सीरवी समाज - मुख्य समाचार
	
	
	
	 
	Posted By : Posted By Mangal Senacha on 29 Nov 2010, 11:15:28 
	
	
जोधपुर। स्वाइन फ्लू वायरस एच-1एन-1 के फरवरी में फिर सक्रिय होने की आशंका है लेकिन यह पहले वाले अपने वायरस से सीवियर होगा या माइल्ड कहना मुश्किल है। इस तीसरे फेज में यदि वायरस की प्रकृति सीवियर हुई तो स्वाइन फ्लू का वर्तमान टीका भी उतना असरकारक नहीं रहेगा। यह कहना है मुम्बई के डॉ. विक्रम साराभाई का।
वे यहां डॉ. सम्पूर्णानंद मेडिकल कॉलेज में प्लमोनरी मेडिसिन विषय पर चल रहे पांच दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन "नेप्कॉन:10" के तीसरे दिन रविवार को एच-1एन-1 विषय पर व्याख्यान दे रहे थे। उन्होंने कहा कि पिछले साल स्वाइन फ्लू के प्रथम फेज के समय वायरस बहुत सीवियर था जिससे कई लोग मारे गए, लेकिन दूसरे फेज में जब वायरस अपना रूप बदलकर आया तो थोड़ा माइल्ड (थोड़ा कमजोर) पड़ गया। इस वजह से इस साल जुलाई और अक्टूबर में स्वाइन फ्लू से अधिक मौतें नहीं हुई। फिलहाल पूरे देश में सर्दी शुरू हो गई और यह वायरस 25 से 27 डिग्री सेल्सियस के आस-पास तापमान रहने पर ही जीवित रह सकता है। फरवरी तक ऎसा ही मौसम चलने के बाद इस माह के अंतिम सप्ताह तक वायरस फिर से सक्रिय हो सकता है। 
भारी पड़ा कल्चर का टूटना
डॉ. साराभाई ने बताया कि पिछले साल उत्तरी अमरीका क्षेत्र में एक प्रयोगशाला में सूअर के वायरस पर काम चल रहा था। प्रयोगशाला की टे्र (कल्चर मीडिया) अचानक टूट गई और वहां मौजूद करीब सौ से डेढ़ सौ कर्मचारी संक्रमित हो गए, लेकिन इसका किसी को पता नहीं चला और वे प्रयोगशाला से बाहर भी निकल आए। इसी के बाद यह वायरस एच-1एन-1 पूरे वातावरण में फैल गया। उन कर्मचारियों को वहीं पर आइसोलेशन में रखा जाता तो शायद यह बीमारी नहीं फैलती। 
साभार दैनिक भास्कर