सीरवी समाज - मुख्य समाचार
Posted By : Posted By Mangal Senacha on 30 Jan 2010, 04:20:13
जैतारण । जैन संत रूपमुनि ने कहा कि गायों के निमित खर्च किया गया धन कभी व्यर्थ नहीं जाता है। इससे तो व्यापार में बढ़ोतरी होती है। वे शनिवार को पृथ्वीपुरा गांव में स्थित मरूधर केसरी रूपरजत गोशाला में आयोजित कार्यक्रम को सम्बोधित कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि प्रदेश की 18 हजार गोशालाओं में से 15 हजार गोशालाएं मारवाड़ के दानदाताओं व गौ प्रेमियों के सहयोग से चल रही हैं। गाय में 33 करोड़ देवी-देवताओं का वास होता है, इनसकी सेवा से तो ईश्वर भी प्रसन्न होते हैं। उन्होंने कहा कि बंटे हुए हजारों लोगों की बजाय मुठ्ठी में बधे सैंकड़ों लोगों की ताकत ज्यादा होती है। एकता में शक्ति है।
जब तक हम एक है, तब तक हमारा मूल्य है। सुकन मुनि ने कहा कि ईष्र्या व अहम की भावना के कारण ही समाज का विकास ठप हो जाता है। जब तक ऎसी प्रवृत्तियों का त्याग नहीं किया जाएगा, तब तक देश का विकास नहीं हो सकेगा। अमरेश मुनि ने उपस्थित लोगों से हाथ खड़े करवाकर संकल्प करवाया कि गायों के खेतों में आने पर उन्हें पीटने की बजाय वे गायों को नजदीक की गोशाला को सुपुर्द कर देंगे। इस मौके पर गौतम पगारिया, पी. सी. लोढ़ा, बंशीवन गोस्वामी, दुर्गाराम प्रजापत, हरजीराम बर्फा, समुन्द्रसिंह राठौड़, भागीरथ सिंह गरनिया, महेन्द्रसिंह पृथ्वीपुरा, टीकमसिंह सहित काफी तादाद में लोग उपस्थित थे।
भर गई झोलियां
संत रूपमुनि की प्रेरणा से गायों की लापसी व कृष्ण मन्दिर के पट खुलने की बोली छोटाराम रामाराम सीरवी ने एक लाख 21 हजार रूपए में ली। वहीं मेघराम मूलेवा व बंशीवन गोस्वामी भाइयों ने दो-दो बीघा जमीन गायों के लिए दान की। वहीं मिनटों में गायों के रखरखाव व सार-संभाल के लिए लाखों रूपए की घोषणा दानदाताओं ने की। इस दौरान दानदाताओं का बहुमान किया गया।