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जोधपुर. प्रदेश के सभी विश्वविद्यालयों को राज्य सरकार की ओर से दी जाने वाली ग्रांट इसी शैक्षणिक सत्र से बढ़ जाएगी।
राज्य सरकार ने एक पत्र जारी कर इसकी स्वीकृति जारी कर दी है। राज्य के विश्वविद्यालयों को आर्थिक रूप से सुदृढ़ करने के लिए तत्कालीन राज्यपाल प्रभा राव की ओर से कुलपति कोर कमेटी का गठन किया गया था। इसमें राजस्थान विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. ए के सावंत को समन्वयक बनाया गया था। हाल ही कोर कमेटी की ओर से राज्यपाल को रिपोर्ट सौंपी गई।
राज्यपाल की ओर से इस कमेटी की रिपोर्ट को स्वीकार कर लिया गया है तथा आगामी बजट फाइनलाइजिंग कमेटी की बैठक के बाद प्रदेश के विश्वविद्यालयों की ग्रांट नए सिरे से तय होगी। नई ग्रांट के लिए कई शुल्कों में से विश्वविद्यालय से भी वसूली की जाएगी तथा वसूली के बाद राशि सभी विवि में बांट दी जाएगी।
60 से 80 करोड़ हो सकती है ग्रांट: जयपुर में 23 नवंबर को होने वाली बीएफसी की बैठक में नई ग्रांट तय हो सकती हैं। विवि को वर्तमान में करीब 30 करोड़ की सालाना ग्रांट दी जाती है। यह ग्रांट बढ़ कर 60 करोड़ से 80 करोड़ रुपए सालाना तक हो सकती है।
किस मद से होगी कितनी वसूली: बजट की व्यवस्था करने के लिए राज्य सरकार विभिन्न विवि से विभिन्न मदों के तहत वसूली करेगी। इसमें स्ववित्त पोषित कोर्स में से होने वाली आय का 25 प्रतिशत, परीक्षा शुल्क का वर्ष 2010 में 50 व आगामी वर्षो में 35 प्रतिशत, इनवेस्टमेंट के ब्याज का 75 प्रतिशत, संबद्धता शुल्क का 50 प्रतिशत, विकास शुल्क का 25 प्रतिशत व विवि द्वारा लगाए जाने वाले दंड का 50 प्रतिशत हिस्सा राज्य सरकार वसूल करेगी।
7 विवि का ग्रांट नए सिरे से: उच्च शिक्षा विभाग के प्रमुख शासन सचिव तपेश पंवार ने पत्र देकर बताया है कि कमेटी की सिफारिशें मान ली गई हैं। प्रदेश के 7 विवि की ग्रांट नए सिरे से तय होगी। - प्रो. नवीन माथुर, कुलपति जेएनवीयू
साभार - दैनिक भास्कर
(uploaded by Mangal Senacha,Bangalore, on 21 Nov. 2010 at 10.54AM )