सीरवी समाज - मुख्य समाचार
Posted By : Posted By Mangal Senacha on 21 Mar 2010, 11:30:24
बड़वानी। सरकार जहां एक ओर किसानों को साहूकार के कर्ज से मुक्त कराने के प्रयास कर रही है, वहीं दूसरी ओर किसानों को बैंक से कृषि ऋण लेने में कड़ी मशक्कत करना पड़ रही है। अपनी ही जमीन के एवज में ऋण लेने में किसानों को कई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। मार्च में किसान कृषि ऋण के लिए बैंकों के चक्कर काटना शुरू कर देते हैं।
किसानों को कृषि ऋण उपलब्ध कराने में दलाल सक्रिय हो गए हैं। ऋण दिलाने में दलाल कुछ बैंक के कर्मचारियों और अधिकारियों से सांठगांठ कर किसानों को ठग रहे हैं। आदिवासी बहुल क्षेत्र होने से क्षेत्र में कई किसान अशिक्षित हैं। अशिक्षा के कारण उन्हें दलाल आसानी से बेवकूफ बनाकर अपना हित साध लेते हैं। किसानों को ऋण दिलाने में दलाल और कुछ बैंक के कर्मचारी व अधिकारी चांदी काट रहे हैं। पहले ही किसान अनेक समस्याओं से त्रस्त हैं और बीच में दलालों की सक्रियता से वे ठगा रहे हैं।
लेते हैं 10 से 15 प्रतिशत
किसानों का कृषि ऋण दिलाने व बैंक में लगने वाले जरूरी कागजातों को पूरा करने में दलाल ऋण मिलने के बाद किसानों से 10 से 15 प्रतिशत तक रूपए वसूल रहे हैं। ऎसे में किसी किसान को एक लाख रूपए का कर्ज लेना हो तो 15 हजार रूपए दलाल को देना पड़ती हैं। इस राशि में बैंक के लोगों का भी हिस्सा रहता है। दलालों और कुछ बैंकों के कर्मचारी व अधिकारियों की मिलीभगत से यह धंधा फलफूल रहा है।
इस गोरखधंधे की जडें गांव-गांव तक फैल गई हैं। पहले ही कर्ज के बोझ तले दबे किसानों के पास दलालों का सहारा लेने के अलावा कोई चारा नहीं होता। जो व्यवस्थाएं किसानों को कृषि कार्य के लिए आर्थिक रूप से सहायता देने के लिए बनाई गई है वे ही किसानों के शोषण का कारण बन रही है।
नहीं है किसी का ध्यान
किसानों को ऋण दिलाने के नाम पर दलालों द्वारा अपना मकड़जाल तेजी से फैलाया जा रहा है। क्षेत्र के भोले भाले किसानों को ये दलाल आसानी से अपने जाल में फांस लेते हैं। इसके बाद शुरू होता है किसानों की लूट- खसोट का खेल। क्षेत्र में तेजी से फैल रहे इस गोरखधंधे की ओर किसी भी प्रशासनिक अधिकारियों का ध्यान नहीं जा रहा है।
किसान बोले...
किसानों को ऋण दिलाने के नाम पर बिचौलिए सक्रिय हैं। इन लोगों पर नकेल कसी जानी चाहिए। बैंकों द्वारा किसानों का सीधे तौर पर कृषि ऋण उपलब्ध कराया जाना चाहिए। बैंक कर्मचारियों को इमानदारी से अपना काम करना चाहिए। कृषि ऋण लेने की प्रक्रिया बहुत लंबी है इस प्रक्रिया में भी सुधार होना बहुत आवश्यक है और यह प्रक्रिया पारदर्शी होना चाहिए। कृषि ऋण लेने में लगने वाले दस्तावेजों की जानकारी बैंक के सूचना पटल पर चस्पा करना चाहिए ताकि किसानों को सुविधा हो। -लोकेन्द्र धनगर, किसान ग्राम केशरपुरा
मार्च में किसान कृषि ऋण के लिए दौड़ता है। इस क्षेत्र के कई किसान अशिक्षित हैं। इन लोगों को बरगलाकर दलाल अपना हित साध लेते हैं। किसानों की कमजोरियों का फायदा दलाल और बैंक वाले उठा रहे हैं। किसान पहले से वैसे ही बहुत परेशान हैं। किसानों को अपनी ही भूमि पर ऋण लेने में बैंकों के कई चक्कर काटने पड़ते हैं। मजबूर किसान इन दलालों के झांसे में आकर ठगी का शिकार हो रहे हैं।-ओमप्रकाश यादव, किसान पिपरी
बड़ी बैंकों से किसानों को ऋण लेने में ज्यादा समस्याएं आती हैं। वहां किसानों को कई नियम- कायदे बताए जाते हैं। किसानों को ऋण दिलाने के नाम पर दलाल चांदी काट रहे हैं। कुछ बैंको के कर्मचारी व अधिकारी भी इस गोरखधंधे में मिल हुए हैं। किसानों का खुले आम शोषण किया जा रहा है। इन लोगों पर कड़ी कार्रवाई होना चाहिए। -सुरेश मुकाती, किसान बोरलाय
साभार- पत्रिका इंदौर