सीरवी समाज - ब्लॉग

समग्र उन्नति के लिए चाहिए संतुलन
Posted By : Posted By govind singh seervi on

सर्वप्रथम मैं धनतेरस पर्व की बधाई के साथ ही समस्त बन्धुजनों, वरिष्ठ नागरिकों एवं अनुज भाई-बहनों को दीपावली महापर्व की अग्रिम शुभकामना देता हूँ। मैं माता महालक्ष्मी से कामना करता हूँ कि वे सभी को स्वस्थ व समृद्ध तथा संस्कारों से परिपूर्ण रखें।

अब बात करते हैं, समाज विकास की। जहाँ तक मेरी समाज के प्रति सोच है, तो मेरा मानना है कि समाज का वास्तविक विकास केवल आर्थिक प्रगति से नहीं होता, बल्कि यह शिक्षा, संस्कार, समानता और सामूहिक जिम्मेदारी से संभव है। शिक्षा और कौशल विकास यह समाज सुधार की सबसे मजबूत नींव है। शिक्षा केवल किताबों तक सीमित न रहकर चरित्र निर्माण और जीवन मूल्यों को भी संजोए। यदि हमारे युवा ज्ञान के साथ संस्कार भी प्राप्त करें तो वे न केवल अच्छे नागरिक बनेंगे बल्कि देश और समाज के लिए भी आदर्श बनेंगे। इसके साथ युवाओं को अपने धर्म के प्रति भी जन्म से ही बतलाया जाना चाहिए ताकि वे युवा अवस्था में भटकें नहीं। आज की प्रतिस्पर्धी दुनिया में केवल डिग्री ही पर्याप्त नहीं है, युवाओं को नई तकनीक, कौशल विकास और उद्यमिता की ओर भी प्रेरित करना आवश्यक है। समाज स्तर पर कोचिंग, स्कॉलरशिप और कॅरियर गाईडेंस कार्यक्रम चलाए जाएँ तो युवा और भी अधिक प्रगति कर सकते है।

आज की तेज रफ्तार जीवनशैली में शीघ्र धन कमाने के लिए तथा विलासितापूर्ण जिन्दगी व्यतीत करने के लिए लोग प्रायः शॉर्टकट अपनाने लगते हैं, लेकिन स्थायी सुधार तभी आएगा जब हम सत्य, ईमानदारी और नैतिक मूल्यों को अपने जीवन का हिस्सा बनाएँगे। समाज में हर वर्ग और हर लिंग को समान अवसर मिलना चाहिए। अगर हम आपसी भेदभाव मिटाकर एक-दूसरे का हाथ थामेंगे तो समाज में विभाजन नहीं बल्कि एकता की भावना मजबूत होगी, जो वर्तमान में क्षीण होती जा रही है। समाज में लोग एक दूसरे की प्रगति पर प्रसन्नता करने की बजाय टांग खींचने में लगे हुए हैं तथा किसी व्यक्ति को अभिप्रेरित करने की जगह उसको हतोत्साहित करते हैं। अतः समाज के लोगो को एक दूसरे का सहयोग कर प्रगति की राह को आसान बनाना चाहिए ताकि सम्पूर्ण समाज खुशहाल रहे ।

मेरे विचार से युवा समाज की सबसे बड़ी शक्ति हैं। यदि उन्हें सही दिशा और मार्गदर्शन मिले, तो वे नशा, अपराध और भटकाव से दूर रहकर शिक्षा, नवाचार और सेवा की ओर अग्रसर होंगे। मैं चाहता हूँ कि हर युवा अपने जीवन का लक्ष्य सिर्फ व्यक्तिगत सफलता न रखकर सामाजिक जिम्मेदारी को भी समझे तथा सामाजिक कार्य में सक्रिय रहे। आज समाज के सामने सबसे बड़ी चुनौती पर्यावरण संकट और स्वास्थ्य समस्याएँ है। स्वच्छता, वृक्षारोपण, जल संरक्षण और नशा मुक्त जीवन शैली अपनाकर हम न केवल अपने लिए बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए भी स्वस्थ वातावरण दे सकते हैं।

सीरवी समाज की सबसे बड़ी शक्ति उसके संस्कार और संगठन की भावना है। यदि समाज शिक्षा, महिला सशक्तिकरण, युवा नेतृत्व और सामाजिक सेवा की दिशा में ठोस कदम उठाए, तो निश्चित ही यह समाज को नई दिशा दे सकता है। संस्कारों की जड़ें, शिक्षा का विस्तार और सेवा की भावना ऐसे तीन आधार हैं जो समाज की आने वाली पीढ़ियों के लिए एक उज्जवल भविष्य का निर्माण कर सकते हैं।

प्रस्तुति :- मनोहर सीरवी सुपुत्र श्री रतनलाल जी राठौड़ जनासनी-साँगावास (कर्नाटक-मैसूर)
पूर्व सम्पादक, सीरवी समाज सम्पूर्ण भारत डॉट कॉम