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आज समाज के छोटे-मध्यम परिवार के लिए लड़कों की शादी कराना बहुत मुश्किल काम हो गया : मनोहर सीरवी
Posted By : Posted By Raju Seervi on 18 Jul 2022, 14:28:33
आज समाज के छोटे-मध्यम परिवार के लिए लड़कों की शादी कराना बहुत मुश्किल काम हो गया : मनोहर सीरवी
समाज को गंभीरता से सोचना होगा-आज समाज के छोटे-मध्यम परिवार के लिए लड़कों की शादी कराना बहुत मुश्किल काम हो गया है। खासकर मध्यम वर्ग और छोटे शहरों के परिवारों की हालत तो बहुत दयनीय होती जा रही है। लड़के 30-32 वर्ष की उम्र पार कर जा रहे है, मगर रिश्ते आ नहीं रहे और इसके पीछे मानसिकता सिर्फ महानगरों की भौतिकता और स्वच्छद रहने की लालसा। आज हर बच्ची और उसके माता-पिता अपनी लाड़ली के लिए बड़ा शहर, अकेला लड़का और पढ़ा-लिखा तथा अच्छी नौकरी करने वाला ठिकाना ही चाहते हैं और इसके चलते लड़कियों की भी उम्र बढ़ती जा रही है और फिर कही न कही समझौता करना पड़ता है। समाज को इस समस्या के समाधान के लिए जरूर चिंतन करना होगा। ऐसा नहीं हैं कि समाज में लड़कियों की कमी है, मगर समस्या यही है कि लड़की वालों की अपेक्षाएं बहुत ज्यादा बढ़ गयी हैं। वह यह नहीं समझ रहे कि कल यही समस्या उनके घर के लड़कों को भी आनी है और हर परिवार बड़े शहर जाकर तो नहीं बस सकता और जब कोई परिवार अपने पुश्तैनी गाँव में अच्छा खासा धंधा कर रहा है। गाँव में इज्जत है। गाँव में हर मूलभूत सुविधा उपलब्ध है। भला ऐसे घर के लड़के भी शादी-ब्याह के लिए परेशान हों तो बहुत तकलीफ होती हैं।
आज लड़कियों को सोचना होगा, गाँव में भी उनकी शिक्षा का उपयोग हो सकता है। उनकी शिक्षा से वे अपने पति के साथ व्यवसाय को बढ़ा सकती हैं। बच्चों को ट्यूशन लेकर उनको शिक्षत करने का सौभाग्य पा सकते हैं। और तो और बड़े शहरों से छोटे शहरों में स्पर्धा कम होगी इसलिए लड़कियों को अपनी प्रतिभा को निखारने का उसको समाज के उपयोग में लाने का ज्यादा अवसर मिलेगा और समाज के अंदर रहकर समाज की सेवा करने का आनंद प्राप्त होगा। यह समस्या सिर्फ हमारे समाज में ही है ऐसा नहीं। आज लगभग हर समाज इस समस्या से पीड़ित है और इसके लिए सभी ने चिंतन तो करना ही होगा।
हमको गाँवों के महत्व को समझना होगा। गाँव का रहन-सहन, गाँव में एक दूसरे के प्रति लगाव की भावना यह सब हमको देखना होगा। जब हम गांव को नजदीक से समझेंगे यकीन करिए शहर के तान-तनाव वाले माहौल से गाँव का बिना प्रदूषण वाला जीवन कभी भी सुनहरा ही होगा। जरूरत है अपनी शहरी भौतिकता वाली मानसिकता से बहार निकल समाज और अपने भविष्य की खातिर दॄढ़ निर्णय लेकर अपने आने वाले कल को सुधारने की। आज लड़कियां अच्छी लिखी-पढ़ी हैं तो वह अपनी पढाई-शिक्षा को गाँव के विकास के लिए लगाए।
आपका
मनोहर सीरवी सुपुत्र श्री रतनलाल जी राठौड़ जनासनी-साँगावास (मैसूरु)
संपादक : सीरवी समाज डॉट कॉम