सीरवी समाज - ब्लॉग

हम नारियल क्यों अर्पित करते हैं? प्रस्तुतकर्ता--मोहनलाल राठौड़ उचियार्ङा
Posted By : Posted By Manohar Seervi on 17 Jun 2020, 06:28:08

संस्कृति की सौरभ---
हम नारियल क्यों अर्पित करते हैं?
भारतीय संस्कृति में मंदिर के लिए सबसे लोकप्रिय भेंट 'नारियल 'है।देवी-देवताओं की पूजा-स्तुति करने के लिए नैवेद्य के साथ नारियल चढ़ाने की भी परम्परा है।विवाह और पर्वों पर,नयी गाङी,घर-मकान,सङक,पुल ,दुकान का उपयोग करने से पूर्व भी नारियल भेंट किया जाता है। जल से भरा एक कलश लेकर उस पर आम के पत्ते सजाये जाते है और उस पर एक नारियल रखा जाता है ।इससे महत्वपूर्ण अवसरों,पर्व-उत्सवों पर पूजा भी की जाती है ।नारियल (श्री फल)भेंट कर साधु-संतों और अतिथियों का बहुमान भी किया जाता है ।भगवान को प्रसन्न करने या अपनी इच्छाओं की पूर्ति के लिए हवन करते समय यज्ञ की अग्नि में भी नारियल को अर्पित किया जाता हैऔर नारियल को फोङा जाता है तथा भगवान के सामने रखा जाता है ।जिसे बाद में प्रसाद के रूप में वितरित किया जाता है ।सूखे नारियल के ऊपर के गुच्छे को छोड़कर,उसका रेशा उतार दिया जाता है ।नारियल के ऊपर के निशान एक प्राणी के सिर जैसे दिखाई देते है ।नारियल फोङना अहं को समाप्त करने का प्रतीक है ।अन्दर का रस जो हमारी वासनाओं का प्रतीक है,सफेद गरी (जो मन का प्रतीक है) के साथ,भगवान को अर्पित किया जाता है ।मंदिरों में और बहुत से घरों में किए जाने वाले पारम्परिक 'अभिषेक 'के अनुष्ठान में भी देवता पर दूध ,दही,शहद,नारियल का कोमल पानी ,चंदन का लेप ,भस्म आदि बहुत से पदार्थ उँडेले जाते है ।प्रत्येक पदार्थ का श्रद्धालुओं को लाभ प्रदान करने की दृष्टि से विशिष्ट महत्व होता है ।नारियल निःस्वार्थ सेवा का प्रतीक भी है ।इसके वृक्ष का प्रत्येक भाग तना,पत्ते,फल,रेशा आदि का उपयोग असंख्य रूप में जैसे छप्पर,चटाइयों,स्वादिष्ट पकवान ,तेल,साबुन आदि बनाने के लिए किया जाता है ।यह धरती से खारा पानी भी ले लेता है और इसे पौष्टिक मीठे पानी में बदल देता है,जो रोगियों के लिए विशेष रूप से लाभदायक है । नारियल के ऊपर बने चिह्नों को तो त्रिनेत्र भगवान शिव का स्वरूप भी माना जाता है ।इसीलिए यह हमारी इच्छाओं की पूर्ति का एक साधन समझा जाता है ।कुछ विशिष्ट धार्मिक अनुष्ठानों में नारियल को कलश पर रखा जाता है,सजाया जाता है,इस पर माला चढाई जाती है और इसकी पूजा की जाती है ।यह भगवान शिव का और ज्ञानी पुरूष का भी प्रतीक है ।इस प्रकार नारियल भगवान के स्पर्श से शुद्ध हुआ मन प्रसाद बन जाता है ।नारियल अर्पित करने का यही महात्म्य है ।।

प्रस्तुतकर्ता--मोहनलाल राठौड़ उचियार्ङा