सीरवी समाज - मुख्य समाचार
Posted By : साभार- राजस्थान पत्रिका
( बेंगलोर, हैबाल में ) राजस्थान पत्रिका के देवेन्दर सिंह के साथ साक्षात्कार
सीरवी समाज के 19 वें धर्मगुरू दीवान माधवसिंह से पत्रिका की खास बातचीत
राजस्थान के छोटे से कस्बे बिलाड़ा में जन्मे सीरवी समाज के 19 वें धर्मगुरू दीवान माधवसिंह के जन्म तीन वर्ष बाद ही सिर से पिता का साया उठ गया। फिर पांच भाई-बहिनों की जिम्मेदारी का वहन करते हुए दीवान ने जद्दोजहद शुरू की और पिलानी से अभियांत्रिकी में स्नातक करने के बाद 1964 में कोलकाता में बिड़ला की कंपनी में नौकरी शुरू की, लेकिन जिंदगी को इतने करीबी से देखने-महसूस करने वाले दीवान को अपने लोगों व समाज के लिए कुछ करने का जज्बा झकझोरता था और आखिर में 1970 मे उन्होनें नौकरी को अलविदा बोलकर गांव की राह पकड़ ली। तभी से धर्म एंव शिक्षा के जरिए समाजोत्थान में लगे दीवान ने राजस्थान पत्रिका से बांटी अपनी जिंदगी की कहानी।
राजनीति में क्यों और कब आए?
आई पंथ का सीरवी समाज, शिक्षा व आर्थिक रूप से काफी पिछड़ा हुआ था और सामाजिक शौषण उसकी नियति। 1977 में समाज के आग्रह से मैंने कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में पहला आम चुनाव लड़ा और जीता। पच्चीस वर्ष विधायक रहने के दौरान में तीन बार मंत्री भी बना।
सक्रिय राजनीति क्यों छोड़ी?
सच पूछे तो मैं राजनीति में कभी था ही नहीं। रही बात चुनाव लडऩे की तो वह अपने लोगों की इच्छा पर लड़ा था। अब सीरवी समाज की स्थिति पहले की अपेक्षा बेहतर है, इसलिए अब मेरे लिए राजनीति बेमानी है। धर्म के माध्यम से समाज सुधार करना चाहता हूं और कर रहा हूं।
क्या राजनीति समाज सेवा में आड़े आई?
मैंने राजनीति को समाज सेवा का एक माध्यम बनाया था, इसलिए राजनीति मेरे समाज सेवा के कार्य में कभी बाधक नहीं बनी। तीन बार मंत्री बना, लेकिन कभी जनता से दूर नहीं गया। लोगों के लिए बन पड़ा वह किया।
सामाजिक विकास के लिए राजनीति जरूरी है?
समाज के हितों की रक्षा के लिए राजनीति सशक्त हथियार तो है ही। लेकिन पढा-लिखा व समर्पित व्यक्ति ही राजनीति के जरिए समाज का समग्र विकास व हितों की रक्षा कर सकता है।
राजनीति में धर्म व जाति हावी हो रही है?
देश की राजनीति परंपरा में धर्म व जाति की जड़ें शुरू से ही गहरी हैं, इसलिए दोनों को अलग नहीं किया जा सकता है। हां, कुछ वर्षों से जातिगत आधार पर टिकट मांग बढ गई है। राजनीति पार्टियों का स्वार्थ मुख्य कारण है।
वर्तमान में राजनीति का क्या स्तर है?
मतदाता व पार्टी, दोनों काही स्तर गिरा है। पहले मतदाता उम्मीदवार से विकास के अलावा कोई अपेक्षा नहीं रखता था, लेकिन अब मतदाता पहले यह पूछता है कि मेरे लिए क्या कर सकते हो। जन प्रतिनिधयों की बात करें तो 27 फीसदी लोग दुबारा चुनाव जीतते हैं।
राजनीति में रहते हुए समाज के लिए क्या किया?
सीरवी समाज के लोग खेती करते थे, मैनें उन्हे बाहर जाकर व्यापार करने की सलाह दी। 20 वर्ष पहले दक्षिण में जाने की मेरी सलाह का परिणाम आज सामने है। यहां आया हर परिवार संपन्न है। जो पहले नौकरी करते थे आज वे नौकर रखने की हैसियत रखते है।
समाज के लिए कोई संदेश
विकास के लिए सबसे पहले समाज और नारी को शिक्षित कर कुरीतियां व रुढियां हटाएं। अपव्यय से बसें और बचत करें। साथ ही अपनी सभ्यता एंव संस्कृति के निकट रहकर धर्म व आध्यात्म से जुड़े रहे ताकि पाश्चात्य संस्कृति हावी न हो सके।