सीरवी समाज - ब्लॉग

सामाजिक सद्गुण यही है कि हम दूसरों के अधिकारों का मान करें, आप जिये और दूसरों को जीने दें : मनोहर सीरवी
Posted By : Posted By Raju Seervi on 22 Aug 2022, 05:43:23

सृष्टि का सृजनकर्ता ईश्वर एक है किन्तु उसके नाम अनेक हैं। मानव जाति भी एक है।  हालांट रचयिता एक ही परमात्मा की कलाकृति और भाई-भाई हैं। अपने भाइयों से द्रोह किसी भीयान में अगाकर ही है। सब मिलजुल कर भाईचारे के साथ आपसी सहयोग और सौहाद्प रो क्योकि इस धरती पर कोई गाना नहीं है। सबको चाहिए कि वे शांति से रहें और जियें तथा शान्ति से धरती के अपने भाइयों को भी जाना किसी को नहीं लूटें और किसी को किसी भी प्रकार की पीड़ा न दें। पापों का भारत बढ़ाएँ चकि पापों का प्रतिफल भोगना ही पड़ेगा। आदमी को भोजन, कुछ और निवासस्थल पूर्ण मानन्दयाम काम करने पर भी उपलब्ध हो सकते हैं। शांतिकामी लोगों को चाहिए कि वे सुखी जीवन के लिए अपव्यय और दवर्यसनों से अपने आपको अवश्य बचाये रखें। जीवन से निठल्लापन को निकाल दें और उपलब्ध समय का पूण सदुपयोग करें। घर में सबसे प्रेमपूर्वक रहें और बड़ों का आदर करें। स्वाध्याय और सत्संग के लिए रात को मान तक भी अपनी सुविधानुसार प्रतिदिन कुछ नियमित समय अवश्य निकालें। सोते समय मस्तिष्क के विचारों के सम्पूर्ण बोझ को उतार दें और ह्रदय से एकाग्र होकर ईश्वर स्मरण करते हुए सो जायें ताकि स्वस्थ और निदान नींद आ सके, परिणामस्वरूप तन-मन का आयोग्य प्राप्त करके एवं उसे बनाये रखकर सुखी रह सकें। ब्रहामुहूर्त एवं भोर में शुभ दिशा में किया गया नियमित चिंतन तुम्हारे जीवन को श्रेष्ठतम दिशा दिये रखने में मदद करेगा। अतीत के बारे-भले संचित कर्मों से वर्तमान जीवन अवश्य प्रभावित होता रहता है। शरीर के साथ कर्मा के सृजन में मानसिक सोच ही जिम्मेदार होती है। मानसिक सोच को सत्य, करुणा और पवित्रता का दायरा मत लांघने दो। अपने को बिना लगाम के घोड़े की तरह मत छोड़ो तथा पवित्र नियमों में जीवन को बाँध कर रखे। आलस्य से बचो और कर्तव्य से भूलकर भी मत डिगो। जीना सीखो ताकि तुम्हें शान्ति से मरना भी आ जाये क्योंकि जन्मने वाले की मृत्यु निश्चित है। पाप आदमी की भूलें-चुकें हैं जिनमें सुधार संभव है। आज हम जितने बुरे हैं, कल हम उतने ही अच्छे बन सकते हैं। मेरे आदरणीय और प्रिय भाईयों एवं बहनों! अभी से दॄढ निश्चय कर कि वह प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष अपनी तमाम बुराइयों को छोड़, विशवास करो आप अपने अगले क़दमों एवं भविष्य में होने वाली सभी प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष बुराइयों से बच सकोगे।  यही बुराई से भलाई की तरफ बढ़ने और जीवनशोधन की प्रक्रिया है जो सब प्रकार से कल्याणकारी है।