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हर कर्म रो हिसाब हुवे : सीरवी
Posted By : Posted By राजू सीरवी on 23 Feb 2023, 06:35:27

हर कर्म रो हिसाब हुवे : सीरवी

दूसरों रे सुन्दर महल देखने ईर्ष्या करणे अपने मन ने युहीं व्यथित नी करणों चाहिजे।
खम्मा घणी सा हुकुम आज आपा बात कर रियां हाँ भाग्य पर.... किन्ही व्यक्ति ने उने भाग्य सूं ज्यादा और समय सूं पहला कुछ भी नहीं मिले। यदि इण थ्योरी पर आपा विश्वास करां तो कदैई दूसरों री उन्नति और खुद री तंगहाली पर शर्मिंदगी नहीं हुवे।
हुकुम दुसरो रा महल देखनें आपा आपणी झोंपड़े ने अग्नि रे हवाले कर देंवा यां तो मूर्खता है इण वास्ते कोई सयानों बड़ी खरी कही है-
देख पराई चुपड़ी मत ललचावों जी
रूखी सुखी खाय के ठंडा पानी पी।।
यानि दूसरों रे ऐश्र्वर्य ने देखने अपणों मन नहीं ललचाणों चईजे। अपने भाग्य अथवा पुरुषार्थ सूं जो भी रुखों-सुखों मिले उने खानें और ठंडा पाणी पिने संतोष कर लेणो चहिजे।
कोई केड़ा व्यंजन खावे,? कितेई प्रकार रा सुख भोगे...? किन्हेई कने किती गाड़ियाँ हैं? किता नौकर-चाकर हैं? इण सबने अनदेखों करतों हुवों मनुष्य सदा अपणो पुरुषार्थ पर विश्वास करें। जो भी जीवन में हासिल कारणों चाहवें उने ईमानदारी सूं कौशिश करतों रेवणों चईजे। बारबार प्रयास करणों और ईश्वर रे न्याय पर भरोसो करने ही मनुष्य अपणों फल पा सकें।
यां बात तो हाचि है कि अपणो भाग्य सूं जो भी आपाणे मिले उन्हें जीवन में संतोष करतो हुओ ईश्वर ने धन्यवाद देवणों चईजे। फालतू ही भाग्य ने कोसने या उण मालिक ने दोष देवण सूं की नहीं हुवैला। माँ रो दरबार बड़ों न्यायकारी है वठे किन्हेई रे साथे अन्याय नी हवें।
जो भी अच्छा या बुरा कर्म आपा करां विने अनुसार ही फल मिले। विनो कारण है कि कर्म करण में सगळा स्वतन्त्र हैं। जण आपा सत्कर्म करां.... ईश्वर ने धन्यवाद देवा पर जण.... कुकर्म करां अपणे मन रा राजा बण जावां।
हुकुम इंसान किन्हें सूं नी डरे। सारी दुनिया ने आपरी मुट्टी में करने, उने आग लगा देवण री बात करें। किन्ही री जान लेवणी, किन्ही रो अपमान करणो तो व्यक्ति रे दिनचर्या रो हिस्सों ही बण ग्यों है। उण समय भूल जावें कि इण सबरा परिणाम भी भुगतनों पड़े है। सांसारिक न्यायालय रे प्रमाणों रे अभाव में बरी हूँ सकें पर उण परम न्यायाधीश री अदालत सूं सजा पाए बिना नी बच सकें... क्योंकि वठे किन्ही गवाह या सबूत री जरूरत नी पड़ें।
ऋषि- मुनि और विद्वान इण वास्तें हर कदम पर संभल ने रेवण री बात करें। यदि समय रहते हुए नहीं चेते तो उण प्रभु रे कोप सूं नहीं बच सकें।
अपणी सुख-समृद्धि रे रास्ते रा रोड़ा आपा स्वयं हैं। जण समाज विरोधी गतिविधियों में लिप्त हुवा जण उना परिणाम न चावते हुए दुखों रे रूप में भुगतणा ही पड़े। यों ही कारण है कि संसार में इती असमानता है। कोई बहुत सुन्दर है, कोई मृत्यु पर्यन्त स्वस्थ्य रेहवें, कोई जीवन में सुविधाओं रा भोग करें, कोई उच्च पद पर आसीन है, कोई हर प्रकार सूं सुखी जीवन जीवें हैं।
इने विपरीत कोई कुरूप है, दो जून रोटी भी नहीं खा सकें, कोई जन्मजात रोगी है, किन्हें जीवन भर लानत झेलनी पड़े है, कोई अभावों में एड़ियाँ रगड़ते मर जावें।
हुकुम आपाणे सदा अपणे कर्मों पर ध्यान देवणों चाहिजै दूसरों सूं कदैई ईर्ष्या-द्वेष नहीं करणी चहिजे। दूसरों री समृद्धि ने देख यथासंभव सत्कार्यों री और प्रवृत्त होवणों चईजे ताकि आगे रा जन्मों में मनचाहों ठाठ मिल सकें। हुकुम हर कर्म रो हिसाब हवें

मनोहर सीरवी पुत्र रतनलाल जी राठौड़ जनासनी- साँगावास (मैसूरु)
संपादक , सीरवी समाज डॉट कॉम