सीरवी समाज - मुख्य समाचार

Posted By : साभार - दैनिक भास्कर - जोधपुर


निंबली मांडा के मर्डर के बाद वहां के नेताजी की राजनीति ने पुलिस अधिकारियों को पसीने-पसीने कर दिया था। जैसे-तैसे नेताजी माने तो पूछताछ में कुछ लोगों को बुलाने को लेकर समाज ने कलेक्ट्रेट पर तंबू गाड दिया और उनकी कार्यशैली पर ही सवाल खड़े किए जाने लगे। मुखियाजी ने जो जांच के एंगल बताए, वह एकदम फिट बैठे। चार दिन की कड़ी पूछताछ के बाद आरोपी वो ही निकले, जिनको निर्दोष बताया जा रहा था। जब राज खुला और बरामदगी ही शेष थी तो समाज का प्रतिनिधि मंडल पुलिस के खिलाफ हाय-हाय के नारे लगाते हुए मुखियाजी के चेंबर में पहुंच गया। कुछ देर तक मुखियाजी लोगों की बात सुनते रहे, मगर जब कार्यशैली पर सवाल उठाए तो उनका पारा भी छलक गया। उन्होंने जब साफ कहा कि जिनको निर्दोष बता रहे हो वे ही अपराधी हैं और अपना जुर्म तक कबूल कर चुके हैं। यह जवाब सुनते ही लोग बाहर आए और दूसरे दिन सुबह तो अपना तंबू उठा लिया।
मनोवैज्ञानिक तरीके से खुला राज
पुलिस के लिए चुनौती बना निंबली मांडा का वृद्धा हत्याकांड को खोलने के लिए नीचे से लेकर ऊपर तक के पुलिस अफसरों को न जाने क्या=क्या पापड़ बेलने पड़े। एक सप्ताह तक कई वरिष्ठ अफसरों का सिरियारी क्षेत्र में ही डेरा रहा। तीन दिन तक तो कोई क्लू नहीं मिलने पर उनकी हालत देखने के लायक थी। आखिर में हल्की सी सुरसुरी ने पुलिस की राह आसान कर ली। कप्तानजी के सुझाए मनो वैज्ञानिक तरीके से अपराध खोलने की तकनीक ने अपराधियों तक पहुंचने का मुकाम हासिल करवा दिया। यह राज खोलने के बाद पुलिस काफी राहत में है। क्योंकि आरोपियों के नहीं पकडऩे पर विधानसभा क्षेत्र में नेताजी के सवालों का सामना करना पड़ सकता था।
(uploaded by Mangal Senacha,Bangalore, on 2 sept. 2010 at 12.05 noon )