सीरवी समाज - लिखमाराम गहलोत, बिलाड़ा - ब्लॉग

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Posted By : Posted By जितेन्द्र सिंह राठौड़ on 20 Jul 2019, 08:13:30
जीवन में ज्ञान और प्रेरणा कहीं से भी एवं किसी से भी मिल सकती है। मित्रों आज मैंने एक कविता पढ़ी , पढकर लगा कि प्रकृति ऐसे अंनत कारणों से भरी हुई है, जो हमें सिखाती है कि जीवन हरपल आनंद से सराबोर है। नदियों का कल कल करता संगीत, झूमते गाते पेङ, एवं छोटे छोटे जीव हमें सिखाते हैं कि जीवन को ऐसे जियो कि जीवन का हर पल खुशियों की सौगात बन जाये।
मैं आपके साथ भी वह कविता बांटना चाहुँगा ! !
कुकङु कू कहता मुर्गा, जागो जागो ओ नादान
शीध्र सवेरे उठने वाला, पाता है बल विद्यामान।
कू-कू करती कहती कोयल, मीठी बात हमेशा बोल
मेल जोल ही बङी चीज है, कभी न लेना झगङा मोल।
चीं-चीं करती कहती चिङिया हमको बारंबार
संघटन में शक्ती है बङी, दुश्मन जाता जिससे हार।
उपरोक्त कविता में कितनी आसानी से जीव जंतुओं ने अपनी अच्छाईयों से जीवन को संवारने का संदेश दिया है। ऐसे कई जीव हैं जो हमे सकारात्मक जीवन की प्रेरणा देते हैं। कुनबे के साथ रहने वाली चींटी, संर्घष और मेहनत का सजीव उदाहरण है। हिम्मत करने वालों की हार नही होती के माध्यम से चीटियों के संर्घष को बहुत ही खूबसूरती से परिलाक्षित किया..
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