सीरवी समाज - मुख्य समाचार

Posted By : Posted By Mangal Senacha on 04 Dec 2010, 11:13:41

फलियों से पूर्ण संतुलित चारा बनाएंगे
जोधपुर। मरु पर्यावरण संरक्षण संस्थान (डेको) एवं केन्द्रीय शुष्क अनुसंधान केन्द्र के उत्पाद तथा उत्पादों में मूल्य संवर्धन पर कृषक प्रशिक्षण कार्यक्रम भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद दिल्ली द्वारा एनएआईपी परियोजना के तहत सांचौर के चितलवाना पंचायत समिति के लालपुरा, रामपुरा एवं विभिन्न ग्राम पंचायत में प्रशिक्षण दिया गया। डेको के अध्यक्ष डॉ. श्यामलाल हर्ष ने कृषक प्रशिक्षण शिविर में विलायती बबूल की फलियों से बनने वाले खाद्य पदार्थ जैसे काफी, बिस्कुट, पशु अहार, आइसक्रीम, शहद, पेयपदार्थ की जानकारी देते उत्पादों से मूल्य संवर्धन की जानकारी दी। इस अवसर पर बबूल से तैयार की गई काफी पिलाई एवं बिस्कुट का स्वाद चखाया। डॉ. हर्ष ने किसानों को बताया कि फलियों के बीज को अलग कर उसके पाउडर द्वारा काफी तैयार की जाती है जिसमे कैफीन नहीं होता है जिससे शरीर पर बुरा असर नहीं पड़ता है। इस पाउडर को बीस प्रतिशत बिस्कुट में डालने पर बिस्कुट स्वादिष्ट लगते हंै और फलियों से पशु आहार तैयार किया जा सकता है। जिसे पशुओं को देने से दुध की मात्रा बढ़ती है। इस अवसर पर विलायती बबूल की फलियों के पाउडर से ऐसा उत्पाद तैयार किया गया जो अफीमचियों को अफीम की लत छुड़ाने की क्षमता रखता है। डॉ. हर्ष ने बताया कि बीज गम से तैयार होता है बबूल की फलियों से शहद पेय पदार्थ एवं आइसक्रीम एवं बे्रड तैयार की गई। डॉ. हर्ष ने बताया कि मई माह में करीब साठ हजार रुपए की फलियां कृषकों ने दी इससे उनको रोजगार मिला आने वाले समय में पशुओं के चारे की समस्या दूर हो सकेगी और अफीम से छुटकारा मिलेगा तथा काफी का स्वाद ले पाएंगे साथ ही गांवों में रोजगार के साधन के रूप में लघु उद्योग तैयार हो सकेगा। इस शिविर में चितलवाना पंचायत समिति के उप प्रधान लक्ष्मीचंद गांधी ने कृषकों फलिया इक्टठी करने को कहा साथ ही काजरी एवं डेको को पूर्ण सहयोग देने का आश्वासन दिया। इस अवसर पर पर काजरी के तकनीकी अधिकारी प्रहलाद सिंह वरिष्ठ शोधक योगेन्द्र सिंह ने भी फलियो के पदार्थ प्रोटिन, कार्बोहाइडेÑट , शर्करा आदि के बारे में जानकारी दी।
साभार दैनिक नवज्योति