सीरवी समाज - ब्लॉग

सब कुछ बदल गया, प्रस्तुति :- मनोहर सीरवी
Posted By : Raju Seervi on 15 Jun 2020, 14:26:43

सब कुछ बदल गया

कहां खो गए वो जीवन के पल
वो जीवन की रंगीनियां
देखते निहारते तितलियां
मिलते मुस्कुराते दिन कट जाते थे
अब दिलोदिमाग में…
कोई नहीं रहता !!
मानो सब कुछ बदल गया है!!
दस्तकें होती रहती हैं, लेकिन
अब दिल शांत रहता है
थी उत्साह और उमंगे
जीवन की धारा
अब खामोश सी
मानों वृक्ष के ठूँठ सी हो गयी है

मेरे दिलो-दिमाग में अब कोई नहीं रहता !!
मानों सब कुछ बदल गया है!!
खामोशी वहां रहती है,
जहाँ लगती थी महफिलें
ठहाके लगते थे जहां
अब वो इमारतें बनी खंडहरें सुनसान है
मेरे दिलोदिमाग में अब कोई नहीं रहता !!
मानो सब कुछ बदल गया है!!
दीवारों पे जाले हैं बैठी धूल की परतें है
यादें बनी धुंधली है…
कब तक महफिलों के संग रह पाता
हम बैठे रह गए, महफ़िल उठ चली गयी
मेरे दिलोदिमाग में अब कोई नहीं रहता
मानों सब कुछ बदल गया है!!
अँधेरे ही अँधेरे अब दिखने लगे हैं,
महफिलों का साथ छूटा अब
तो आहटों से भी डरने लगे हैं
कभी सूर्य से आंखें मिलाते थे
अब अंधेरों से भी भय होने लगा है
मेरे दिलोदिमाग में अब कोई नहीं रहता !!
मेरे दिल में…
अब कोई नहीं रहता
मानों सब कुछ बदल गया!!

प्रस्तुति :- मनोहर सीरवी सुपुत्र श्री रतनलाल जी राठौड़ जनासनी (मैसूरु)