सीरवी समाज - मुख्य समाचार
Posted By : Posted By Mangal Senacha on 21 Feb 2010, 18:22:29
बिलाड़ा,ग्रामीण क्षेत्र की महिलाएं चूल्हे-चोके के ठपे से बाहर निकलकर व्यवसाय में भी भाग्य आजमा रही है। बिलाड़ा व आसपास के कई गांवों में महिलाओं ने दुग्ध उत्पादन व्यवसाय में पुरुषों का वर्चस्व तोड़ा है। क्षेत्र में जोधपुर डेयरी से जुड़ी १५ दुग्ध उत्पादक समितियों में से चार समितियों की अध्यक्ष पद पर महिलाएं काबिज है। वे ६०० सदस्यों के साथ सालाना हजारों रुपए का लाभांश कमा रही है। इससे डेयरी के विकास में भी बराबर का योगदान मिल रहा है। ऐसे में यह बात अब पुरानी हो गई कि दुग्ध व्यवसाय सिर्फ बड़ी समितियां ही कर सकती है।
महिलाओं ने भी डेयरी संचालन का काम अपने हाथ में ले लिया है। वे दुग्ध एकत्र करने से लेकर अवशीतन केंद्र तक भेजने, सदस्यों में चुकारा आदि करने तथा वार्षिक आम सभा में महिला अध्यक्ष ही वार्षिक प्रतिवेदन प्रस्तुत कर लाभ-हानि की जानकारी दे रही है। आगामी वर्ष बजट तैयार कर सदस्यों से पारित करवाती हैं। क्षेत्र में चार महिला दुग्ध उत्पादक समितियां संचालित हो रही हैं, जिनमें बड़ी खुर्द की रोहिताश्व डेयरी की अध्यक्ष सुगनादेवी सीरवी खारिया-मीठापुर की भेरुसल डेयरी की अध्यक्ष कमलादेवी तथा जेलवा गांव की अन्नपूर्णा डेयरी की अध्यक्ष सूखड़ीदेवी हैं।
आत्मनिर्भरता की मिसाल
अकाल हो या सुकाल क्षेत्र के दुग्ध उत्पादक समितियां पशुपालकों के लिए रोजगार का जरिया बन रही है। इसमें डेयरी प्रबंधन की ओर से भी पूरी मदद की जाती है। अकाल में अनुदान का सूखा चारा, अनुदान पर ही पशु आहार तथा उनके अध्ययनरत बच्चों को छात्रवृत्ति दी जाती है। क्षेत्र की दुग्ध उत्पादक समितियां न केवल करोड़ों का कारोबार करती हैं, बल्कि अच्छा मुनाफा भी कमाती हैं, जिसे अपने सदस्यों में बोनस एवं लाभांश के रूप में बांटती हैं। यहां के अवशीतन केंद्र पर क्षेत्र की 15 छोटी-बड़ी डेयरियों से 20 हजार लीटर से अधिक दूध आता है तथा 10 हजार लीटर दूध समिति केंद्र पर ही खुदरा बिक जाता है। खुदरा दुग्ध की बिक्री से होने वाली आय में से समिति अपने सदस्यों में लाभांश बांटती है। विभिन्न योजनाओं के अंतर्गत सदस्यों को बीमित भी कराया जाता है। बीमारी या दुर्घटना पर ईलाज में होने वाला खर्च भी दिलवाती है।
रोजाना २० हजार लीटर दूध का संकलन, सालाना करोड़ों का कारोबार, लाखों का लाभांश
पांच हजार सदस्य
बिलाड़ा एवं आसपास के गांवों सहित 15 डेयरियां जोधपुर के वरमूल संघ से जुड़ी हुई हैं, जिसमें से बिलाड़ा डेयरी के दो हजार पांच सदस्य, हर्ष में 56, उचियारडा में 513, बरना 40, बड़ी (महिला) में 87, पिचियाक में 352, खारिया-मीठापुर में 363, भैरुसर (महिला) 185, आईमाता 65, उदलीयावास में 259, सीरवियों की ढाणी (महिला) जेलवा (महिला) में 21, भावी में 273 जाटावास में 20 तथा बाला गांव की डेयरी में 213 सदस्य हैं। इस तरह कुल 4 हजार 474 सदस्य हैं।
यहां अवशीतन केंद्र पर ग्रामीण इलाके की दुग्ध उत्पादक समितियों से रोजाना 20 हजार लीटर दुग्ध आता है जिसे हम वरमूल संघ जोधपुर के माध्यम से आदेशानुसार आगे सप्लाई करते हैं। महिलाओं का भी इसमें काफी योगदान है।
मांगीलाल बर्फा
प्रभारी अवशीतन केंद्र बिलाड़ा
महिला सदस्य काफी है। इससे न केवल उनको रोजगार मिल रहा है बल्कि अब तो समितियों के अध्यक्ष भी महिलाएं हैं। यह अच्छी बात है कि पशुपालन के प्रति रुझान बढ़ रहा है। इससे गो सेवा तो हो ही रही है साथ ही आमदनी भी होती है। जोधपुर डेयरी का प्रयास रहता है कि पशुपालकों को और प्रोत्साहित किया जाए। सरकार की कई योजनाएं हैं जिनका लाभ पशुपालकों को दिया जा रहा है। समय-समय पर दुग्ध की दरें भी बढ़ाई जाती है।
रामलाल विश्नोई, अध्यक्ष वरमूल संघ, जोधपुर