
*सीरवी समाज के युवा उभरते हुए मंच संचालक कलाकार श्री मोहन काग को हार्दिक बधाई व शुभकामनाएं।*
किसी कवि ने ठीक ही कहा कि
ना संघर्ष,ना तकलीफें...क्या है मजा फिर जीने में।तूफान भी थम जाएगा,जब लक्ष्य रहेगा सीने में।।
बिन बूंदो के बारिश का एहसास कैसे होगा,जूनून हो दिल में जिसके वो हताश कैसे होगा, कार्यक्रम के इस रंग का मिज़ाज़ कैसा है,बिन ताली के हमें यह एहसास कैसे होगा।
बेंगलुरु/झूँठा
संक्षिप्त परिचय/ सरल स्वभाव के धनी,हंसमुख,गौभक्त, धार्मिक,सामाजिक सेवा कार्यों में सदैव अग्रणीय, शिक्षा प्रेमी, होनहार प्रतिभा,मंच संचालक के रूप में उभरते हुए कलाकार *श्री मोहन काग (उम्र 38) सुपुत्र श्रीमती पारी बाई स्वर्गीय श्री भंवरलाल जी सीरवी।मूलनिवासी/बेरा पतालिया, गांव झूँठा,रायपुर,ब्यावर।वर्तमान निवास अङ्कमारनहल्ली,बेंगलुरु, कर्नाटक।*
आपकी शिक्षा पैतृक गांव झूँठा में दसवीं तक पढाई की।शिक्षा के साथ साथ विद्यालय में पांचवी के बाद स्कूल के हर कार्यक्रम में भाषण देने की रुचि खूब रहती और भाषण देना उस वक्त शुरू किया,दसवीं के बाद दक्षिण भारत बेंगलुरु शहर में आकर नोकरी की।बाद में आपका खुद का व्यवसाय इलेक्ट्रिक का कर दिया।कुछ साल व्यवसाय में अच्छी मेहनत के बाद आपने पुनः धार्मिक व सामाजिक कार्यक्रम में जाना शुरू किया व जँहा मौका मिलता वँहा आप मंच को संचालित अच्छे से कर देते।धीरे धीरे आपकी बेंगलुरु शहर में मंच संचालक के रूप में पहिचान बननी शुरू हुई,इसके बाद आपको सामाजिक, धार्मिक जैसे कार्यक्रम में अनेक समुदाय के लोगों ने बुलाना शुरू किया व आपकी लोकप्रियता बढ़ती गई।ज्यादा तर आपने गौमाता के अनेकों कार्यक्रम में अपनी मंच संचालन के रूप में उपस्थिति दर्ज की।साथ ही हर समुदाय के लोगों को गौमाता को बचाने के लिए जागरूक किया, सनातन धर्म, संस्कृति को कैसे बचा सकते,बच्चों को संस्कार हितों की बातों से अवगत करवाया।गौ सेवा,गौमाता की सेवा,रक्षा हमेशा दिल मे रखते व करते गए।आज भी गौमाता की रक्षा के लिए प्रयत्न,प्रयास जारी है।आपकी कलम से यह भी लिखते है कि में *मर जाउ तो छोटी सी पहिचान लिख देना।।किसी कागज के टुकड़े पर मेरा जन्म स्थान लिख देना,कोई पूछे मुझे स्वर्ग में तो ललाट पर सनातन धर्म लिख देना मेरे दोस्तों।।*
*आपने अबतक किए कार्यक्रम बेंगलुरु, चेन्नई, कांचीपुरम,हैदराबाद,मध्यप्रदेश राजगढ़, राजस्थान, दस कार्यक्रम श्री आईमाता जी मंदिर प्राण प्रतिष्ठा के,एक शाम गौमाता के नाम,भागवत कथा, नानी बाई मायरा,जैसे कार्यक्रम में मंच संचालन के रूप में काम किया।*
आपने कहा कि मंच संचालन करने के लिए जोश,उत्साह,जूनून आदि की जरूरत रहती है। जितना मंच संचालन अच्छा होता है,कार्यक्रम में उतना ही ज्यादा रंग और जोश होता है।मंच संचालन अच्छा होने से सामने मौजूद लोगों में जोश आ जाता है।एंकरिंग करते समय यदि कुछ शायरी का प्रयोग किया जाएं तो कार्यक्रम में मौजूद भीड़ कार्यक्रम का पर्याप्त आनंद लेती है।किसी को मंच पर बुलाने के लिए शायरी या एंकरिंग के लिए शायरी का प्रयोग करना दर्शकों को रोके रखने के लिए महत्वपूर्ण है।मंच संचालन को इस बात का भी ध्यान रखना पड़ता है कि कार्यक्रम कोई भी हो,मंच की गरिमा बनी रहनी चाहिए। सबसे पहले मंच संचालन श्रोताओं के सामने आता है। इसलिए उसका परिधान,वेशभूषा आदि सहज और गरिमामय होनी चाहिए। मंच संचालन के अंदर आत्मविश्वास,सतर्कता, सहजता के साथ श्रोताओं का उत्साह बढ़ाने का गुण होना आवश्यक है।।यह हमनें अबतक जँहा भी कार्यक्रम हुए वँहा ध्यान रखें।आपने यह भी कहा कि सामाजिक स्तर पर हम जैसे सिंगर,नृत्य,संचालक कर्ता बहुत से कलाकारों को समाज के हर कार्यक्रम में प्राथमिकता व अवसर प्रदान करना चाहिए ताकि हम हमारा बेहतरीन अभिनय का प्रदर्शन समाज के सामने बता सके कि हम भी अन्य कलाकारों से कम नही बस समाज के लोगों का सहयोग और कार्यक्रम में प्राथमिकता कि आवश्यकता है। पुनः उभरते हुए सितारे मंच संचालक श्री मोहन काग को चेत बंदे पत्रिका परिवार व अखिल भारतीय सीरवी समाज की ओर से हार्दिक बधाई व उज्ज्वल भविष्य की शुभकामनाएं।।प्रस्तुति/दुर्गाराम पंवार।