सीरवी समाज - मुख्य समाचार
Posted By : Posted By Mangal Senacha on 04 Mar 2010, 10:17:25
पाली,मौसम में अचानक हुए परिर्वतन से इन दिनों कई किसानों के चेहरों पर मायूसी छा गई है। खेतों में बोई फसल इन दिनों पकने की अवस्था में है तो कई जगह पक भी गई है, ऐसे में पिछले दो दिन से बादल छाए रहने और बूंदाबांदी होने से जीरे की फसल में रोग की संभावना बढ़ गई है। किसानों का कहना है कि कुछ दिनों पहले हुई बारिश से भी जीरे की फसल में खासा खराबा हुआ था, अब फिर मौसम पलटने से छाछिया रोग व मोयला कीट का प्रकोप बढ़ेगा। रायपुर व जैतारण क्षेत्र में जीरे में अधिक खराबा बताया जा रहा है। किसानों का कहना है कि इतने दिन तो सब कुछ ठीक ठाक था, लेकिन अब फसल पकने की अवस्था में आ गई है और मौसम धोखा दे रहा है। कृषि विभाग के अधिकारियों के अनुसार इस बार करीब 10 हजार हैक्टेयर क्षेत्र में जीरे की बुवाई हुई थी, पिछले दिनों हुई बारिश से 10 प्रतिशत तक खराबा हुआ था, अब वापस बादल छाए रहने के कारण खराबा और अधिक बढ़ सकता है। काजरी के वैज्ञानिकों का कहना है कि बादल छाए रहने और मौसम में नमी के कारण जीरे की फसल में छाछिया रोग फैलने की संभावना अधिक हो गई है।
तो मोयला कीट भी फसल को नुकसान पहुंचाएंगे। ऐसे में दस प्रतिशत तक नुकसान होने का अनुमान है। साथ ही मौसम के बदलाव से मैथी की फसल में भी नुकसान होगा। कृषि विभाग के अधिकारी भी मौसम बदलने से जीरे की फसल में रोग होने की संभावना जता रहे हैं। उद्यानिकी विभाग के सहायक निदेशक इंदाराम चौधरी ने जीरे की फसल को रोग से बचाने के लिए 25 किलो प्रति हैक्टेयर के हिसाब से गंधक का भूरकाव करने की सलाह दी है।
इनका कहना है...
बादल छाए रहने और बूंदाबांदी से जीरे की फसल में छाछिया व मोयला कीट के प्रकोप की संभावना बनी है, हालांकि फसल पकने की अवस्था में होने के कारण अधिक प्रभाव नहीं पड़ेगा।
-रमेश कुमार जारोली, उप निदेशक, कृषि विभाग, पाली।
बादल छाए रहने और बूंदाबांदी से मौसम में नमी आ गई है, जिससे जीरे व मैथी की फसल में छाछिया रोग की संभावना बनी हुई है, मोयला कीट भी बढ़ेगा।
-डॉ. धीरजसिंह, प्रभारी काजरी, पाली।
साभार - दैनिक भास्कर