सीरवी समाज - पाक्षिक निबंध प्रतियोगिता - 1 (16 सितम्बर से 30 सितम्बर 2019) - ब्लॉग

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Posted By : Posted By seervi on 30 Sep 2019, 03:52:26
......समाज में शिक्षित स्त्री- और पारम्परिक पारिवारिक मूल्यों पर प्रभाव ............

एक स्त्री ही तो हैं ,जो एक अंश का निर्माण करती है ,उसी अंश से एक परिवार का निर्माण होता हैं और परिवार से समाज का और समाज से ही एक राष्ट्र का निर्माण होता है ।
परंतु पुरुष प्रधान होने के कारण स्त्री का दर्जा समाज में पुरुष से नीचे रखा गया है अब समाज में स्त्री शिक्षित हो या अशिक्षित उसकी कोई तुलना नहीं करना चाहिए बल्कि समाज में स्त्री को समानता का अधिकार होना चाहिए ।
फिर भी विषय शिक्षित स्त्री का हे -
अब यदि समाज जनता हे की स्त्री से एक अंश का निर्माण होता है तो स्त्री को शिक्षित करना भी जरुरी होना चाहिए यदि स्त्री शिक्षित होगी तो ही शिक्षित परिवार ,समाज और शक्षित राष्ट्र का निर्माण होगा लेकिन कुछ अंधविश्वास के कारण स्त्री को झुकना ही पड़ता है अब सवाल उठता है कि कैसे स्त्री को अंधविश्वास के कारण झुकना पड़ता है ।
एक परिवार में दो जुड़वाँ बच्चे पैदा होते है तो एक लड़का है और एक लड़की , अब जुड़वाँ बच्चो की परवरिश एक जैसी होती है क्योंकि समाज इसे भगवान का आशीर्वाद मानते है ,लेकिन जैसे ज..
Posted By : Posted By seervi on 29 Sep 2019, 04:31:54
आलेख:-समाज में शिक्षित स्त्री औऱ पारम्परिक पारिवारिक मूल्यों पर प्रभाव:-
अपना देश विश्व में अपने सांस्कृतिक विरासत के उच्च आदर्श मूल्यों के लिए प्रसिद्ध है।इस देश के आदर्श मूल्य,परम्पराए औऱ सामाजिक प्रतिमान एक अनमोल धरोहर की तरह है।इस देश में मूल्य,परम्पराए औऱ सामाजिक प्रतिमान आनुवांशिक गुणों की तरह एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में स्थानांतरित होते आए है। यह सही है कि समय के साथ उनमें कुछ परिवर्तन भी आए है।इस आलेख "समाज में शिक्षित स्त्री और पारम्परिक पारिवारिक मूल्यों पर प्रभाव" के मूल में जानने से पहले हमें स्त्री की शैक्षिक स्थिति औऱ पारम्परिक पारिवारिक मूल्यों को जानना जरूरीहै।
प्राचीन काल में शिक्षा का अभाव था।शिक्षा में भी नारी शिक्षा बहुत ही कम थी।वैदिक काल में नर-नारी को समान अधिकार थे औऱ उनके आदर्श भी थे।नारियों को पढ़ने की आजादी थी औऱ वे शास्त्रार्थ में भी भाग लेती है।मैत्रयी औऱ गार्गी इनके उदाहरण है। वैदिक काल के उत्तरार्द्ध औऱ मध्यकाल में नारी शिक्षा पर ग्रहण लग गया औऱ नारी को तत्कालीन परिस्थितियों के कारण घर की चार दीवारी में कैद ..
Posted By : Posted By seervi on 25 Sep 2019, 12:54:26
समाज में शिक्षित स्त्री ओर पारंपरिक मूल्यों पर प्रभाव ? विचार मेरे विचारों में ?
नारी का शिक्षित होना न केवल एक परिवार के लिए बल्कि हमारे समाज व हमारे राष्ट्र के लिए भी परमावश्यक है | परिवार में यदि स्त्री पड़ी लिखी है तो वह परिवार का उचित मार्ग दर्शन कर सकती है | परिवार को आगे बढ़ाने में अपनी शिक्षा के बल पर वह परिवार की आर्थिक रूप से मदत कर सकती है | सामाजिक कार्यों में अपना सहयोग दे सकती है | समाज के विकास में अपना पूर्ण सहयोग प्रदान कर सामाजिक विकास को गति प्रदान कर सकती है | वर्तमान समय में एसा कोई क्षेत्र नहीं जहाँ नारी अपनी भूमिका न निभाती हो | शिक्षा, साहित्य, व्यवसाय, खेल, राजनीति हर क्षेत्र में नारी अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हुई एक मिसाल कायम कर रही है |
? शिक्षित नारी सबपे भारी
हमेशा निभाती अपनी जिम्मेदारी
कभी ना दिखाती कोई लाचारी
शिक्षित नारी कभी ना हारी ?
स्त्री यदि पड़ी लिखी है तो वह स्वयं तो आत्म निर्भर बनती है साथ ही उसके दोनों परिवार भी आत्मनिर्भर बनते है प्राचीन कल से लेकर वर्तमान समय तक नारी की महत्ता को ठुकराया नहीं जा सकता | प्राच..
Posted By : Posted By seervi on 19 Sep 2019, 12:25:17
प्रिय स्वजनो
सादर वन्दे ।
सीरवी समाज मे नारी शिक्षा प्रगति पथ पर है , हर मां बाप अपनी बेटी को पढाना चाहता है, पढाता है ।

नारी शिक्षा के बारे मे सत्य कहा गया है कि एक बालिका के पढऩे से सात पीढियों को फायदा होता है । जब लडकी पढती है तो पुरा परिवार उसको सम्मान देता है , घर परिवार मोहल्ले मे उसका मान होता है , जितनी गहनता से बेटियां शिक्षा ग्रहण करने मे मन लगाती है उतना बेटे नही लगाते ।?

समाज मे बेटियों का शैक्षणिक स्तर सुधरा है मगर माध्यमिक विद्यालयों से आगे मार्ग अवरूद्ध हो जाता है , मसलन अन्य गांव या बडे शहरों के कॉलेजों मे जाना, सगाई सगपण की तैयारियां , जवानी की दहलीज पर बढते कदम ।
उच्छ शिक्षा मे फिलहाल सीरवी समाज जितना प्रगतिशील होना चाहिए था उसके अनुपात मे बहुत कम है ,, इसके बहुत ही कारण है जैसै कम उम्र मे सगाई , अदलाबदली के सगपण , भाई-भतीज या अन्य के बदले मे उसकी सगाई , कॉलेजों मे अध्ययन हेतु अन्यो शहरो मे जाना,, कुच्छ नाममात्र लडकियों के पैर फिसलना और इसी तरह के बहुत से कारण है जो बेटियों को उच्च व उच्चतम शिक्षा मे रोडा बनते है ।

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