सीरवी समाज - मुख्य समाचार
	
	
	
	 
	Posted By : Posted By Mangal Senacha on 28 Nov 2010, 10:40:16 
	
	
पाली। सर्दी बढ़ने के साथ फीणी की मांग बढ़ गई है। लोग सुबह के नाश्ते में दूध-फीणी और दूध-जलेबी का लुत्फ उठाने लगे हैं। शादी समारोह में भी बारातियों को नाश्ते में दूध-फीणी परोसी जाने लगी है। मारवाड़ की फीणी का लुत्फ शहरवासियों के साथ ही अन्य राज्यों के लोग भी उठाने लगे हैं। विक्रेताओं व निर्माताओं की मानें तो इस वक्त शादी का सीजन होने से बाहर से आने वाले बाराती लौटते समय फीणी जरूर साथ ले जा रहे हैं। कई लोग दक्षिण भारत में रहने वाले परिजनों व मित्रों को फीणी भेज रहे हैं।
कम चाहिए तापमान
फीणी मैदा, शक्कर व घी से तैयार की जाती है। इसके लिए घी जमा हुआ बेहतर होता है। निर्माता भंवरलाल ने बताया कि फीणी बनाने के लिए 15-16 डिग्री सेल्सियस तापमान उपयुक्त रहता है। इससे अधिक तापमान होने पर बर्फ का उपयोग करना पड़ता है। तापमान कम होने पर कमरे में या त्रिपाल आदि बांधकर फीणी तैयार करनी पड़ती है। ऎसा नहीं करने पर तार नहीं बन पाता।
साउथ में नहीं बनती फीणी
साउथ में तापमान अघिक होने से वहां फीणी नहीं बनती। महाराष्ट्र, गुजरात, कर्नाटक व तमिलनाडु में रहने वाले मारवाड़ी यहां से फीणी ले जाते हैं। फीणी बनाने में कारीगर को कम से कम तीन चार वर्ष का अनुभव होना जरूरी है। ऎसा नहीं होने पर स्वाद बिगड़ जाता है।
इन्होंने कहा
सर्दी पड़ने से फीणी की मांग में बढ़ोतरी हुई है। फीणी बनाने के लिए सर्द मौसम जरूरी है। इसलिए यह रात में ही तैयार करनी पड़ती है। रोहित पुरी, मिठाई विक्रेता
साभार- राजस्थान पत्रिका