सीरवी समाज - मुख्य समाचार
	
	
	
	 
	Posted By : साभार - दैनिक भास्कर - जोधपुर 
	
	
जोधपुर. शहर में हुई लगातार बारिश के बाद अब अस्पतालों में आई फ्लू के मरीज आने लगे हैं। एमडीएमएच के नेत्र रोग विभाग और शहर के आई हॉस्पीटल्स में रोजाना आठ से दस आई फ्लू के रोगी आ रहे हैं। होम्योपैथिक चिकित्सकों के पास भी आई फ्लू के मरीज पहुंच रहे हैं।
डॉक्टर्स का कहना है कि बारिश के बाद पनपने वाले कीड़ों के कारण आंखों में संक्रमण फैलता है। इन दिनों एडिनो नामक वायरस की उपस्थिति सामने आई है। इससे आई फ्लू के मरीजों की संख्या बढ़ती जाती है। इससे बचाव का सबसे बेहतर उपाय संक्रमण वाले मरीज के सीधे संपर्क में आने से बचाव है। रोगी के इस्तेमाल किए गए तौलिए, तकिए और रुमाल का उपयोग करने से संक्रमण फैलता है।
आई फ्लू के कई रोगी सामने आ रहे हैं। इसका समय रहते उपचार करना जरूरी है। देरी होने पर कॉर्निया के संक्रमित होने की संभावना रहती है। दवाई नेत्र रोग विशेषज्ञ के परामर्श से लेनी चाहिए। - डॉ. अरुण सिंघवी एएसजी आई हॉस्पीटल
बारिश के बाद नमी से आई फ्लू फैलता है। ओपीडी में लगातार रोगी सामने आ रहे हैं। फ्लू के लक्षण नजर आने पर नेत्र रोग विशेषज्ञ से परामर्श लेना चाहिए। - डॉ. अरविंद चौहान नेत्र रोग विशेषज्ञ, एमडीएमएच
लक्षण
आंखों में चुभन महसूस होना और लगातार आंखों की रंगत में बदलाव होना या लालिमा आना। आईलिड या पूरी आंख में सूजन। आंखों में किरकिरापन लगना। प्रकाश के संपर्क में आने पर देखने में असहज लगना या आंखें खोलने में दिक्कत होना। आंखों में लगातार गाढ़ा पीला पानी आना या सोकर उठने के बाद पलकें चिपक जाना। आंखों में खुजली, जलन या दर्द होने की शिकायत होना, आंखों से पानी निकलना आदि।
सावधानी क्या रखें
यह संक्रामक रोग है, इसलिए ट्रीटमेंट के अलावा भी कई सावधानियां रखने की आवश्यकता होती है, ताकि पीड़ित से दूसरे व्यक्तियों को यह रोग न लग जाए। यह बहुत तेजी से फैल सकता है। सुबह उठते ही आंखों की रंगत में थोड़ा भी बदलाव होने पर या नजर में धुंधलापन महसूस होने पर उसे नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। यह कंजक्टिवाइटिस के शुरुआती लक्षण हो सकते हैं। तुरंत नेत्र विशेषज्ञ से परामर्श लेना चाहिए। कंप्यूटर पर काम न करें। अगर करें तो स्क्रीन से हमेशा 20 से 30 इंच की दूरी रखें।
टेलीविजन देखते समय कम से कम 3.5 मीटर की दूरी होना जरूरी है। बाहर निकलते समय हमेशा अच्छी क्वालिटी का सनग्लास पहनना चाहिए। इससे 90 से 100 फीसदी तक यूवीए और यूवीबी किरणों से बचाव हो सकता है। तकिया, टॉवल और रूमाल हमेशा अलग रखना चाहिए। आंखों को हाथ से कभी न मलें। यदि किन्हीं कारणों से हाथ लगाना भी पड़ता है, तो उससे पहले और बाद में हाथ साबुन से धोएं। आंख हमेशा रुई (कॉटन) से ही साफ करें। कंजक्टिवाइटिस से पीड़ित होने पर कॉन्टेक्ट लैंस का उपयोग करने से परहेज करें।
(uploaded by Mangal Senacha,Bangalore, on 21 August 2010 at 11.14 AM )