सीरवी समाज - विनीता सिंह राठौड़ (सुमेरपुर) - ब्लॉग

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Posted By : Posted By seervi on 11 Oct 2019, 08:09:06
त्वमेव माता च पिता त्वमेव,
त्वमेव बन्धुश्च सखा त्वमेव।
त्वमेव विद्या च द्रविणं त्वमेव,
त्वमेव सर्वम् मम देवदेवं।।

सरल-सा अर्थ है, 'हे भगवान! तुम्हीं माता हो, तुम्हीं पिता, तुम्हीं बंधु, तुम्हीं सखा हो। तुम्हीं विद्या हो, तुम्हीं द्रव्य, तुम्हीं सब कुछ हो। मेरे देवता हो।'

बचपन से प्रायः सबने पढ़ी है। छोटी और सरल है इसलिए रटा दी गई है। बस त्वमेव माता भर बोल दो, सामने वाला तोते की तरह पूरा श्लोक सुना देता है।

मैंने 'अपने रटे हुए' कम से कम 50 मित्रों से पूछा होगा, 'द्रविणं' का क्या अर्थ है? संयोग देखिए एक भी न बता पाया। अच्छे खासे पढ़े-लिखे भी। एक ही शब्द 'द्रविणं' पर सोच में पड़ गए।

द्रविणं पर चकराते हैं और अर्थ जानकर चौंक पड़ते हैं। द्रविणं जिसका अर्थ है द्रव्य, धन-संपत्ति। द्रव्य जो तरल है, निरंतर प्रवाहमान। यानी वह जो कभी स्थिर नहीं रहता। आखिर 'लक्ष्मी' भी कहीं टिकती है क्या!

कितनी सुंदर प्रार्थना है और उतना ही प्रेरक उसका 'वरीयता क्रम'। ज़रा देखिए तो! समझिए तो!

सबसे पहले माता क्योंकि वह है तो फिर संसार में किसी की जरूरत ही नहीं। इसलिए हे प्रभु! ..
Posted By : Posted By seervi on 09 Aug 2019, 05:49:05
मान्यता के आधार पर अगर देखा जाये तो दुनिया में दो प्रकार के लोग होते है – एक आस्तिक और दुसरे नास्तिक । नास्तिक होना भी तब तक बुरा नही है जब तक कि आप दुसरे की भावनाओं को ठेस ना पहुचायें । आस्तिक लोगों में एक अलग ही प्रकार की शक्ति होती है, जिसे श्रृद्धा और विश्वास की शक्ति कहा जा सकता है । फिर चाहे वो किसी भी ईश्वर, मजहब या देवी – देवता को मानते हो । अगर आपके पास ईश्वर विश्वास की ताकत है तो आप इस दुनिया के सबसे खुशहाल व्यक्ति हो सकते है । क्योंकि जिसको ईश्वर में विश्वास होता है, उसी को ईश्वर की प्रेरणा होती है ।

पहली कहानी

आत्मा का संकेत – ईश्वर की प्रेरणा

एक बार एक बुढ़िया माथे पर कपड़े व गहनों की गठरी और साथ में छोटी सी बेटी को लेकर एक गाँव से दुसरे गाँव जा रही थी । चलते चलते वह कुछ ही दूर पहुँची होगी कि पीछे से एक घुड़सवार आया ।
घुड़सवार को अकेला देख बुढ़िया ख़ुशी से बोली – “ बेटा ! आज बहुत धुप है और गर्मी भी बहुत है, यदि तुझे कोई आपत्ति ना हो तो इस गठरी और मेरी बेटी को अपने घोड़े पर बिठाकर अगले गाँव छोड़ देगा ?”
घुड़सवार बोला – “ ना माई ! इतना वजन मेरा घोड़ा नहीं सं..
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