सीरवी समाज - ब्लॉग

आलेख:-सीरवी समाज की अच्छाइयां-सबसे जुदा । - हीराराम चौधरी(गेहलोत) अध्यापक राजकीय आदर्श उच्च माध्यमिक विद्यालय,सोडावास(पाली) संपादक श्री आई ज्योति पत्रिका।
Posted By : Posted By seervi on 07 Sep 2019, 05:39:19

आलेख:-सीरवी समाज की अच्छाइयां-सबसे जुदा ।

प्रत्येक समाज की अपनी कुछ अच्छाइयां अर्थात विशेषताएं होती है तो कुछ अपनी कमियां भी।
सीरवी समाज भी एक ऐसा ही समाज है जिसके अतीत में झांके तो अच्छाइयां ही अच्छाइयां नजर आती है। यह सही है कि वक्त के साथ समाज की अच्छाईयों पर ग्रहण भी लगा है औऱ समाज की वे खूबसूरत प्रतिमान औऱ सामाजिक आदर्श मूल्य अर्थात अच्छाइयां छिन्न-भिन्न भी हुई है लेकिन आज भी सीरवी समाज में बहुत-सी अच्छाइयां है जो सबसे जुदा है।
सीरवी समाज की अच्छाइयां पर प्रकाश डालने से पहले हमें यह जानना जरूरी है कि वास्तव में अच्छाइयां है क्या ?
मानव समाज में अच्छाइयां का अपना एक स्तर है जो सामाजिक,धार्मिक औऱ भौगोलिक परिस्थितियों के साथ अपना एक अलग अस्तित्व है।एक समाज के आदर्श प्रतिमान उस समाज के लिए अच्छाइयां है तो अन्य समाज के लिए वे बुराइयां है।एक धर्म के कुछ नियम उनके लिए अच्छाइयां है तो वही अन्य धर्म के लिए उनका कोई मूल्य नही है अर्थात वे बुराइयां है।
इसी प्रकार से एक क्षेत्र विशेष में रहने वाले लोगो के सामाजिक प्रतिमान औऱ मानवीय मूल्य उनके लिए अच्छाइयां है वे ही अन्य क्षेत्रों के लिए बुराइयां है।
यह सही है कि हम अच्छाइयों को एक वैचारिक परिभाषा के रूप में आंकलन नही कर पा सकते है।हाँ, इतना जरूर कह सकते है कि अच्छाइयो का संबंध मानव हित या सद्कार्यों से कर सकते है।ऐसे कार्य,सामाजिक प्रतिमान या मूल्य जिसकी सर्वत्र प्रशंसा होती हो।ऐसे सामाजिक रिवाज या परम्पराए जिससे समाज की साख बढ़ती हो। समाज के ऐसे आध्यात्मिक ज्ञान, पूजा पद्धति या प्रथाएँ जिससे समाज की अपनी पहचान हो,उन्हें हम अच्छाइयों के रूप में कह सकते है कि ये हमारे समाज की अच्छाइयां है जिस पर हम सबको बड़ा गर्व है।
सीरवी समाज की अच्छाइयों का बखान हम अतीत औऱ वर्तमान के परिप्रेक्ष्य में इस प्रकार से कर सकते है।
सीरवी समाज की अच्छाइयां:-
सीरवी समाज के उदय के साथ समाज के लोगों ने इसे उच्च आदर्श प्रतिमान, मूल्य औऱ परम्पराओं को अपनाया,जिससे सीरवी समाज की अपनी पहचान सबसे जुदा रही।
1.सामाजिक सहयोग औऱ समन्वय की भावना:- सीरवी समाज के मूल में "सीर" है जिसका अर्थ है सहयोग,सहकारिता औऱ समन्वय।
सीरवी समाज की यह सबसे बड़ी अच्छाई है कि समाज के लोगों में बहुत ही उच्च कोटि का सामंजस्य रहा,लोगो मे सहयोग की भावनाएं इतनी सुदृढ रही कि एक दूसरे के सुख-दुःख में पूर्ण ईमानदारी से योगदान करते थे।निष्काम कर्मयोग की भावना से एक दूसरे की सहायता करते थे। सीरवी समाज के लोग समाज का ही नही ग्राम के अन्य लोगों के सुख-दुःख में सक्रियता से हाथ बटाते थे। यदि किसी परिवार पर आफत आ पड़ती तो समाज के लोग आगे बढ़कर अपना योगदान करते थे।
वर्तमान में भी समाज की यह एक बड़ी विशेषता है,आज समाज आर्थिक रूप से सम्पन्न हुआ है तो इसके पीछे समाज की यह सबसे अच्छी बात अर्थात सहयोग की प्रवृति ही है जिसके कारण समाज आर्थिक रूप से संम्पन्न होने की दिशा में आगे बढ़ रहा है। समाज के लोगों ने अपने व्यावसायिक प्रतिष्ठान पर कार्य करने वाले समाजी बंधु को व्यवसाय कराने में योगदान किया है।अन्य समाज भी इसका उदाहरण देते है कि सहयोग की भावना जितनी सीरवी समाज में है उतना अन्य में नहीं है।समाज के लोग परमार्थ कार्य में आगे बढ़कर योगदान करते है। परमार्थ कार्य जैसे शिक्षण संस्थान का निर्माण,धर्मशाला का निर्माण,गौ-शाला का निर्माण,सार्वजनिक प्याऊ का निर्माण,निशुल्क भंडारे चलाना,वृक्षारोपण में योगदान,गरीब लोगों को आर्थिक सहयोग इत्यादि में समाज के लोग उदार मन से योगदान करते है। परमार्थ कार्य की जहां भी बात होती है तो सीरवी समाज का नाम बड़े गर्व से लिया जाता है।यह हम सबके लिए आज भी बड़े गर्व की बात है। वक्त के साथ समाज में अब इस अच्छाई पर थोड़ा ग्रहण लगने लगा है,अब समाजी बंधुजन-बहनों में सहयोग की प्रवृत्ति पहले जैसी नही है,फिर भी अन्य समाजो की तुलना में समाज में आज भी यह एक अच्छाई है।हम सबको अपने पुरखों से सीख लेकर समाज में सहयोग,समन्वय औऱ सहकारिता की भावना को पुनः सुदृढ करना होगा,यह समाज की एक ऐसी अच्छाई है जिस पर हम सबको गर्व है।
2.उदार एवं विशाल सहृदयता :- यह भी सीरवी समाज की बहुत बड़ी अच्छाई है।यह हम सबको हमारे पुरखो की सबसे बड़ी देन है।सीरवी समाज अपने छोटे-बड़े भोजन प्रसाद में ग्राम या आस पास के अधिकांश लोगों को निमंत्रित करते है।समाज की यह बड़ी सोच रही है कि "सदा खिलाने में विश्वास करना न कि खाने में।" समाज के किसी भी भोज में देखेंगे तो यह देखने को मिलेगा कि वहाँ एक मेले जैसे वातावरण रहता है।आज भी अन्य समाज के लोग भी कहते है कि "सीरवी समाज में सब खटे है।" आज भी अन्य समाज के लोग समाज की इस अच्छाई का बखान करते है।
मैं अपने साथ घटित एक सच्चे वाकिया का जिक्र कर रहा हूँ ,जब मैं आठवी कक्षा का छात्र था औऱ पाली पशुओ के लिए जौ का बैग लेने आया था।दुकान से हाथ ठेले से जौ का बैग बस स्टैंड पर ला दिया।ठेले वाला चला गया। जौ का बैग जिसका वजन 40 kg था,बस में एक व्यक्ति के सहयोग से रखने लगा,तभी बस कंडक्टर ने मना कर दिया कि यह बैग बस ऊपर चढ़ाओ।मैंने वापस रखा,तभी एक ग्राम के जागीदार आए औऱ मुझे कहा कि "बेटा तुम कौन हो?" मैंने कहा कि,"मैं तो सीरवी हूँ।" उस जागीदार ने उस बस कंडक्टर को झिड़क कर कहा कि,"इसे यह बैग बस में रखने दे,तुम्हे पता है कि यह सीरवी है,सीरवी समुन्दर है बाकी सब नाडा।" मेरा वह बैग पास में खड़े व्यक्ति ने बस में रख दिया।सचमुच उस दिन मुझे अपनी समाज पर बड़ा गर्व हुआ।आज भी वह वाकिया मेरे मानस पटल पर केंद्रित है औऱ ताउम्र रहेगा।समाज की इस विशाल एवं उदार सहृदयता ने समाज को बड़ी पहचान दी है। समाज की यह अच्छाई सर्वत्र दिखाई देती है।आज भी ग्राम में समाज के छोटे-बड़े भोज में सबको सादर आमंत्रित कर खुश होते है।समाज की यह अच्छाई सबसे जुदा है।
3.ईमानदारी एवं कर्तव्यपरायणता:- सीरवी समाज की एक और अच्छाई है जो सबसे जुदा है,वह है हमारे लोगों की ईमानदारी औऱ कर्तव्यपरायणता ।
प्राचीन काल से ही सीरवी समाज के लोगो की यह विशेषता रही है कि जहां भी कार्य मिला,वहाँ उस कार्य के पूर्ण ईमानदारी औऱ कर्तव्यपरायणता से किया।छोटे-बड़े जागीरदार-जमीदार सभी अपने यहां सीरवी समाज के लोगों को रखते थे। समाज के लोग अपने कार्य के प्रति सदैव निष्ठावान रहे है।कामचोर कभी नही।आज भी समाज के लोगों में ऐसी भावना है -वे अपने कार्य के प्रति बफादार और निष्ठावान रहते है औऱ अपने सेठ-मालिक के साथ कोई भी धोखा नही करते है।सीरवी समाज की इसी अच्छाई के कारण महाजन-जैन बंधुओ ने अपने यहाँ सीरवी समाज के लोगो को अन्य से ज्यादा तरजीह दी,उन्हें पता था कि सीरवी से बड़े ईमानदार औऱ कर्तव्यपरायण कोई और नही है।
समाज की इसी अच्छाई का सुपरिणाम है कि आज हम आर्थिक रूप से संपन्नता की ओर आगे बढ़े है।आज भी समाज के लोग अपने बच्चों को एक ही सीख देते है कि ,"बेटा, मेहनत का खाना, हराम का नही।" आज भी सीरवी समाज के लोग जहाँ भी अपनी छोटी-बड़ी नौकरी चाहे वह सरकारी हो या प्राइवेट ,अपने पेशे के प्रति बड़े ईमानदार औऱ निष्ठावान रहते है। सीरवी समाज के लोग अपनी ईमानदारी औऱ कर्तव्यपरायणता से अपनी विशिष्ट पहचान बना रहे है।
हम सबको समाज की इस अच्छाई पर गर्व है।
4. उच्च मानव मूल्यों के हिमायती एवं उत्कृष्ट जीवन शैली:-सीरवी समाज की एक औऱ अच्छाई यह है कि समाज के लोगों की अपनी एक विशेष जीवन शैली है।समाज के लोग उच्च मानवीय मूल्य जैसे प्रेम,भाईचारा, सदाचार,शांति औऱ सहअस्तित्व के सदा पक्षधर रहे है। वे जहां भी रहे है उन्होंने अपने उच्च आचरण औऱ सदाचार से सबके दिलों को जीतने का कार्य किया है।आज सीरवी समाज के लोग सम्पूर्ण भारत में विद्यमान है,उन्होंने अपने उच्च मानवीय जीवन शैली से अनजान लोगों के दिलो को जीता है। आज समाज की इस अच्छाई का यह परिणाम है कि लोग अपने व्यावसायिक भूखंड खरीदने या आवासीय रहवासी मकान या फ्लैट खरीदते है तो यह देखते है कि पड़ौसी कौन है?जब उन्हें पता चलता है कि आपके पड़ौस में सीरवी है तो उनकी खुशी का कोई पारावार नही होता है।अन्य समाज के लोग जब सीरवी समाज के बारे में ऐसी उत्कृष्ट धारणा रखते है तब हम सबका सीना गर्व से जरूर चौड़ा होता है।
हम सबको सीरवी समाज की इस अच्छाई पर बड़ा नाज है।
5.सांस्कृतिक मूल्यों की उत्कृष्ठ सोच:-सीरवी समाज एक औऱ अच्छाई है जिसका उल्लेख करते हुए हम सबको गर्व होता है,वह है हमारी सांस्कृतिक मूल्यों की उत्कृष्ट सोच है।सीरवी समाज के लोग अपने सांस्कृतिक मूल्यों से आज भी जमीन से जुड़े हुए है।आर्थिक संपन्नता के साथ समाज ने अपने सांस्कृतिक मूल्यों को औऱ सुदृढ किया है।समाज की आराध्य देवी माँ श्री आईजी के धाम "श्री आई माता के वडेर" पहले हर ग्राम जहाँ सीरवी समाज के लोग रहते है ,वहाँ होते है।समाज के लोग अपने परिवार को गरीबी से निकालने के लिए देशांतर(अन्य प्रदेश) में गए ,वहाँ उन्होंने अपने पुरुषार्थ औऱ कर्तव्यपरायणता से अपने व्यसायिक प्रतिष्ठान खड़े किए औऱ समाज की एकता औऱ समरसता के लिए उन्होंने अपना सामाजिक संगठन खड़ा करके,वहां भी अपनी आराध्य देवी माँ श्री आईजी के धाम "वडेर" बना दिए है। आज उन वडेरो में नियमित पूजा पाठ औऱ सामाजिक उत्सव भादवा बीज व माही बीज महोत्सव बड़े हर्षोल्लास से मनाया जाता है।यह देखकर हर सीरवी को बड़ा गर्व होता है।सीरवी समाज की इस अच्छाई का बखान अन्य समाज के लोग भी करते है।
आज भारत के बहुत से शहरों में जहां सीरवी समाज के लोगो ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई है वहाँ सीरवी समाज की आराध्य देवी माँ श्री आईजी के धाम,"वडेर" बन गए है।सीरवी समाज के वे सभी लोग बधाई के पात्र है जिन्होंने समाज के सांस्कृतिक मूल्यों के लिए अपना त्याग और अर्पण कर वडेरो के निर्माण में योगदान दिया है।सीरवी समाज के सब वडेरो का संचालन एक व्यवस्थित तरीके एवम सामाजिक समरसता के साथ किया जाता है।
सीरवी समाज की यह अच्छाई सबसे जुदा है। हम सबको समाज की इस अच्छाई पर बड़ा फक्र है।
सीरवी समाज की उक्त अच्छाइयों के अलावा अन्य अच्छाइयां जिसमे सादा जीवन, एवं सरल स्वभाव,सामान्य वेशभूषा,सद्व्यवहार,विनम्रता, आपसी मेल-मिलाप,सौहार्द्धपूर्ण वातावरण के पक्षधर, इत्यादि समाज को अपनी विशेष पहचान दिलाते है। आज के इस भौतिकवादी औऱ स्मार्ट दुनिया में भी समाज ने अपनी अच्छाइयों को संजोकर रखा है,यह हम सबके लिए गर्व की बात है।यह सही है कि वक्त के साथ युवा पीढ़ी में हमारे सामाजिक प्रतिमानों औऱ मूल्यों के प्रति लगाव कम हुआ है औऱ युवा पीढ़ी में नैतिक मूल्यों का पतन देखने को मिल रहा है।यह हम सबके लिए चिंताजनक है।समाज में धन का कुप्रभाव जहाँ-तहाँ दिखाई दे रहा है।आज समाज के सामाजिक महोत्सव भादवा बीज औऱ माही बीज के पावन पर्व पर धन का दुरुपयोग देखने को मिल रहा है,सामाजिक पावन पर्व को हम अपने सांस्कृतिक मूल्यों को अक्षुण्ण बनाये रखने के लिए सदुपयोग करे।हम ऐसे महोत्सव को आध्यात्मिक धरोहर को बढ़ावा देने के लिए करे। हम अपनी युवा पीढ़ी को उच्च आदर्श मूल्यों से अवगत कराए औऱ अपने सामाजिक प्रतिमानों का ज्ञान कराए।समाज की अच्छाइयों का ज्ञान कराए।यदि हम सब सामूहिक रूप से एवं सकारात्मक सोच से "अपना समाज,अपना गौरव।"के विराट लक्ष्य को लेकर कड़ी से कड़ी जुड़कर अपना-अपना सर्वश्रेष्ठ कर्तव्यकर्म कर पाए तो सीरवी समाज को हम अपनी प्राचीन विशिष्ट पहचान देने में कामयाब ही नही होंगे बल्कि समाज को प्रगति के शिखर पर पहुंचाने में भी सफल हो जायेंगे।
यह सही है कि सीरवी समाज की कुछ अच्छाइयों पर ग्रहण लगा है औऱ वक्त के साथ कुछ दोष पैदा हो गए है लेकिन फिर भी मुझे समाज की उक्त अच्छाइयों पर बड़ा नाज है।यह अच्छाइयां अन्य से जुदा है।
आइये आप औऱ हम सभी सीरवी समाज की अच्छाइयों को अक्षुण्ण बनाये रखने के लिए अपना सर्वोत्तम अर्पण करें।अपने ज्ञान से समाज की युवा पीढ़ी को सामाजिक प्रतिमानों औऱ मूल्यों की सीख देते रहे औऱ उन्हें सही मार्गदर्शन करें।सीरवी समाज की अच्छाइयां फूलों की महक की तरह फैले, इसके लिए हम सब विशाल सहृदयता अपना कर्तव्यकर्म करे।
हम सब मन-वचन-कर्म से यह संकल्प ले औऱ यह भाव रखे कि,
" हमारे सद्कार्यों से बढ़े हमारे समाज का गुणगान।
यही है हमारा पुनीत कर्म औऱ हमारा मान-सम्मान।।"
सीरवी समाज के उन सभी पुरखो को कोटि-कोटि नमन जिन्होंने समाज को सही राह दिखाई औऱ उच्च मानवीय मूल्यों से संस्कारित किया।सीरवी समाज के उन सभी निष्काम कर्मयोगियों ,कर्णधारों औऱ समाजसेवियों को सादर चरण वंदन जिन्होंने सीरवी समाज को सुंदर ढंग से गढ़ने में अपनी महत्ती भूमिका निभाई।सीरवी समाज के ऊर्जावान सभी बंधुजन-बहनों को मेरा सादर अभिनंदन जो अनवरत रूप से सीरवी समाज की अच्छाइयों के प्रचार-प्रसार में अपना सर्वश्रेष्ठ कर्तव्यकर्म कर रहे है।
एक बार पुनः सभी वंदनीय पाठक बंधुजन-बहनों को जय माँ श्री आईजी सा।
आपका अपना
हीराराम चौधरी(गेहलोत)
अध्यापक
राजकीय आदर्श उच्च माध्यमिक विद्यालय,सोडावास(पाली)
संपादक
श्री आई ज्योति पत्रिका।