सीरवी समाज - मुख्य समाचार

Posted By : Posted By Mangal Senacha on 13 Feb 2010, 14:44:46

पाली। पिछले साल जिले में अच्छा पानी बरसा। नदी-नालों में कलकल की ध्वनि के साथ तेज प्रवाह के साथ पानी बहा। जिले में पिछले दो साल से सूखे बांधों में पानी की आवक हुई, लेकिन इनमें से रबी की फसल बोने पर महज 17 बांध ही काम आए। इसके अलावा अन्य बांधों में पानी की आवक कम हुई या पेयजल के लिए आपूर्ति करने योग्य ही हुई। नतीजतन सिंचाई विभाग की ओर से रबी में सिंचाई के लिए पाण नहीं दी जा सकी। सबसे अधिक सिंचित क्षेत्र जवाई बांध का रहा। जवाई में अन्तिम गेज 4487 एमसीएफटी रहा।
इन से दिया सिंचाई का पानी
सिंचाई के लिए पाली ब्लॉक के हेमावास व बाणियावास, रोहट के खाड़ा, सोजत के गजनई, मारवाड़ जंक्शन के सिरियारी, फुलाद व जोगड़ावास प्रथम-द्वितीय, बाली के मीठड़ी, लटाड़ा व फुटिया, देसूरी ब्लॉक के सादड़ी, काणा, केसुली, सेली की नाल, राजपुर व जूना वालारी से सिंचाई के लिए पानी दिया गया। रायपुर ब्लॉक के बांध में पानी की थोड़ी आवक तो हुई, लेकिन वह सिंचाई के लिए पर्याप्त नहीं थी।
इतनी हुई पानी की आवक
जिले के हेमावस में 525 एमसीएफटी, बाणियावास में 179, खारड़ा में 183, गजनई में 140, सिरियारी में 44.86, फुलाद में 130.79, जोगड़ावास प्रथम व द्वितीय में 102, मीठड़ी में 307.82, लटाड़ा में 36.29, फुटिया में 22.51, सादड़ी में 205, काणा में 113.90, केसुली में 42.54, सेली की नाल में 92.04, राजपुर में 81.41 तथा जूना वालारी में 44 एमसीएफटी पानी की आवक हुई।
कई बांध रह गए खाली
कुछ बांधों में पानी आया, लेकिन वह पेयजल के लिए संरक्षित रखा गया। रोहट क्षेत्र में पानी कम आया। हेमावास भी ओवरफ्लो नहीं हुआ। जैतारण क्षेत्र में भी बांध खाली रह गए। इस वजह से सिंचाई के लिए पानी नहीं दिया जा सका।
राजीव चौधरी, अधिशासी अभियंता, जल संसाधन विभाग
साभार - राजस्थान पत्रिका