परिवार की परम्पराओं में हस्तक्षेप करने का अधिकार नहीं है। 
बेटी, शादी के बाद ससुराल गई। माता-पिता ने वर्षों तक जिस बेटी को पाल-पास कर बड़ा किया हो, उनको उस बेटी से राग-मोह होना तो स्वाभाविक है।  अब माता-पिता..
Posted By : Posted By Raju Seervi on 10 Jul 2022, 00:48:24
व्यक्ति की पहचान

आज के इस आधुनिक युग में कौन व्यक्ति कैसा है, यह पता चलना तो कठिन बात है किन्तु उस व्यक्ति का व्यवहार जिस रूपमें सामने आता हैं, उसके आधार पर व्यक्ति को पहचाना जा सकता हैं। हमारी पहचान का सबसे बड़ा साधन है व्यवहार। हम बाहरी जगत में कैसे प्रकट होते हैं? हमारा आचरण कैसा है? हमारी अभिव्यक्ति कैसी है? हम दूसरों के प्रति पदार्थ के प्रति, व्यक्ति के प्रति कैसा व्यवहार करते हैं? उस व्यवहार में हमारा पूरा व्यक्तित्व झलक जाता हैं। प्रसिद्ध दार्शनिक अरस्तु ने सटीक कहा है - अच्छी शुरुआत से आधा काम हो जाता है। एक आदमी बगीचे के अन्दर चल रहा है और जगह-जगह गन्दगी फैलाता चल रहा है। फूलों को तोड़ रहा है। बिना मतलब पेड़-पौधों, वनस्पति सबको खराब कर रहा है। वहीँ दूसरी और एक व्यक्ति ऐसा भी है जो प्रातः काल घूमता है और उसे जहाँ कहीं कुछ पड़ा दिखाई देता हैं, वह उसे उठाकर मुख्यमार्ग से दूर रख देता है। दो व्यक्ति हैं और दोनों का आचरण भिन्न है। इससे पता चलता है कि व्यक्ति के अंतर्मन में केसी जागरूकता है, और यह व्यक्ति कैसा है। दार्शनिक विलियम शेक्सपियर ने मनुष्य की चेत..
Posted By : Posted By Manohar Seervi on 22 Apr 2022, 14:46:20
नमस्कार

आशा है आप अच्छा कर रहे हैं अपने - अपने क्षेत्र में । परन्तु अच्छा करते-करते अचानक हम उदास हो जाते है क्योंकि हम तुलना कर बैठते हैं। हम जानते हैं कि विश्व के सारे मस्तिष्क एक दूसरे से बिल्कुल अलग अलग हैं। फिर भी हम तुलना कर बैठते है कि फलाँ-फलाँ हमसे बेहतर है और अपने आप को दुखी कर लेते हैं। जो दूसरा बहोत अच्छे से कर सकता है हम अच्छे से नहीं कर पाते हैं और जो हम अच्छे से कर लेते हैं वो दूसरा अच्छे से नहीं कर पाता है। अधिक राम के कंप्यूटर की तुलना क्या कम राम के कंप्यूटर से की जा सकती है? क्या कम C C की गाड़ी अधिक C C की गाड़ी से की जा सकती है? बिल्कुल नहीं! तुलना तो बिल्कुल भी नहीं की जा सकती है। हाँ दोनों को अपनी अपनी जगह पूरा माना जा सकता है। इतनी बात बस ध्यान देने कि भौतिक चीजों की क्षमता निश्चित होती है और इसे बढ़ाया नहीं जा सकता है जबकि हम अपनी क्षमताओं को अभ्यास द्वारा थोड़ा-थोड़ा करके बढ़ा सकते हैं। हो सकता है आपका अभ्यास इतना निरन्तर हो की आपकी क्षमता पहले से दुगुनी या तिगुनी या चौगुनी बढ़ जाये पर यह आपकी खुद की क्षमता से बढ़ी हुई है। इस अधिक हुई क्षमता की तुलन..
Posted By : Posted By Raju Seervi on 09 Feb 2022, 07:33:06
माता पिता की अति महत्वाकांक्षा से 27-28-32 उम्र से अदिक की कुंवारी लड़कियां घर बैठी हैं। अगर अभी भी माँ-बाप नहीं जागे तो स्थितियाँ और विस्फोटक हो सकती है। हमारा समाज आज  बच्चों के  विवाह को लेकर इतना सजग हो गया है कि आपस में रिश्ते ही नहीं हो पा रहे हैं। समाज में आज 27-28-32 उम्र तक की बहुत सी कुँवारी लड़कियाँ घर बैठी है, क्योंकि इनके सपने हैसियत से भी बहुत ज्यादा है इस प्रकार के कई उदाहरण है। ऐसे लोगों के कारण समाज की छवि बहुत ख़राब हो रही है। सबसे बड़ा मानव सुख, सुखी वैवाहिक जीवन होता है। पैसा भी आवश्यक है, लेकिन कुछ हद तक। पैसे की वजह से अच्छे रिश्ते ठुकराना गलत है। पहली प्राथमिकता सुखी संसार व् अच्छा घर-परिवार होना चाहिये। ज्यादा धन के चक्कर में अच्छे रिश्तों को नजर-अंदाज करना गलत है। सपंति खरीदी जा सकती  है लेकिन गुण नहीं। मेरा मानना है कि घर-परिवार और लड़का अच्छा देखें लेकिन ज्यादा के चक्कर में अच्छे रिश्तें हाथ से नहीं जाने दें। सुखी वैवाहिक जीवन जियें। 30 की उम्र के बाद विवाह नहीं होता, समझौता होता है और मेडिकल स्थिति से भी देखा जाए तो उसमें बहुत सी समस्याएँ उत्तप..
Posted By : Posted By गोविन्द सिंह पंवार on 02 Nov 2021, 01:49:13
मेरे प्यारे भाईयों एवं बहनों
सादर जय श्री आईमाताजी की।

सीरवी समाज डॉट कॉम वेबसाइट की और से आप सभी का हार्दिक स्वागत एंव अभिनंदन है। सर्वप्रथम आप सभी सीरवी भाईयों और बहनों को दीपावली एवं भाई दूज की हार्दिक शुभकामनायें देते हुए माँ लक्ष्मी एवं भगवान गणपति से प्राथना करते हैं कि ज्योति पर्व दीपावली आपके जीवन में आनन्द एवं मंगल के अगणित दीप जलाता रहे। देवी लक्ष्मी एवं भगवान श्री गणेश जी कृपा से आपका घर रिद्धि-सिद्धि एवं धन-धान्य से परिपूर्ण एवं आपका जीवन खुशहाल रहे। अंधेरे के अन्त और उजाले के आगाज का प्रतीक यह त्योहर आपके जीवन और हमारे सीरवी समाज को रौशन करे, यही हमारी मंगल कामना हैं।

मेरा ऐसा मानना है कि आप जिस गंभीरता से अपने काम में गुणवत्ता देते हैं परिवार के साथ खुशियां मनाने को भी वही अहमियत दें।

हम सभी परिवार में कई जिम्मेदारियां निभाते हैं - पिता, माता, पति, पत्नी, भाई, बहन व अन्य रिश्ते-नाते। हमें चाहिए कि हर एक जिम्मेदारी निभाते हुए खुशियां बांटें। अपनों के साथ बिताये सुनहरे पलों को सब के लिए यादगार बनाएं।

आइए, हम सब ये संकल्प ले..
Posted By : Posted By Raju Seervi on 25 Oct 2021, 12:57:42
बीती को भूलना-एक मंत्र :- मनोहर सीरवी

दीपावली - प्रकाश पर्व! समृद्धि की देवी लक्ष्मी की उपासना का पर्व। अंधेरे पर उजाले की विजय का प्रतिक । बुराई पर अच्छाई की जीत। अज्ञानता पर ज्ञान का परिचय, आदि,आदि....।

आज हमारा सीरवी समाज भी विकास के बावजूद कई तरह के विवादों से जकड़ा हुआ है। कुरीतियों, आपसी राग-द्वेष समाज को जकड़े हुए है। आपसी वैमनस्यता इतनी ज्यादा है कि लगता है कि समाज बिखर जायगा। इन सबका मूल कारण हमारे समाज में एक दूसरे की टांग खिंचाई हैं। हम अहंकार में डूबे हुए है। सिर्फ स्वयं को ही सर्वश्रेष्ठ मान बैठे है। समाज तभी आगे बढ़ेगा जब हम सबको साथ लेकर चलें। बुराइयों की जड़ पर कुठाराघात करें।

हम अपना काम सही तरीके से तभी कर पायेंगे जब पिछली भूलों, कमियों गलतफहमियों, कमजोरियों को मन से निकाल देंगे। इन बातों को भूलने से प्रतिकूलता की भावना, अप्रिय प्रसंग के कडुवे अनुभव, व्यर्थ की हाय हाय मिट जाती हैं।

जो व्यक्ति हठ और नकारात्मक विचारों का शिकार रहता है, वह निरंतर पछतावे और बैर-विरोध की आग में जलता है। आत्मग्लानि का अनुभव करता है। उसके ह्रदय में हमेश..
Posted By : Posted By Raju Seervi on 01 Jul 2021, 05:43:58
सुखी जीवन का आधार एवं मानव का कर्तव्य

सुख किसे कहते हैं और वह कैसे प्राप्त होता हैं?..... इस प्रश्न पर विद्वानों के विभिन्न मत हैं।
मनुष्य के पास अथाह धन हो तो वह उससे तमाम मन चाही वस्तुएँ खरीद सकता है। हालांकि कितना भी धन क्यों न हो, उससे जीवन के लिये सुख नहीं खरीदा जा सकता है। स्पष्ट है कि मानव जीवनपर्यन्त जिस सुख की तलाश में व्याकुल रहता है, वह वास्तव में अनमोल होता है। यह सुख असल में कोई वस्तु न होकर एक भाव होता है। चूँकि यह भाव है तो उसे-महसूस भी करना होगा। यहाँ पर प्रश्न उठता है कि आखिर महसूस कैसे हो।
प्रायः यह देखा गया है कि कोई गरीब व्यक्ति किसी धनी व्यक्ति की तुलना में अधिक सुखी रहता है। इसका मुख्य कारण है कि वह छोटी छोटी वस्तुओं में अपने लिये सुख खोज लेता है। स्वास्थ्य भी सुखी जीवन का एक महत्वपूर्ण आधार होता है। एक स्वस्थ व सुखी दिनचर्या तभी बन सकती है जब आपको अच्छा भोजन और सुकून भरी नींद मिले। सुखी रहने के लिए व्यक्ति के मन में संतोष का होना भी अनिवार्य शर्त है। अन्यथा लालसा की अग्नि, सुख को भस्म कर सकती है। अपने जीवन के सुखमय बनाने के लिये हम..
Result : 1 - 15 of 30   Total 2 pages