सीरवी समाज - मुख्य समाचार
Posted By : Posted By Mangal Senacha on 28 Dec 2010, 12:25:44
पाली। कम पानी में खेती करने वालों की अब बल्ले-बल्ले होगी। कृषि उद्यान विभाग की ओर से कम पानी में फसल पैदा करने के लिए योजना तैयार की जा रही है। इसके तहत 'प्लास्टिंग, मलचिंग विद ड्रिपिंग सिस्टम' के साथ प्लास्टिक शीट लगाकर पानी के वाष्पीकरण को रोका जाएगा, ताकि कम पानी में फसल से बेहतर उत्पादन लिया जा सके। बिसलपुर गांव में विभाग करीब 15 हैक्टेयर में प्रयोग कर रहा है। गुजरात व महाराष्ट्र में इस पद्धति से पैदावार ली जा रही है।
यह है प्रणाली
योजना के तहत क्षेत्र में टमाटर, पपीता, गुलाब, शिमला मिर्च की खेती की जा सकेगी। खेत में एक कतार में पौधे लगाए जाएंगे, जिनकी ड्रिप सिस्टम से सिंचाई की जाएगी। सिस्टम कारगर रहे इसके लिए तय दूरी पर लगे पौधों के नीचे ही पाइपलाइन बिछाकर उन्हें सिस्टम से जोड़ा जाएगा।
इसी क्रम में पौधों की कतार में दोनों ओर आधार (बेस) बनाकर प्लास्टिक शीट लगाई जाएगी। हर पौधे के ऊपर प्लास्टिक शीट में एक छेद किया जाएगा ताकि पौधे के विकास में बाधा उत्पन्न नहीं होगी। इससे मिट्टी व पौधे से वाष्पीकरण कम होगा और कम पानी में ही पैदावार प्राप्त की जा सकेगी। पौधों को सींचने के लिए जरूरी पानी भी दो स्तर पर फिल्टर होगा। इसके लिए सेंड फिल्टर (मिट्टी को छाानने वाला) लगाया है। वर्तमान में बिसलपुर में इस प्रोजेक्ट पर इजराइल की निजी कम्पनी काम कर रही है।
इस प्रणाली के जरिए बिसलपुर में पपीता, शिमला मिर्च, टमाटर व गुलाब की खेती की जा रही है। इसमें डेढ़ हैक्टेयर में टमाटर और शिमला मिर्च, आठ-नौ हैक्टयर में पपीता और एक हैक्टेयर में गुलाब की खेती हो रही है।
"प्रणाली अच्छी है। इसको अभी प्रायोगिक तौर पर जिले में अपनाया जा रहा है। कम पानी वाले क्षेत्रों में यह कारगर साबित होगी। बूंद-बूंद सिंचाई सिस्टम पर विभाग सत्तर प्रतिशत तक अनुदान देता है।"
महेशचंद चेजारा, सहायक निदेशक, उद्यान विभाग ।
साभार - राजस्थान पत्रिका