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आशा है आप अच्छा कर रहे हैं अपने - अपने क्षेत्र में : मनोहर सीरवी
Posted By : Posted By Manohar Seervi on 22 Apr 2022, 14:46:20
नमस्कार
आशा है आप अच्छा कर रहे हैं अपने - अपने क्षेत्र में । परन्तु अच्छा करते-करते अचानक हम उदास हो जाते है क्योंकि हम तुलना कर बैठते हैं। हम जानते हैं कि विश्व के सारे मस्तिष्क एक दूसरे से बिल्कुल अलग अलग हैं। फिर भी हम तुलना कर बैठते है कि फलाँ-फलाँ हमसे बेहतर है और अपने आप को दुखी कर लेते हैं। जो दूसरा बहोत अच्छे से कर सकता है हम अच्छे से नहीं कर पाते हैं और जो हम अच्छे से कर लेते हैं वो दूसरा अच्छे से नहीं कर पाता है। अधिक राम के कंप्यूटर की तुलना क्या कम राम के कंप्यूटर से की जा सकती है? क्या कम C C की गाड़ी अधिक C C की गाड़ी से की जा सकती है? बिल्कुल नहीं! तुलना तो बिल्कुल भी नहीं की जा सकती है। हाँ दोनों को अपनी अपनी जगह पूरा माना जा सकता है। इतनी बात बस ध्यान देने कि भौतिक चीजों की क्षमता निश्चित होती है और इसे बढ़ाया नहीं जा सकता है जबकि हम अपनी क्षमताओं को अभ्यास द्वारा थोड़ा-थोड़ा करके बढ़ा सकते हैं। हो सकता है आपका अभ्यास इतना निरन्तर हो की आपकी क्षमता पहले से दुगुनी या तिगुनी या चौगुनी बढ़ जाये पर यह आपकी खुद की क्षमता से बढ़ी हुई है। इस अधिक हुई क्षमता की तुलना आप अपनी पुरानी क्षमता कर सकते है पर किसी और की क्षमता से नहीं। अपने आप से की हुई तुलना प्रगति की द्योतक है-
चलो आज हम खुद से ही,
खुद की होड़ लगते है।
न किसी से तुलना कर,
खुद को कमतर/बेहतर ठहराते हैं।
खुद को ही पैमाना बना,
फिर नई लंबी दौड़ लगाते हैं।
चलो आज हम खुद से ही,
खुद की होड़ लगाते हैं।
जबकि इससे विपरीत दूसरों से तुलना हमें नाकारात्मकता, जलन, असमंजस की स्थिति में डाल देती है और हमे आत्मविश्वास को नुकसान पहुचाती है. इसलिए सिर्फ अपने पर ध्यान दें। दूसरे आप पर ध्यान अपने आप देना शुरू कर देंगे. वैसे भी दूसरों की सफलता भी एक या दो दिन का परिणाम नहीं है लगातार किये गये किसी एक दिशा में किये गए प्रयासों का परिणाम है। अक्सर दूसरों की कामयाबी को देखकर हम लोगों को लगता है कि बड़ा नाम कमाना या सफल होना बाएँ हाथ का खेल है क्योंकि हमे उनकी कामयाबी के पीछे लगी कड़ी मेहनत और लगन का अंदाजा नही होता। हम सिर्फ कामयाबी और सफलता को ही देखते हैं। अतः अपनी मेहनत और मस्तिष्क पर भरोसा रखें और तुलना से बचते हुए आगे बढ़े। तुलना सिर्फ जलन पैदा करती है; ईर्ष्या पैदा करती है और कुढ़न को बढ़ाती है जो प्रगति में सबसे बड़ी बाधक बन जाती है अतः बेहतर लोगों को और बेहतर करने दीजिये और स्वयं भी बेहतरीन होते जाईये। हम सब एक दूसरे से बिल्कुल अलग हैं फिर तुलना क्यों? जो आगे है उसे प्रेरणा बनाइये। प्रेरणा बढाती है और तुलना ईर्ष्या पैदा कराती है।
आज इतना ही फिर आगे कभी...
शुभकामनाएं !!
आपका शुभाकांक्षी
मनोहर सीरवी सुपुत्र श्री रतनलाल जी राठौड़ जनासनी (मैसूरु)
संपादक, सीरवी समाज डॉट कॉम
www.seervisamaj.com