सीरवी समाज - मुख्य समाचार

Posted By : Posted By Mangal Senacha on 05 Feb 2010, 21:14:04

बिलाड़ा,आईमाता की माही बीज का मेला शनिवार को खारिया-मीठापुर स्थित बडेर में भरा। आईमाता व केशर जोत के दर्शन के लिए विभिन्न प्रदेशों से बड़ी संख्या में श्रद्धालु आए।
शनिवार सुबह आईपंथ के धर्मगुरु दीवान माधोसिंह ने रनिया स्थित रोहिताश्व महाराज के धूणे, जीजीमाता की पाल स्थित मंदिर तथा रोहिताश्व महाराज के जोड़ मंदिर में पूजा-अर्चना कर बडेर में बाबा मंडली के साथ केशर जोत की बाती बदली। इसके बाद गर्भगृह में मुख्य पूजा कर मंदिर के द्वार श्रद्धालुओं के लिए खोले। आईपंथ के धर्मगुरु ने देश भर से आए श्रद्धालुओं को आईमाता के नियम सुनाए व धर्मसभा को संबोधित किया। शनिवार को गांव में शोभायात्रा निकाली गई। भजन मंडली के साथ भक्तिमय माहौल में शोभायात्रा के आकर्षण को लोग निहारते रह गए। सबसे आगे घोड़ों पर घुड़सवार ध्वजाएं लिए चल रहे थे। इसके बाद बैंड की मधुर धुन के बीच आकर्षक झांकियों ने सभी को खूब आकर्षित किया। शोभायात्रा में भामाशाह मानाराम बर्फा, डेयरी अध्यक्ष हरजीराम, तेजाराम सीरवा, मोहन सीरवी, ओमप्रकाश, जीतेंद्र गोस्वामी सहित हजारों की संख्या में ग्रामीण शामिल हुए। सूर्यास्त से पहले गेर दल गाजों-बाजों के साथ सोजती गेट जाकर बैल को बघाकर बडेर लेकर आए। गेर में श्रद्धालु पूरे रास्ते चंग के थापों पर नाचते हुए चल रहे थे।
मेले के अवसर पर मंदिर को आकर्षक रोशनी से सजाया गया। मंदिर के गेट से बाहर तक दुकानें सजीं। श्रद्धालुओं ने जमकर खरीदारी की। महिलाओं में उत्साह देखते ही बन रहा था। सुरक्षा व्यवस्था के लिए सब इंस्पेक्टर अनवर खान, चौकी प्रभारी ज्ञानसिंह इंदा जाब्ते के साथ मौजूद रहे।
धर्म की जड़ सदैव हरी : दीवान
सीरवी समाज के धर्मगुरु दीवान माधोसिंह ने कहा कि धर्म की जड़ें सदैव हरी होती हैं। व्यक्ति को धर्म का रास्ता नहीं छोडऩा चाहिए। धर्म के पथ पर चलने पर ही व्यक्ति उन्नति कर सकता है। वे शनिवार को बिलाड़ा माही बीज पर बडेर में धर्मसभा को संबोधित कर रहे थे। दीवान ने कहा कि व्यक्ति को सदैव अच्छे कार्य करने चाहिए। जीवन सादा होना चाहिए और सदैव सत्य की राह पर चलना चाहिए। उन्होंने कहा कि धर्म ही जीवन का सार है। मनुष्य धर्म की डगर पर चलते हुए संसार रूपी मोह-माया से मोक्ष की ओर अग्रसर हो सकता है। सच्चे अर्थों में धर्म की परिभाषा विचारों की निर्मलता व आचरण की पवित्रता है। बाकी मनुष्य द्वारा किए जाने वाले सारे कार्य सामाजिक निर्वहन है। उसे धर्म की श्रेणी में नहीं लिया जा सकता है। धर्म में तो अहिंसा, तप एवं संयम होता है। कल्याण के लिए मनुष्य इंद्रियों को वश में कर नित्य धर्म की पालना करे। इस अवसर पर देशभर से पधारे श्रद्धालुओं ने आईपंथ के धर्मगुरु से आशीर्वाद लिया। - साभार दैनिक भास्कर