सीरवी समाज - मुख्य समाचार

Posted By : साभार- राजस्थान पत्रिका

पाली। माता-पिता पढा-लिखाकर अपने लाडले को बडा आदमी बनाना चाहते थे। बेटा लगन से पढाई कर उनके सपने को साकार करने में जुटा था, लेकिन तकदीर शायद उनके साथ नहीं थी। मजदूरी कर परिवार का पेट पालने वाले पिता ने बिस्तर पकड लिया। परिवार के लिए दो वक्त की रोटी मुश्किल हो गई।
बारहवीं कक्षा वाणिज्य वर्ग की जिला स्तरीय मेरिट में 10वां स्थान प्राप्त करने वाले प्रकाश सीरवी के कंधों पर बस्ते की जगह परिवार का बोझ आ गया है। विद्यालय में दिमाग दौडाने वाला दुर्गा कॉलोनी निवासी यह विद्यार्थी अब फैक्ट्री में फोल्डिंग का कार्य कर परिवार का पेट पाल रहा है।
जमा पूंजी खत्म
मजदूरी से मिलने वाली राशि से एक-एक रूपया जोडकर जमा की गई रकम पिता के उपचार पर खर्च हो चुकी है। अब प्रकाश को रोजना फोल्डिंग करने से मिलने वाले महज 70 रूपए से दवाओं और घर का खर्च चल रहा है। दवाइयों पर अधिक खर्च होने पर कई बार परिवार को कम खाकर दिन गुजारना पडता है।
टूटा दु:ख का पहाड
प्रकाश की मां गट्टूबाई की आंखें पति के 27 अप्रेल को मोटरसाइकिल टक्कर में घायल होने और परिवार के हालात बताते हुए भर आई। रूंधे गले से उसने बताया कि दुर्घटना के बाद से पति बिस्तर पर पडे है। उनकी याददाश्त जा चुकी है। मैं फैक्ट्री में काम करती थी। पति-पत्नी मिलकर जैसे-तैसे घर का खर्च चलाते, लेकिन दुर्घटना के बाद से पति की देखभाल करने के लिए घर पर रहना पडता है। बेटे को पढाने की इच्छा पेट की आग के आगे दम तोड चुकी है।
चार सदस्य मानसिक विक्षिप्त
प्रकाश के परिवार में मां-बाप के अलावा एक विकलांग भाई व छोटी बहिन है। दादा कई वर्षोü से बीमार है। वह बिस्तर से उठ तक नहीं सकते। चाचा, दो बुआ व दादी मानसिक विक्षिप्त हैं। जो कुशालपुरा गांव में रहते है। कृषि भूमि व आय का अन्य साधन नहीं होने से उनके भरण-पोषण का बोझ भी प्रकाश के नन्हें कंधों पर है।
राजीव दवे
आप प्रकाश सीरवी से सम्पर्क कर सकते है 09799707233 (सीरवीसमाज डॉट कॉम टीम)