दीवान साहब श्री माधव सिंह जी
समग्र उन्नति के लिए चाहिए संतुलन
सर्वप्रथम मैं धनतेरस पर्व की बधाई के साथ ही समस्त बन्धुजनों, वरिष्ठ नागरिकों एवं अनुज भाई-बहनों को दीपावली महापर्व की अग्रिम शुभकामना देता हूँ। मैं माता महालक्ष्मी से कामना करता हूँ कि वे सभी को स्वस्थ व समृद्ध तथा संस्कारों से परिपूर्ण रखें। अब बात करते हैं, समाज विकास की। जहाँ तक मेरी समाज के प्रति सोच है, तो मेरा मानना है कि समाज का वास्तविक विकास केवल आर्थिक प्रगति से नहीं होता, बल्कि यह शिक्षा, संस्कार, समानता और सामूहिक जिम्मेदारी से संभव है। शिक्षा और कौशल विकास यह समाज सुधार की सबसे मजब
Posted By govind singh seervi on पूरा पढ़े
"seervisamaj.com" ( सीरवी समाज डॉट कोम) पुरी दुनिया के सीरवी समाज को आपस मे जोड़ने के रुप मे स्वयं का मंच प्रदान करने वाला एक मात्र विश्वसनीय संगठन है जो समाज की एकता , समस्त संगठनों की योजक कड़ी तथा सभी रजिस्टर्ड संस्थाओं को बढावा देने को ध्यान मे रखकर स्वाभीमानी,संगठित,अनुशासित,व कर्मठ कार्यकर्ताओ के बल पर कार्यरत है ओर राष्ट्रीय द्रष्टीकोण के साथ शिक्षा के विकास , समाज सुधार व विकास के नए आयाम की सोच रखने वाले विद्वानों द्वारा बताए मार्ग पर चलते हुए सम्पूर्ण सीरवी समाज को आपस मे जोड़ना ही हमारा मुख्य उद्देश्य है। हमारी टीम पूर्ण लोकतांत्रिक पद्धति से कार्यरत रहते हुए आपने लक्ष्य की ओर अग्रसर है।
सीरवी एक क्षत्रिय कृषक जाति हैं. जो आज से लगभग 800 वर्ष पुर्व राजपूतों से अलग होकर राजस्थान के मारवाड़ व गौडवाड़ क्षेत्र में रह रही थी. कालान्तर के बाद यह लोग मेवाड़, मालवा, निम्हाड़ व देश के अन्य क्षेत्र में फेल गयें. वर्तमान में सीरवी समाज के लोग राजस्थान के अलवा मध्यप्रदेश , गुजरात , महाराष्ट्र , गोवा , कर्नाटक , आध्रप्रदेश , तमिलनाडु , केरल , दिल्ली , हिमाचल प्रदेश , दमन दीव , पांण्डिचेरी व देश के अन्य क्षैत्र में बड़ी संख्या में रह रहे हैं.
सीरवी समाज के इतिहास का बहुत कम प्रमाण उपलब्ध हैं. इतिहास के जानकार स्व. मास्टर श्री शिवसिंहजी चोयल भावी ( जिला जोधपुर ) वालों ने अपने सीमित सोधनों में जो कुछ भी तथ्य जुटाये उनके आधार पर खारड़िया राजपूतों का शासन जालोर पर था व राजा कान्हड़देव चौहान वंशीय थे उन्ही के वंश 24 गौत्रीय खारड़िया सीरवी कहलाये. सीरवियों के गौत्र इस प्रकार हैं. 1. राठौड़ 2. सोलंकी 3. गहलोत 4. पंवार 5. काग 6. बर्फा 7. देवड़ा 8. चोयल 9. भायल 10. सैणचा 11. आगलेचा 12. पड़ियार 13. हाम्बड़ 14. सिन्दड़ा 15. चौहान 16. खण्डाला 17. सातपुरा 18. मोगरेचा 19. पड़ियारिया 20. लचेटा 21. भूंभाड़िया 22. चावड़िया 23. मुलेवा 24. सेपटा. अधिकतर सीरवी आईमाता के अनुवयी हैं. श्री आईमाता का मंदिर राजस्थान के बिलाड़ा कस्बा में हैं.