सीरवी समाज - ब्लॉग

आलेख:-सीरवी समाज की अच्छाइयां-सबसे जुदा । - प्रतिभागी - 6-चौधरी नेनाराम राजाराम जी सीरवी
Posted By : Posted By seervi on 13 Sep 2019, 05:49:03

सीरवी समाज की अच्छाईयां.. सबसे जुदा। -----------------------------

वैसे तो कुदरत के कानून जैसे दिन के साथ रात की तरह अच्छाईयों के साथ बुराईयां विद्यमान रहती है। फिर भी एक सकारात्मक दृष्टिकोण की उपज है इस बार का यह शीर्षक..साधुवाद।

हमारा ध्यान भी आजकल सभी की बुराइयों की तरफ पहले जाता है इसलिए अच्छाईयां इतनी नजर नही आती लेकिन सभी में बहुत सारी अच्छाईयां होती है।
स्वार्थ के माहौल के कारण हम उसका जिक्र कम करते है अतः हमें उसका अहसास होना कम हो गया है।

मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है, सबका अपना एक समाज है। सभी समाजों की तरह सीरवी समाज में भी बहुत सी अच्छाईयां है, और वो भी सबसे अलग, कुछ इस तरह...

1. साथ- मन से सच्चे बनाम अच्छे लोग एक दूसरे का सहयोग करते हुए साझे में मेहनतकश कृषिकार्य करते हुए साथ रहने लगे। इसी कारण वो सीरवी कहलाएं। साथ रहना अपने आप में बहुत बडा गुण था जो आज की एक बहुत बडी अच्छाई है। सीरवी समाज के जीवन की यह सच्चाई है।

और इसी एक प्रबल गुण के कारण हम और समाजों से भी हिल मिल रहते हुए जीवन यापन करते है। अर्थात ईश्वर के बनाएं सभी एक जीवात्मा संविधान का हम पालन करते है।

2. ईमानदारी - सीरवी समाज की ईमानदारी से सभी वाकिफ है। सीरवी ने सिर्फ और सिर्फ़ ईश्वर और माथे के पसीने पर विश्वास रखा अतः ईनाम छोडा लेकिन ईमान नही। यह भी बहुत बडा गुण है जो आज अच्छाई बनकर हमारा परिचय पूरे विश्व में करा रहा है।

3. स्वाभिमान - सीरवी ने हमेशा बगैर मेहनत के मिले फल को कभी नही चखा। ऐसे किसी भी ऑफर को विनम्रता से नकारा है। हमारे पुरखों ने किसी से भी मुफ्त में मिलने वाली चीजों को कभी नही स्वीकारा।

4. दाता - सीरवी समाज को चाहे जी तोड मेहनत करनी पडी लेकिन अपना हाथ हमेशा ऊपर यानि अपना स्वभाव दाता का रखा, ग्राही का कभी नही।
आज भी चाहे अव्यवस्था झेलनी पडे लेकिन हमारे हर एक कार्यक्रम में जाती धर्म से ऊपर उठकर सीरवी समाज ने सभी को न्यौता दिया है, बुलाया है जिसे सभी ने प्रेमपूर्वक सहर्ष स्वीकारा है।

5. विश्वास - सीरवी समाज ने अपनी मेहनत एवं ईमानदारी से एक अटूट विश्वास का तमगा पूरे विश्व में कायम किया है जिसकी आज पूरी दुनिया कायल है।

6. प्रामाणिकता - खुद चाहे ठगा गया लेकिन किसी और को ठगा नही क्योंकि दगा किसी का सगा नही, नही किया तो कर देखों, जिसने किसी को ठगा है पहले जाकर उसका घर देखो.. कहकर समझाने वाला सबका भला चाहने वाला सीरवी समाज भला किसी का बुरा कैसे कर सकता है.?

7. सीख - खुद अच्छा सीखने की ललक रखना और औरों को भी उसके लिए प्रेरित करना। निःस्वार्थ भाव से औरों के लिए अपना पैसा और अमूल्य समय खर्च करना अर्थात सीख के साथ सहयोग भी, यह एक प्रामाणिक अच्छाई है।

8. सेवासंस्कार - सीरवीसमाज सेवा के संस्कार से परिपूर्ण है। सेवा के लिए घरपरिवार से लेकर देशहित तक हरदम तैयार रहने वाला यह समाज अपनी पहचान सबसे जुदा, हमेशा कायम रखता है व आगे भी रखेगा इसी विश्वास के साथ..

- चौधरी नेनाराम राजाराम जी सीरवी" जवाली/पुणे।

संस्थापक- " श्री आईजी युवा मंच " पुणे।
सहसचिव - श्री आईजी विद्यापीठ संस्थान, जवाली।