सीरवी समाज - मुख्य समाचार
	
	
	
	 
	Posted By : साभार -राजस्थान पत्रिका, पाली 
	
	
पाली। जिले की सात नगरपालिकाओं में कांग्रेस ने भाजपा की सीटों पर कब्जा कर लिया। पिछले बोर्ड में कांग्रेस के कब्जे में केवल दो ही सीटें थी, इसमें भी एक सीट पर क्रॉस वोटिंग से कब्जा किया था, बाकी पांच सीटों पर भाजपा ही काबिज थी। शुक्रवार को आए परिणामों ने कांग्रेस की बांछें खिला दी। कांग्रेस ने सात में छह सीटों पर अपना पालिकाध्यक्ष बनाया है।
केवल जैतारण में कांग्रेस को हार का सामना करना पडा। यहां से निर्दलीय प्रत्याशी मदनलाल नाग जीते हैं। पार्षद पद के 140 में से 138 सीटों पर हुए चुनाव में भाजपा का दबदबा बना हुआ है। भाजपा के 64, कांग्रेस के 58 और निर्दलीय 16 प्रत्याशी जीते हैं। दो पालिकाओं में ही स्पष्ट बहुमत आया है। पांच पालिकाओं में उपाध्यक्ष पद की जीत के लिए निर्दलीयों की भूमिका होगी। इसको लेकर देर रात तक पार्षदों की बाडेबंदी होती रही। 
एक मत ने बदला भाग्य
फालना. नगरपालिका के वार्ड संख्या एक में मतगणना में दोनाें ही प्रमुख पार्टियों के उम्मीदवारों को बराबर 289 मत मिले। लेकिन डाक से मिले एक मत ने भाजपा उम्मीदवार मदनसिंह को विजयी बना दिया। इसे संयोग कहेंगे या कुछ और कि नगरपालिका के पिछले चुनाव में भी इसी वार्ड से कांग्रेस 1 वोट से विजयी रही थी।
पार्षद पदों पर भाजपा का दबदबा
पाली। जिले की सात नगर पालिकाओं के चुनाव में पालिकाध्यक्ष पद पर भाजपा को करारी हार का सामना करना पडा, लेकिन पार्षद पद पर कांग्रेस से ज्यादा सीटें जीतकर अपनी लाज रख ली। 
सातों नगर पालिकाओं में पार्षद पद की 140 सीटों में से इस बार 138 पर ही चुनाव हुए। सोजत नगरपालिका की दो सीटों पर किसी भी प्रत्याशी के खडे नहीं होने से चुनाव नहीं हुए। शुक्रवार को हुई मतगणना में सातों पालिकाओं में पार्षद पद की सीटों में भाजपा का दबदबा रहा। कांग्रेस को इस बार 58 पार्षद सीटें मिली, वहीं भाजपा ने 64 सीटों पर कब्जा जमाया। निर्दलीयों ने 16 सीटों पर बाजी मारी। 
पिछले बोर्ड से तुलना
इस बार भाजपा को अध्यक्ष पद से तो हाथ धोना ही पडा। पार्षद सीटों पर भी काफी नुकसान उठाना पडा है। भाजपा ने वर्ष 2005 के चुनाव में पार्षद पद की 140 सीटों में 79 पर कब्जा किया था। इस बार 15 सीटों का नुकसान उठाना पडा है। वहीं कांग्रेस को पिछले बोर्ड में 41 सीटें ही हाथ लगी, जबकि इस बार 58 सीटों पर कब्जा करके 17 सीटों का फायदा उठाया है। पिछले बोर्डो में जहां बीस निर्दलीय थे, वहीं इस बार 16 निर्दलीयों को ही जीत का सेहरा बंधा है। 
 (uploaded by Mangal Senacha,Bangalore, on 21 August 2010 at 11.15 AM )