सीरवी समाज - मुख्य समाचार
Posted By : Posted By Mangal Senacha on 23 Mar 2010, 09:48:11
जोधपुर. चौपासनी शोध संस्थान के पूर्व मानद् निदेशक डॉ. हुकुम सिंह भाटी का कहना है कि दुनिया में सबसे ज्यादा पांडुलिपियां भारत में लिखी गईं। भारत में सर्वाधिक पांडुलिपियां राजस्थान में लिखी गई और राजस्थान में भी मारवाड़ अंचल पांडुलिपियां लिखने में अव्वल रहा है।
वे राष्ट्रीय पांडुलिपि मिशन एवं प्राच्य विद्या संस्थान द्वारा संयुक्त रूप से मंगलवार को प्राच्य विद्या संस्थान में शुरू हुई तीन दिवसीय ‘ग्रंथ संरक्षण की अभिनव विधियां’ कार्यशाला एवं पांडुलिपियों में निहित भक्ति साहित्य विषयक तत्वबोध व्याख्यान माला के उद्घाटन सत्र को संबोधित कर रहे थे। इस मौके जेएनवीयू के कुलपति नवीन माथुर ने कहा कि पांडुलिपियों में संचित ज्ञान को समेटना आवश्यक है। यह कार्य विशेषज्ञता का है तथा अनुभव से ही किया जा सकता है। पांडुलिपि संरक्षण विशेषज्ञ तथा नेशनल म्यूजियम के पूर्व निदेशक डॉ. एसपी सिंह ने कहा कि पांडुलिपि के नष्ट होने पर एक ग्रंथ ही नष्ट नहीं होता बल्कि मानव सभ्यता की ओर से अर्जित और संचित ज्ञान नष्ट होता है।
मुख्य वक्ता डॉ. देवेंद्र कुमार सिंह गौतम ने कहा कि राजस्थान का पूरा मध्यकाल भक्तिमय था। उस काल का साहित्य राज्य के विभिन्न ग्रंथालयों, भंडारों एवं संग्रहालयों में संग्रहित है जिसे सामने लाने की जरूरत है। प्राच्य विद्या संस्थान के निदेशक श्यामसिंह राजपुरोहित नेप्रतिष्ठान और राष्ट्रीय पांडुलिपि मिशन की ओर से किए जा रहे प्रयासों की जानकारी दी। संचालन डॉ. वसुमति शर्मा ने किया।
साभार - दैनिक भास्कर