सीरवी समाज - मुख्य समाचार
Posted By : Posted By Mangal Senacha on 26 Feb 2010, 17:45:32
'पग घुंघरु बांध मीरा नाची रे, मैं तो मेरे
नारायण की आपहि हो गई दासी रे,
लोग कहे मीरा भई बावरी, न्यात कहे कुलनासी रे,
विष का प्याला राणाजी भेज्या, पीवत मीरा हांसी रे,
मीरा के प्रभु गिरिधर नागर, सहज मिले अविनासी रेÓ
भक्तिमती मीरा बाई रचित यह छंद सुनते ही उनका जीवन वृतांत हमारे सामने आता है, तो पूरा पाली खुद को गौरवान्वित महसूस करने लगता है। करे भी क्यों नहीं, कृष्ण भक्ति में समर्पित इस महान कवयित्री ने 1504 ईस्वी में पाली जिले के जैतारण तहसील के अंतर्गत कुड़की गांव में रत्नसिंह के घर जन्म लिया था। इस बात में कोई अतिश्योक्ति नहीं कि मीरा बाई की जन्म स्थली का गौरव पाकर यहां की माटी भी पावन हो गई।
बचपन से ही कृष्ण भक्ति में लीन रहने वाली मीरा बाई का विवाह मेवाड़ के महाराणा सांगा के पुत्र कुंवर भोजराज के साथ हुआ था। कुछ समय बाद उनके पति भोजराज का निधन हो गया था। पति के निधन के बाद मीरा बाई और ज्यादा कृष्ण भक्ति में डूब गई। वे साधु-संतों के साथ हरिकीर्तन करने लगी। इधर, राज परिवार को मीरा बाई की साधु-संतों की संगति अच्छी नहीं लगी। राज परिवार ने कई बार विभिन्न तरीकों से मीरा बाई को मारने का प्रयास किया, लेकिन जो भगवान कृष्ण की भक्त हो भला, उसको कोई कैसे मार सकता है। हर बार मीरा बाई की जीत तो हुई, मगर वे रोज-रोज के इस व्यवहार से परेशान होकर मेवाड़ से वृंदावन व वहां से द्वारका चली गईं। द्वारका में ही मंदिर की सीढिय़ों पर मीरा बाईं का प्राणांत हो गया। अपनी कृष्ण भक्ति के कारण वे जहां भी जातीं लोग उन्हें खूब सम्मान देते। यह कहना गलत नहीं होगा कि हिंदी काव्य में मीरा बाई का महत्वपूर्ण योगदान रहा है।
नहीं मिली कुड़की को पहचान
पाली की धरा को मीरा बाई के जन्म का गौरव तो मिला, लेकिन जिले के कुड़की जैसे छोटे से गांव को आज वो पहचान नहीं मिल पाई जहां मीरा बाई ने जन्म लिया। हैरत की बात है कि जिला मुख्यालय पर भी न तो मीरा बाई की प्रतिमा है और नहीं उनके नाम से कोई पार्क या स्थल है। हां, बताया जाता है कि गांधी मूर्ति से भेरुघाट वाले रास्ते को 'मीरा मार्गÓ नाम तो दिया गया, लेकिन वो भी कागजों में। जैतारण उपखंड के इस छोटे से गांव में आज भी वह कृष्ण मंदिर मीरा की भक्ति का साक्षी है, जहां मीरा बाई ने भगवान कृष्ण की भक्ति की थी। यदि कुड़की को प्रशासन की पहल पर मीरा जन्मस्थली के रूप में प्रचारित किया जाए तो जहां पर्यटक इस स्थल की ओर आकर्षित होंगे, वहीं नई पीढ़ी को भी मीरा बाई के जीवन से प्रेरणा मिलेगी। इसके लिए हमारे जनप्रतिनिधियों को भी आगे आना होगा, तभी हमारा यह गौरव भी बना रहेगा। हालांकि मीरा बाई के परिवार से जुड़े पाली सेंट्रल कॉ आपरेटिव बैंक के चेयरमैन पुष्पेंद्रसिंह कुड़की ने हर साल मीरा जन्मोत्सव कुड़की में मनाने के मुद्दे पर कलेक्टर से मांग भी की, लेकिन इस संबंध में अभी तक बात नहीं बनी। उनका यह भी सुझाव था कि पुष्कर से कुड़की को सड़क मार्ग से सीधा जोड़ दिया जाए तो पर्यटक यहां तक आसानी से पहुंच सकते हैं। वैसे पर्यटन विभाग व प्रशासन योजनाबद्ध तरीके से इस गांव का विकास करे तो पर्यटकों को भी यहां तक पहुंचने में आसानी होगी तथा मेड़ता को जिस तरह मीरा नगरी के रूप में पहचान मिली, उसी तरह कुड़की को भी एक ख्याति मिल सकेगी।-