सीरवी समाज - मुख्य समाचार
Posted By : Posted By Mangal Senacha on 08 Feb 2010, 08:50:17
सोजत,शिशिर के बीतते-बीतते अब बसंत ने दस्तक दे दी है। ऐसे में पूरी प्रकृति जैसे ऋतुराज के आगमन के लिए तैयार है। आदमी, पशु-पक्षी, पेड़-पौधे सभी को इस मधुमास का बेचैनी से इंतजार था। सूर्य की किरणें अब तीखी हो गई हैं, रातें धीमे-धीमे छोटी होने लगी हैं, तो भंवरों (भ्रमरों)ने चक्कर लगाना शुरू कर दिया है। आम्र वृक्ष में बौर निकल रहे हैं। अब जब पूरी प्रकृति ही सज गई हो तो बच्चे भला कहां पीछे रहने वाले हैं। वे भी इस खुशगवार मौसम में चंग लेकर निकल पड़े हैं।
वैसे भी बसंत की शुरुआत बसंत पंचमी से मानी जाती है, जो विद्या एवं संगीत की देवी मां सरस्वती के पूजन का दिन है। मां शारदा के एक हाथ में पुस्तक, तो दूसरे में वीणा सुशोभित है। वैसे विद्वानों के अनुसार अपने देश में सालभर में छह ऋतुएं आती हैं। सबके हिस्से दो-दो महीना आता है। इस दृष्टि से बसंत के जिम्मे चैत एवं बैशाख का महीना आता है। लेकिन बसंत आखिर ऋतुराज ठहरा, सबसे श्रेष्ठ ऋतु। ऐसे में उसके सम्मान में अन्य पांच ऋतुओं ने अपने हिस्से का एक-एक सप्ताह उसे दे दिया। फलस्वरूप बसंत का आगमन माघ शुक्ल पंचमी को ही हो जाता है। अब चाहे कुछ हो लेकिन इसी मधुमास में बसंत पंचमी ही नहीं, होली व महाशिवरात्रि जैसे हिंदुओं के महान त्योहार भी आते हैं।