सीरवी समाज - मुख्य समाचार
	
	
	
	 
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जैतारण। जैतारण तहसील क्षेत्र के ग्रामीणांचलों में लचर चिकित्सा व्यवस्थाओं के चलते ग्रामीणों को भारी परेशानी उठानी पड़ रही है। उचित चिकित्सा के अभाव में ग्रामीण इलाज के लिए झोलाछाप व नीम हकीमों के पास जाना पड़ता है, जहां वे लोग इलाज के नाम पर मरीजों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ करते हैं बल्कि अच्छी खासी चांदी बटोर लेते हैं। उल्लेखनीय है कि राज्य सरकार द्वारा ग्रामीणांचलों में चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवाओं के नाम पर लाखों रुपए खर्च किए जाते हैं, लेकिन कटु सत्य तो यह है कि गांवों में चिकित्सा व्यवस्था के नाम पर मात्र उप स्वास्थ्य केन्द्र है, जहां प्राथमिक उपचार भी लोगों को समय पर नसीब नहीं हो पाता है। कई गांवों में तो उप स्वास्थ्य केन्द्रों पर कार्यरत एएनएम केन्द्र पर रहना भी पसंद नही करते हैं। ऐसे मे लोगों को इलाज के लिए नीम हकीमो के पास मजबूरी मेें जाना पड़ता है। मजेदार बात तो यह है कि कई गांवों मे तो सरकारी दवाखानों से भी अधिक मरीजो की भीड़ इन नीम हकीमों के पास रहती है। ग्रामीण अंचलों में चिकित्सा व्यवस्था पर ध्यान नही देने से इन केन्द्रों पर दवाइयों का भी टोटा रहता है। जैतारण क्षेत्र मे लचर चिकित्सा सेवाओं का आलम यह है कि ग्रामीणांचलों मे चिकित्सक रहना भी पसंद नही करते हैं तो एएनएम तो सरकारी कार्यों की व्यस्तता के चलते हमेशा ही कागजों मे उलझी नजर आती हैं। बहरहाल, जैतारण तहसील क्षेत्र मे चिकित्सा व्यवस्थाओं का बुरा हाल है। 
साभार, दैनिक नवज्योति
uploaded by Mangal Senacha,Bangalore, on 16 Nov. 2010 at 10.30AM )