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हम मंदिर में घन्टी (टंकोर)क्यों बजाते हैं? प्रस्तुति ; मोहनलाल राठौड़ उचियार्ङा
Posted By : Manohar Seervi on 12 Jun 2020, 10:56:29

हम मंदिर में घन्टी (टंकोर)क्यों बजाते हैं?
अक्सर छोटे बङे सभी मंदिरों में प्रवेश द्वार के पास ऊँचाई पर एक या अधिक घंटियाॅ (टंकोर)लटकी रहती हैं ।मन में श्रद्धा-भक्ति और आस्था का भाव लेकर श्रद्धालु मंदिर-प्रवेश करते ही घंटी (टंकोर) बजाता है और फिर भगवान के दर्शन,पूजा-पाठ और प्रार्थना स्तुति के लिए आगे बढ़ता है ।साथ में आए छोटे बच्चों को उछलकर या ऊपर उठाए जाने के पश्चात् घंटी बजाकर खूब आनंद मिलता है ।आखिर हम घंटी क्यों बजाते हैं?क्या यह भगवान को जगाने के लिए है?परन्तु भगवान तो कभी सोते नहीं ।क्या इससे हम भगवान को अपने आने की सूचना देते हैं?उनको यह बताने की आवश्यकता नहीं,क्योंकि वे तो सर्वज्ञ है ।तो क्या यह भगवान के क्षेत्र में जाने की अनुमति लेने का एक ढंग है?यह तो अपने ही घर में आना है,जिसके लिए प्रवेश की अनुमति लेने की आवश्यकता नहीं ।भगवान तो हर समय सदा हमारा स्वागत करते हैं ।फिर हम घंटी क्यों बजाते हैं? घंटी बजाने से जो ध्वनि निकलती है,वह शुभ समझी जाती है ।यह ऊँकी ध्वनि उत्पन्न करती है,जो ईश्वर का सर्व व्यापक नाम है ।भगवान सर्व-मंगलकारी है ।इस सूक्ष्म दृष्टि को प्राप्त करने के लिए हमारे भीतर और बाहर शुभ्रता और पवित्रता होनी चाहिए ।प्रतिदिन की नियमित आरती करते समय भी हम घंटी बजाते हैं ।अनेक बार इसके साथ-साथ कुछ वाद्य संगीत और शंख की मंगलमय ध्वनि भी चलती रहती है ।घंटी,शंख और वाद्य संगीत से इस ध्वनि का महत्व और भी अधिक हो जाता है ।ये किसी भी अशुभ ,अ प्रासंगिक कोलाहल और टीका-टिप्पणी को दबा देने का कार्य भी करते हैं ।जिससे श्रद्धालुओं का ध्यान और शान्ति भंग नहीं होती और उनकी निष्ठा,एकाग्रता तथा संवेदनशीलता बनी रहती है ।अपनी दैनिक औपचारिक पूजा आरम्भ करते समय भी हम घंटी बजाते हैं और निम्नलिखित श्लोक का उच्चारण करते हैं---
आगमार्थ तु देवानां गमनार्थ तु राक्षसाम् ।कुर्वे घंटारव एवं तत्रदेवताहवान लक्षणम् ।।
(मैं देवत्व का आह्वान करने केलिए यह घंटी बजाता हूँ,ताकि नैतिक और महान शक्तियों का मेरे घर में और ह्रदय में प्रवेश हो और मेरे भीतर और बाहर से आसुरी तथा अशुभ शक्तियों का विनाश हो ।)
मंदिर में घंटी की ध्वनि-गुंजन से मंदिर परिसर में विद्यमान विषैले कीटाणुओं का भी नाश होता है ।अतः मंदिर में लटके हुए टंकोर के खङे होकर उसे बजाना चाहिए ।जिससे कानों में ऊँनाम की ध्वनि गूँज सके।मंदिर में घंटी बजाने का यही महात्म्य है ।।

----मोहनलाल राठौड़ उचियार्ङा