?जय आईजी?
?सादर वन्दे?
आज के परिपेक्ष मे अगर देखा जाये तो नाता प्रथा गलत नही है । हिन्दुस्तान के बहुत से समाजो मे पहले नाता प्रथा का प्रचलन नही था । उस समय नारी का सम्मान अवलौकिक ही था । नारी भोग्या नही समझी जाती थी ।अनायास ही विधवा होनेपर उम्रभर सांसारिक सुखो से वंचित रहना पडता था, सुहागिन का सौभाग्य नही मिलता था, ताने मारे जाते थे, शुभकार्यो पर सही स्थान नही मिलता था , और लज्जाहीन तत्वों से बचकर रहना पडता था, सही होकर भी कुदृष्टि का बोझ उन अबलाओं को झेलना पडता था इत्यादि इत्यादि ।
मगर आज की नारी शिक्षित हो रही है , अब अबला नही सबला बन रही है, महत्वपूर्ण कार्यो मे हाथ बंटा रही है अतः आज के आधुनिक युग मे स्त्री नाता प्रथा को मै सही मानता हूं ।
देश की बहुत सी जातियों मे हाटा-पाटा प्रथा है , कहीं पर मामा की बेटी से शादी की परम्परा है तो हमारी समाज मे होनेवाले दामाद की बहन, या उनके परिवार या रिशते की लडकी से शादी करने को ही हाटा-पाटा कहा जाता है ।
बडे बुजुर्गों ने जब यह परम्परा डाली होगी तब उनका मानस आपसी घनिष्ठता बढाना ही रहा होग..