सीरवी समाज - मुख्य समाचार
Posted By : Posted By Mangal Senacha on 10 Mar 2010, 13:36:31
सोजत/ सांडेराव.फाल्गुन माह में होली की छटां को मदमस्त करने वाले गीतों की गूंज से जिलेभर की गलियां व मोहल्ले गुंजने लगे हैं। परंपरागत होली गीतों के साथ डीजे के तड़के से भरपूर गीतों से सजी कैसेट, सीडी, डीवीडी की बिक्री यकायक बढ़ गई है। इससे सीडी व डीवीडी के कारोबारियों के चेहरों पर भी रौनक है। इस बार उनके व्यवसाय में गजब का उछाल आया है।
हर ओर फाल्गुनी गीतों का शोर लोगों के दिलों को फड़कते होली के गीतों ने मदमस्त कर रखा है। घर व दुकानों में तो क्या टैक्सी, टै्रक्टर व ट्रकों में भी होली के गीत सुनाई देने लगे है। 'नाचण दे चंग पेÓ, 'उड़ती निंदड़लीÓ, 'मामी गावे फागणÓ, 'फागण आयो जी मेहमानÓ, 'एडी रे ठमकेÓ, 'रसिलो फागणÓ, 'रंग-रंगीली होलीÓ, 'ताऊ होली खेलण देÓ, 'डीजे पर नाचू फागणÓ तथा 'गाया चरावण कुण जासीÓ सरीखे गीत लोगों के जुबां पर चढ़े हुए हैं।
देशी पेटर्न आज भी सबकी पसंद कैसेट विक्रेता दीपक बताते हंै कि पिछले तीन- चार सालों से देशी गीतों पर पंजाबी पैटर्न डीजे हावी हो चुका है। हर गीत में उसका टच आए बिना नहीं रहता। इसके बाद भी देसी पेटर्न पर गाए गए होली के गीतों की क्रेज आज भी बरकरार है। अधिकांश लोग अभी भी देसी गीतों की कैसेट, सीडी व डीवीडी खरीद रहे हैं। इसके अलावा लोग गीतों की बजाय संगीत को महत्व देने वाले लोगों का भी अपनी पसंद है। इन्द्रा डावरा, रतन खुडी, अविता पटेल, दुर्गा जसराज, मनोहर लुहार, मीता नायक, कैलाश राव की गायकी पहली पसंद में शुमार है। इसके अलावा भी कई ऐसे गायक हैं जिनके सीडी काफी पसंद की जा रही है।
नहीं है चंग की आवाजेंचंग की थाप के बिना होली का मजा अधूरा ही माना गया है, लेकिन वर्तमान में कैसेट व सीडी चलन में कई ऐसे हैं जिनमें चंग की आवाज तक नहीं है
बावजूद इसके इनकी अच्छी बिक्री हो रही है।
साभार - दैनिक भास्कर