सीरवी समाज - मुख्य समाचार
Posted By : Posted By Mangal Senacha on 28 Nov 2010, 10:40:59
जोधपुर। नींद में खर्राटे लेना आम समस्या है, लेकिन इनकी वजह से ह्वदय और मस्तिष्क को लगातार कम ऑक्सीजन मिलते रहने से कई दफा रोगी की जान को भी खतरा पैदा हो सकता है। ऑब्सट्रेक्टिव स्लीप एपनिया (ओएसए) नामक यह बीमारी बदलती जीवन शैली से बढ़ते मोटापे की वजह से बढ़ रही है। अभी 3-4 फीसदी लोग नींद में खर्राटे लेते हैं। इसमें पुरूषों की संख्या अधिक है।
डॉ. सम्पूर्णानंद मेडिकल कॉलेज के वक्ष एवं क्षय रोग विभाग के तत्वावधान में चल रहे श्वास रोग विशेषज्ञों के पांच दिवसीय 12 वें राष्ट्रीय सम्मेलन 'नेप्कॉन-10' के दूसरे दिन शनिवार को नींद सम्बन्धी बीमारियों पर आयोजित कार्यशाला में यह बात सामने आई। डॉ. जेसी सूरी, डॉ. विक्रम साराभाई, डॉ. डीजे रॉय, डॉ. एजी घोषाल और डॉ. एमके सैन ने कार्यशाला में बताया कि निद्रा सम्बन्धी कई बीमारियां है। इसमें ओएसए के अलावा इनसोमिया, हाइपरसोमिया व परसोमिया प्रमुख है। ओएसए में मरीज की श्वसन नली सिकुड़ जाती है और वह फेफड़ों में हवा कम जाने से गले से खर्राटे की आवाज आती रहती है। ऎसे में व्यक्ति की 'क्वालिटी ऑफ स्लीपिंग' प्रभावित होती और वह सोने के बावजूद सोया हुआ महसूस नहीं करता। ऎसे रोगी की ईईजी और पॉलीसोमेनोग्राफी से जांच कर इलाज किया जाता है।
मरीज की थोरेकोस्कोपी महात्मा गांधी अस्पताल में थोरेकोस्कॉपी कार्यशाला में टीबी अस्पताल के मरीज गनी खां के फेफड़ों में भरा पानी निकाला गया। फेफड़ों की दोनों झिल्लियों के मध्य पानी भर जाने से उसकी बाइएप्सी की गई और पानी की जांच कर उसकी बीमारी का पता लगाया गया। वर्तमान में टीबी अस्पताल में फेफड़ों में भरा पानी बड़ी सीरिंज की मदद से निकाला जाता है, लेकिन बार-बार सीरिंज के उपयोग से कैंसर का खतरा रहता है। निजी कम्पनी की ओर से थोरेकोस्कॉपी की एक डमी भी मंगवाई गई, जिस पर रेजिडेंट डॉक्टरों ने थोरेकोस्कॉपी का प्रशिक्षण लिया। ऑपरेशन थियेटर व कार्यशाला में डॉ. राजीव गोयल, डॉ. सुरेश राठी, डॉ. संतोषम् और डॉ. नासिर युसूफ ने सहयोग किया। एमजीएच के आरआरसी ब्लॉक में 'मैकेनिकल वेंटिलेशन' पर कार्यशाला हुई।
साभार- राजस्थान पत्रिका