सीरवी समाज - कवी केवल राम (चेन्नई) - ब्लॉग

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Posted By : Posted By seervi on 11 Sep 2019, 04:35:17
संदेश को पढो /गढो /और आगे बढो.....

फेसबुक से प्राप्त पोस्ट...

गौत्र.....??

पिता का गोत्र पुत्री को प्राप्त नही होता |

आइए जाने क्यूँ ?

अब एक बात ध्यान दें की स्त्री में गुणसूत्र xx होते है और पुरुष में xy होते है ।

इनकी सन्तति में माना की पुत्र हुआ (xy गुणसूत्र). इस पुत्र में y गुणसूत्र पिता से ही आया यह तो निश्चित ही है क्यू की माता में तो y गुणसूत्र होता ही नही !
और यदि पुत्री हुई तो (xx गुणसूत्र). यह गुण सूत्र पुत्री में माता व् पिता दोनों से आते है ।

१. xx गुणसूत्र

xx गुणसूत्र अर्थात पुत्री . xx गुणसूत्र के जोड़े में एक x गुणसूत्र पिता से तथा दूसरा x गुणसूत्र माता से आता है . तथा इन दोनों गुणसूत्रों का संयोग एक गांठ सी रचना बना लेता है जिसे Crossover कहा जाता है ।

२. xy गुणसूत्र

xy गुणसूत्र अर्थात पुत्र पुत्र में y गुणसूत्र केवल पिता से ही आना संभव है क्यू की माता में y गुणसूत्र है ही नही । और दोनों गुणसूत्र असमान होने के कारन पूर्ण Crossover नही होता केवल ५ % तक ही होता है । और ९ ५ % y गुणसूत्र ज्यों का त्यों (intact) ही रहता है ।

तो महत्त्वपूर्ण y गुणसूत्र हुआ । क्यू की y गुणस..
Posted By : Posted By seervi on 30 Aug 2019, 05:05:16
इन्फॉर्मेशन और बदलाव:

मानव जीवन की एक अभिलाषा रही है ज्ञान अर्जित करना , ज्ञान यानी नॉलेज जानकारी गर्भसार...


ज्ञान विषय वस्तु की वो जड़ जो हमें सत्य से मुलाकात करवाती है....

बात कर रहे है ज्ञान की..
इन्फॉर्मेशन आते ही हमारे अंदर परिवर्तन आने शुरू हो जाते हैं जो जटिल केमिकल का निर्माण करते हैं....

मतलब ज्ञान (इन्फॉर्मेशन) आने के साथ हमारे शरीर में परिवर्तन आते है। परिवर्तन निर्माण करते है क्या सोचते हैं वो बनाने में। यह कैसे होता है इसे एक उदाहरण से समझते हैं -

मान लीजिए की आप को कहा जाए आप सपने में भाग रहे है और आपके पीछे शेर पडा हुआ है। एक लपक और आपकी मृत्यु (वैसे सपने में कोई भी अपने आप को मरता हुआ नहीं देख सकता) निकट , फटाक से आपकी नींद खुल जाती हैऔर आप महसूस करते हैं पैर थके हुए सर पर पसीना ब्लड प्रेशर हाई।

भौतिक रूप से देखें तो आप के साथ ऐसा कुछ हुआ नहीं , तो फिर शरीर में आए बदलाव किसने किए ?

वो आपकी इन्फॉर्मेशन है....

ज्ञान सकारात्मक हो सकता है नकारात्मक भी...
पर बदलाव होते है ज्ञान से..

उस बदलाव से आपका व्यवहार निश्..
Posted By : Posted By seervi on 25 Aug 2019, 04:02:17
हमारे यहाँ एक दिक्कत है हम अपने आप को छोड़कर दुसरो को सपोर्ट करने में विश्वास रखते है, जबकि अगर आप अपने आप को जबतक सक्षम नहीं बनाएंगे तब तक आप कैसे किसी की सहायता कर पाएंगे। अगर मैं भटक जाउंगा तो आप क्या करेंगे, सवाल करेंगे या नहीं। यही हम गलत हो जाते है। अगर हम भटक गए तो आप पहले समझिये अच्छी बात है लेकिन आप जबतक मुझसे सवाल नहीं करेंगे तबतक मुझे अपनी गलती का एहसास नहीं होगा। जब आप पूछेंगे तो मैं सोचूंगा ना उससे पहले तक तो मुझे पता है मैं सही हूँ। क्योंकि किसी ने अभी तक सवाल नहीं किया, हम पहले अपने अंदर गलती ढूंढने लगते है। क्योंकि जहाँ आपने यह सोचा की समझने का प्रयत्न करेंगे वही आप उसके प्रति सही सोचने लगे, की वह सही हो सकता है।

जबतक आप पूछेंगे नहीं उसको सही गलत का फर्क पता नहीं चलेगा, अगर आप पूछेंगे तो आपको जवाब मिलेगा। हो सकता है वह सही हो लेकिन उसको अभी तक सोचने का मौका ही नहीं मिला। क्योंकि आपने ऊँगली उठाई तो उसको सोचने का मौका मिलेगा। जब सवाल जवाब होता है तो एक भावार्थ निकल कर आता है जिससे पता चलता है क्या सही है क्या गलत, हो सकता है आपने सवाल किया वह गलत ह..
Posted By : Posted By seervi on 02 Aug 2019, 03:19:20
किरलियान फोटोग्राफी ने मनुष्‍य के सामने कुछ वैज्ञानिक तथ्‍य उजागर किये हैं। किरलियान ने मरते हुए आदमी के फोटो लिए, उसके शरीर से ऊर्जा के छल्‍ले बाहर लगातार विसर्जित हो रहे थे, और वो मरने के तीन दिन बाद तक भी होते रहे। मरने के तीन दिन बाद जिसे हिन्‍दू तीसरा मनाता है।

अब तो वह जलाने के बाद औपचारिक तौर पर उसकी हड्डियाँ उठाना ही तीसरा हो गया। यानि अभी जिसे हम मरा समझते हैं वो मरा नहीं है। आज नहीं कल वैज्ञानिक कहते हैं तीन दिन बाद भी मनुष्‍य को जीवित कर सकेगें।

और एक मजेदार घटना किरलियान के फोटो में देखने को मिली। की जब आप क्रोध की अवस्‍था में होते हो तो तब वह ऊर्जा के छल्‍ले आपके शरीर से निकल रहे होते हैं। यानि क्रोध भी एक छोटी मृत्‍यु तुल्‍य है।

एक बात और किरलियान ने अपनी फोटो से सिद्ध की कि मरने से ठीक छह महीने पहले ऊर्जा के छल्‍ले मनुष्‍य के शरीर से निकलने लग जाते हैं। यानि मरने की प्रक्रिया छ: माह पहले शुरू हो जाती है, जैसे मनुष्‍य का शरीर मां के पेट में नौ महीने विकसित होने में लेता है वैसे ही उसे मिटने के लिए छ: माह का समय चाहिए। फिर तो दुर्घटना ज..
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