सीरवी समाज - मुख्य समाचार
Posted By : Posted By Mangal Senacha on 17 Feb 2010, 09:46:10
हजारों श्रद्धालुओं ने लिया महाप्रसाद
सिर्वी समाज द्वारा आयोजित समारोह की पूर्णाहुति पर नगर चौरासी का आयोजन
दलपुरा स्थित सिर्वी समाज के आई माता मंदिर में बुधवार को शुभ मुहूर्त में जयकारों की गूँज एवं विधिविधान के साथ प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा की गई। आई पंथ के धर्मगुरु दीवान माधोसिंह राठौर बिलाड़ा द्वारा प्रतिष्ठा कार्यक्रम संपन्ना हुआ। प्रतिष्ठा समारोह के पश्चात नगर चौरासी (भंडारा) के आयोजन में हजारों की संख्या में धर्मप्रेमियों ने भाग लेकर महाप्रसादी का लाभ लिया।
प्रातः भग्गाजी जमादारी के घर से दीवान साहब का बंधावा का चल समारोह प्रारंभ हुआ। इसमें बड़ी संख्या में समाजजनों ने भाग लिया। श्रद्घालु सिर पर आईजी माताजी की पाट गादी लेकर चल रहे थे। चल समारोह के आगे युवक-युवतियाँ, महिलाएँ एवं पुरुष नृत्य करते हुए चल रहे थे।
लाभार्थी समाजजन : माताजी की प्रतिमा स्थापना के लाभार्थी कालूजी पुराजी चोयल के परिजनों ने विधिविधान से प्रतिमा की प्रतिष्ठा की। गणेशजी की प्रतिमा के लाभार्थी माँगूबाई लुणाजी सोलंकी एवं भेरुजी की प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा के लाभार्थी पेमीबाई मोड़ाजी परवार आदि ने बोली का लाभ लिया। दलपुरा क्षेत्र स्थित विशाल प्रांगण में नगर में १६वीं बार नगर चौरासी का आयोजन हुआ। इसमें सभी धर्म एवं जाति वर्ग के लोगों ने भाग लिया। इस आयोजन का लाभ नगर के वरदीबाई लालाजी सेंचा परिजनों ने लिया।
अभिनंदन किया : दोपहर में मंदिर परिसर में आयोजित कार्यक्रम में दीवान साह का समाजजनों द्वारा अभिनंदन किया गया। वहीं ट्रस्ट द्वारा महोत्सव के लाभार्थियों का भी बहुमान किया गया। आयोजन में विधायक प्रताप ग्रेवाल ने भी भाग लिया। इस अवसर श्री गे्रवाल ने बधाई देते हुए मंदिर ट्रस्ट को ११ हजार रु. देने की घोषणा की।
कलश स्थापना : समारोह के समापन अवसर पर क्षत्रिय सिर्वी समाजजनों ने मंदिर में प्रतिमा सहित विभिन्ना चढ़ावों में भाग लिया। बुधवार को प्रतिष्ठा के दिन मंदिर शिखर पर नारायण नंदाजी सोलंकी ने कलश स्थापना की। इसके पश्चात ध्वजा स्थापित करने के लाभार्थी रूपाजी ओटाजी सोलंकी ने परिजनों के साथ शिखर पर ध्वजा फहराई। मंदिर में नियमित अखंड ज्योत प्रज्वलित करने का लाभ महिला मंडल दलपुरा द्वारा लिया गया। मंदिर के प्रथम पट खोलने का लाभ भग्गाजी श्यामाजी चौधरी (मोलवा) ने लिया। सभी देवी-देवताओं की आरती उतारने की बोली भी लगाई गई। -निप्र