सीरवी समाज - मुख्य समाचार

Posted By : Posted By Mangal Senacha on 27 Nov 2010, 10:39:05

जोधपुर। कोहरे के कारण होने वाली रेल दुर्घटनाओं को रोकने और रेल संचालन को अधिक सुगम बनाने के लिए रेलवे ने फोग सेफ डिवाइस को हरी झण्डी तो दे दी, लेकिन इस उपकरण के आने से पहले कोहरा आ गया है। उत्तर-पश्चिम रेलवे जोन में अभी इसको लेकर टेण्डर की प्रक्रिया चल रही है। इस उपकरण के मिलने के बाद टे्रन पायलट को ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम (जीपीएस) की मदद से आगे की राह दिखती रहेगी।
यह है दिक्कत
कोहरे के कारण टे्रन पायलट को कई दफा सिग्नल और पटरी की सही स्थिति नजर नहीं आती। ऎसे में सिग्नल टूटने के साथ मानव रहित क्रॉसिंग पर दुर्घटनाओं का खतरा बना रहता है। इसे रोकने को रेलवे वर्तमान में बरसों पुरानी तकनीक का इस्तेमाल कर पटरियों पर स्टॉप सिग्नल से पहले डेटोनेटर (पटाखे) लगाकर काम चला रहा है। इंजन का पहला पहिया इसके ऊपर से निकलते ही हल्के धमाके की आवाज होती है। इससे चालक को पता लग जाता है कि आगे स्टॉप सिग्नल है और वह धीमी रफ्तार से ट्रेन को आगे बढ़ता है।
नई तकनीक से राह आसान
रेलवे ने देशभर में जीपीएस आधारित इस उपकरण को उपयोगी माना है। यह उपकरण टे्रन पायलट (चालक) को टे्रन रवाना होते समय दिया जाएगा। इसकी स्क्रीन पर पायलट को आगे के स्टेशन, उनके सिग्नल और क्रॉसिंग की जानकारी मिलती जाएगी, जो पहले से उसमें फीड की हुई होगी। कोहरे के कारण सिग्नल, क्रॉसिंग आदि नहीं दिखने पर चालक टे्रन को धीमी रफ्तार से बढ़ाएगा। सुरक्षित रेल संचालन के लिए जिन बिंदुओं का ध्यान रखा जाता है, उनकी स्पष्टता नहीं होने पर चालक को सावधानी बरतने में सुविधा होगी। एक उपकरण की लागत करीब 36 हजार रूपए है।
जल्द मिलेंगे उपकरण
जोन में फिलहाल जयपुर व बीकानेर मण्डल में ये उपकरण पायलट प्रोजेक्ट के रूप में काम में लिए जा रहे हैं। इनके लिए टेण्डर हो गए हैं। संभवत: दिसम्बर में ये उपकरण मिलने लगेंगे और इनका उपयोग शुरू हो जाएगा।
-ललित बोहरा, मुख्य जनसम्पर्क अधिकारी, रेलवे
साभार- राजस्थान पत्रिका