
जय आईजी ।
सादर वन्दे ।
सीरवी समाज हमारा समाज है इसलिए इसके गुणगान करता हूं ,, नही,, बल्कि इस समाज की संस्कृति , सहनशीलता ,, दानत्व , अपनत्व,, मिलनसारिता,, ईमानदारी ,, सहकारिता की पुरी कायल है अन्य समाज ।
अकारण और बिना मेहनत के लेना सीरवी समाज के लिये वर्ज्य है । सीरवी समाज अपनी सादगीपूर्ण जीवन, मेहनतकश श्रम, ईमानदारी पुर्ण कर्तव्य और आस्था मे पुर्ण विश्वास और समर्पण की वजह से ही आज प्रगतवान है और तेज गति से प्रयासरत भी है , सीरवी समाज आज अन्य समाजों के लिये एक आदर्श बन रहा है, अन्य समाजों के लोग आज सीरवी समाज से प्रेरणा ले रहे है ।
मगर आज भी समाज का लक्ष्य पुरा नही हुआ है , समाज की सोच विशाल है, चंचलता से परिपुर्ण कर रहे है ,, आगे बढने की ललक और प्रतिस्पर्धात्मक युग मे भी अपने पांव जमाये ही नही है बल्कि और मजबूती प्रदान कर रहा है ।अन्य विजातिय सामाजिक लोग हमारी नकल करने लगे है और हमारे पदचिन्हों पर चलकर सफल हो रहे है , और यह भी सीरवी समाज के लिये गर्व की बात है कि हम उनके लिये प्रेरणास्त्रोत बन रहे है क्योंकि हमने देना ही सीखा है ,, याचकता से को..