सीरवी समाज - मुख्य समाचार

Posted By : Posted By Mangal Senacha on 03 Dec 2010, 10:36:31

पाली। मौसम तंत्र में होने वाले बदलाव को देखते हुए मंदिरों में भगवान की 'दिनचर्याÓ भी बदल रही है। शीत ऋतु के कारण वे अब सूती वस्त्रों को त्यागकर वागंबर धारण करने वाले हैं तो उनके भोग के 'मीनूÓ में भी बादाम का हलवा तथा केसर—पिस्तायुक्त दूध शामिल हो जाएगा। खगोलिय घटनाक्रम से दिन बड़े तथा रात को छोटी होने के साथ ही आरती का समय भी बदल गया है। पुरातनकाल से ऋतुकाल में होने वाले बदलाव के साथ ही मंदिरों में भगवान की आरती, भोग तथा पहनावा बदलने की परंपरा है। अभी तक मंदिरों के पट सुबह 5.30 बजे खुलते थे, अब सोमवार से मंदिरों के पट सुबह 6 बजे खुलेंगेे तथा रात 10.30 बजते ही बंद हो जाएंगे। शृंगार भी अब शाम के वक्त किया जाएगा।
धारण करेंगे वागंबर व मृगशाल : सर्दी के मौसम को देखते हुए भगवान की प्रतिमाओं पर अब सूती वस्त्र के बजाय वागंबर यानि गर्म वस्त्र धारण कराए जाएंगे, वहीं शिवलिंग को गर्मी में मात्र बिल्व पत्तों से ही ढका जाता था अब उनको मृगशाल ओढ़ाई जाएगी। साथ ही माताजी का पहनावा भी बदल जाएगा। उनको गर्म वस्त्रों से बने लहंगा व चुंदड़ी ओढ़ाई जाएगी।
बदल जाएगा 'भोगÓ : अभी तक दूध से बने कलाकंद तथा अन्य मिष्ठानों का भोग चखने वाले भगवान का मीनू भी बदल जाएगा। भगवान को सुबह बादाम का हलवा, गूंद के लड्डू तथा गुड़ के सीरे का भोग चढ़ेगा तो शाम को उनको शयन से पहले अभी तक ठंडा दूध का भोग दिया जाता था अब केसर—पिस्तायुक्त दूध का भोग दिया जाएगा। कई मंदिरों में वार के मुताबिक अंजीर, गाजर का हलवा तथा अन्य गर्म खाद्य पदार्थों का भोग लगाया जाएगा।
आधे घंटे पहले होगी आरती
भगवान की आरती के समय में भी बदलाव हो रहा है। अभी तक सुबह आठ बजे आरती होती थी। सोमवार से आरती सुबह सात बजे से शुरू हो जाएगी, वहीं शाम को भी आरती आधा घंटे पहले होगी। शाम की आरती आठ बजे की जाएगी। प्रतिदिनश्रृंगार भी शाम को 5.30 बजे से शुरू होगा।
ञ्च 'जिस तरह से मौसम में बदलाव के साथ मनुष्य की दिनचर्या, खान—पान व पहनावे में बदलाव आता है उसी प्रकार से मंदिरों में भी पुरातनकाल से व्यवस्था बदलती हैं।Ó
- दीपक रावल, पुजारी, सोमनाथ मंदिर, पाली।
साभार दैनिक भास्कर