सीरवी समाज - मुख्य समाचार

Posted By : Posted By Mangal Senacha on 02 Mar 2010, 11:38:43

गाँवों की दूरी पट गई शोभायात्रा में
गेर मंडलों, गरबा नृत्य दलों, नृत्य करती घोड़ी की प्रभावी प्रस्तुति
कुक्षी/बड़दा। आई माताजी मूर्ति प्राण-प्रतिष्ठा महोत्सव के अंतर्गत चौथे दिन मंगलवार को धर्मगुरु दीवान माधवसिंहजी व ५०० वर्ष पुराने धर्मरथ बैल के ग्राम में प्रथम आगमन पर ऐतिहासिक शोभायात्रा निकाली गई। दो किलोमीटर लंबी यात्रा में महिलाएँ, बालिकाएँ, युवा एवं पदाधिकारी विशेष वस्त्र परिधान धारण कर कार्यक्रम को विशिष्टता प्रदान कर रहे थे। यात्रा ने दो गाँवों की दूरियों को पाट दिया। ग्राम आली से निकली शोभायात्रा का दूसरा छोर ग्राम बड़दा तक पहुँच गया।
धर्मरथ बैल : शोभायात्रा में सबसे अधिक आस्था का केंद्र धर्मरथ बैल रहा। इसकी अद्भुत कलाकृति आकर्षण का केंद्र रही। इसी रथ पर सवार होकर आई माताजी ने धर्म का प्रचार-प्रसार किया था।
शोभायात्रा की भव्यता : शोभायात्रा में आकर्षक रथ पर दीवान साहब विराजित थे। अन्य रथों पर श्री जति भगा बाबा, श्री भँवरजी महाराज नारलाई, श्री ब्रजमोहनदासजी, श्री बद्रीदासजी आदि संत थे।
शोभायात्रा में माँ आईजी के भक्ति गीतों पर सिलकुआँ, टांडा, पिपरनी आदि के विशिष्ट साजो-सामान व वेशभूषा से सजे गेर मंडलों ने लोगों को थिरकने पर विवश कर दिया। सबसे आगे धर्म ध्वजा, चणीया चोली पहनी सैकड़ों युवतियों द्वारा गरबा नृत्य, अप्पू-पप्पू, एक ही परिधान में नृत्य करती महिलाएॅं, घोड़ों पर सवार धर्मरक्षक, हाथ में ध्वजा व बंदूक लिए १२ ढोलों पर राजस्थानी व मारवाड़ी नृत्य करते हुए युवा व बुजुर्ग विशेष आकर्षण का केंद्र रहे। २० से अधिक डे्रस कोड में समाज के महिला-पुरुषों ने वेशभूषा पहन रखी थी।
भव्य स्वागत : मीडिया प्रभारी संतोष बर्फा ने बताया कि यह महोत्सव सर्वधर्म समभाव व समग्र समाज का महोत्सव बन गया। शोभायात्रा में दीवान साहब का अभिनंदन बोहरा समाज, मुस्लिम समाज, ब्राह्मण समाज, राठौड़ समाज, सेन समाज, दर्जी समाज, मारवाड़ा समाज सहित हर जाति वर्ग समुदाय ने शॉल-श्रीफल व माल्यार्पण से स्वागत किया। डही मंडल महामंत्री विनोद राठौड़, मनीष भार्गव के नेतृत्व में भी दीवान साहब का स्वागत किया गया। भुरिया कुआँ सोलंकी परिवार एवं भगवानजी बर्फा द्वारा शीतल पेय (शरबत) की व्यवस्था की गई थी।
वैदिक संस्कार : इधर यज्ञशाला में शतचंडी एवं रुद्र महायज्ञ में यज्ञाचार्य पं. श्रीकृष्ण मेनन शर्मा के निर्देशन में मूर्ति का महाअभिषेक एवं शय्याधिवास संस्कार हुआ। भगवान भोलेनाथ का भाँॅग एवं मिठाई से श्रृृंगार किया गया। भंडारा स्व. नेनाजी परिहार की ओर से हुआ। मंगलवार की रात्रि में मनिष तिवारी की भजन संध्या भी हुई।
आज पूर्णाहुति : महाशिवरात्रि के पावन पर्व पर भगवान शंकर का महाभिषेक, आई माता की मूर्ति प्राण-प्रतिष्ठा, पूर्णाहुति एवं महाआरती २ मार्च को होगी। सिर्वी सकल पंच द्वारा ग्राम चौरासी (भंडारा) भी होगा। इसमें १० हजार से अधिक भक्त भोजन प्रसादी ग्रहण करेंगे।
महोत्सव का शुभारंभ
कुक्षी/आली। समीपस्थ ग्राम आली में आई माताजी मूर्ति प्राण-प्रतिष्ठा महोत्सव के तहत १ से ७ मार्च तक चलने वाले इस धार्मिक महोत्सव का शुभारंभ मंगलवार को हुआ। इस अवसर पर निकली कलश यात्रा के साथ पं. अरुण जोशी ने कलश की पूजा-अर्चना की। डीजे पर भजनों की धुन पर युवक-युवतियाँ झूम रहे थे। वहीं कतारबद्घ महिलाएॅं, बालिकाएॅं आकर्षक वस्त्रों के साथ गरबा नृत्य कर रही थीं। बैंडबाजों व ढोलताशों के साथ निकली यात्रा ग्राम के प्रमुख मार्गों से होती हुई सभा मंडप पहुँची।
जगह-जगह पुष्पवर्षा : कलश यात्रा का जगह-जगह पुष्पवर्षा से स्वागत किया गया। मीडिया प्रभारी डॉ. विष्णु बर्फा ने बताया कि ६ मार्च को धर्मगुरु दीवान साहब एवं धर्मरथ बैल के आगमन पर बजरंग ढाबा से शोभायात्रा के साथ ग्राम आली में प्रवेश कराया जाएगा। कलश यात्रा को भव्यता प्रदान करने में हेमाजी कोटवाल, मुलाजी मुकाती, शंकर जिराती, भीमाजी जमादारी, चैनालाल चौधरी, सिर्वी समाज अध्यक्ष बाबूलाल बर्फा, ऊॅंकार मुलेवा, भगवान सोलंकी, भगवान बर्फा, विजय साधु, महेश बर्फा, मोतीजी मुकाती आदि का सराहनीय सहयोग रहा। -निप्र ङ"ख११ऋ
शोभायात्रा के दौरान दीवान साहब का सम्मान करते हुए बोहरा समाज के सदस्य।
ग्राम बड़दा में सिर्वी समाज के धर्मगुरु दीवान साहब की शोभायात्रा। यह इतनी विशाल थी कि पहला छोर ग्राम आली में तो दूसरा छोर ग्राम बड़दा तक पहुँच गया। फोटो : दिलीप ठाकुरकुक्षी/बड़दा। आई माताजी मूर्ति प्राण-प्रतिष्ठा महोत्सव के अंतर्गत चौथे दिन मंगलवार को धर्मगुरु दीवान माधवसिंहजी व ५०० वर्ष पुराने धर्मरथ बैल के ग्राम में प्रथम आगमन पर ऐतिहासिक शोभायात्रा निकाली गई। दो किलोमीटर लंबी यात्रा में महिलाएँ, बालिकाएँ, युवा एवं पदाधिकारी विशेष वस्त्र परिधान धारण कर कार्यक्रम को विशिष्टता प्रदान कर रहे थे। यात्रा ने दो गाँवों की दूरियों को पाट दिया। ग्राम आली से निकली शोभायात्रा का दूसरा छोर ग्राम बड़दा तक पहुँच गया।
धर्मरथ बैल : शोभायात्रा में सबसे अधिक आस्था का केंद्र धर्मरथ बैल रहा। इसकी अद्भुत कलाकृति आकर्षण का केंद्र रही। इसी रथ पर सवार होकर आई माताजी ने धर्म का प्रचार-प्रसार किया था।
शोभायात्रा की भव्यता : शोभायात्रा में आकर्षक रथ पर दीवान साहब विराजित थे। अन्य रथों पर श्री जति भगा बाबा, श्री भँवरजी महाराज नारलाई, श्री ब्रजमोहनदासजी, श्री बद्रीदासजी आदि संत थे।
शोभायात्रा में माँ आईजी के भक्ति गीतों पर सिलकुआँ, टांडा, पिपरनी आदि के विशिष्ट साजो-सामान व वेशभूषा से सजे गेर मंडलों ने लोगों को थिरकने पर विवश कर दिया। सबसे आगे धर्म ध्वजा, चणीया चोली पहनी सैकड़ों युवतियों द्वारा गरबा नृत्य, अप्पू-पप्पू, एक ही परिधान में नृत्य करती महिलाएॅं, घोड़ों पर सवार धर्मरक्षक, हाथ में ध्वजा व बंदूक लिए १२ ढोलों पर राजस्थानी व मारवाड़ी नृत्य करते हुए युवा व बुजुर्ग विशेष आकर्षण का केंद्र रहे। २० से अधिक डे्रस कोड में समाज के महिला-पुरुषों ने वेशभूषा पहन रखी थी।
भव्य स्वागत : मीडिया प्रभारी संतोष बर्फा ने बताया कि यह महोत्सव सर्वधर्म समभाव व समग्र समाज का महोत्सव बन गया। शोभायात्रा में दीवान साहब का अभिनंदन बोहरा समाज, मुस्लिम समाज, ब्राह्मण समाज, राठौड़ समाज, सेन समाज, दर्जी समाज, मारवाड़ा समाज सहित हर जाति वर्ग समुदाय ने शॉल-श्रीफल व माल्यार्पण से स्वागत किया। डही मंडल महामंत्री विनोद राठौड़, मनीष भार्गव के नेतृत्व में भी दीवान साहब का स्वागत किया गया। भुरिया कुआँ सोलंकी परिवार एवं भगवानजी बर्फा द्वारा शीतल पेय (शरबत) की व्यवस्था की गई थी।
वैदिक संस्कार : इधर यज्ञशाला में शतचंडी एवं रुद्र महायज्ञ में यज्ञाचार्य पं. श्रीकृष्ण मेनन शर्मा के निर्देशन में मूर्ति का महाअभिषेक एवं शय्याधिवास संस्कार हुआ। भगवान भोलेनाथ का भाँॅग एवं मिठाई से श्रृृंगार किया गया। भंडारा स्व. नेनाजी परिहार की ओर से हुआ। मंगलवार की रात्रि में मनिष तिवारी की भजन संध्या भी हुई।
आज पूर्णाहुति : महाशिवरात्रि के पावन पर्व पर भगवान शंकर का महाभिषेक, आई माता की मूर्ति प्राण-प्रतिष्ठा, पूर्णाहुति एवं महाआरती २ मार्च को होगी। सिर्वी सकल पंच द्वारा ग्राम चौरासी (भंडारा) भी होगा। इसमें १० हजार से अधिक भक्त भोजन प्रसादी ग्रहण करेंगे।