सीरवी समाज - मुख्य समाचार

युवा वर्ग ही समाज का भविष्य हम हमेशा गर्व करते हैं कि हम ऐसे सीरवी समाज से हैं, जो विश्व के श्रेष्ठतम समाज में से एक हैं।
Posted By : 09 Aug 2024, 07:39:15 गोविन्द सिंह पंवार रोबड़ी

युवा वर्ग ही समाज का भविष्य
हम हमेशा गर्व करते हैं कि हम ऐसे सीरवी समाज से हैं, जो विश्व के श्रेष्ठतम समाज में से एक हैं। हमारे समाज की सफलता की पताका विश्व के कोने-कोने में उद्योग व्यवसाय ही नहीं बल्कि मानवता की सेवा में भी फहर रही हैं । शायद ही ऐसा कोई क्षेत्र हो, जिसमें सीरवी समाज न अपनी उपस्तिथि दर्ज करवाकर अपना उल्लेखनीय योगदान न दिया हो। इस सफलता का कारण हमारे संस्कार व् हमारी समस्त पीढ़ियों की कठोर मेहनत व समपर्ण हैं।
इन सबके बावजूद वर्तमान में हमारी युवा पीढ़ी समाज की मुख्यधारा से दूर जा रही है। इसके पीछे कारण युवा पीढ़ी की कॅरियर के क्षेत्र में व्यस्तता बताई जा रही है। वास्तव में भौतिक उन्नति के लिये कॅरियर पर ध्यान केन्द्रीत करना भी जरुरी ही है। जब तक हम शिक्षा व कॅरियर में अपने आपको आगे नहीं रखेंगे तो हमारा गौरव भी प्रभावित हुए बिना न रहेगा। अतः युवा वर्ग की शिक्षा तथा उनके लिये कॅरियर मार्गदर्शन पर समाज संगठन को तो केन्द्रित होना ही होगा। वर्तमान में प्रशासनिक सेवा तथा राजनीति में समाज की युवा पीढ़ी की उपस्थिति और भी बढ़ाने की आवश्यकता है। यदि हम यह कर पाऐ तो ही अल्पसंख्यक होकर भी अपना अस्तीत्व व सम्मान बचा पाऐंगे।
युवा वर्ग की व्यवस्तता तो सही है, लेकिन उनकी सीरवी संस्कारों से भी दुरी बढ़ना असामान्य है। इसका कारण कहीं न कहीं हमारी पारिवारिक व सामाजिक स्तर की कमी अवश्य है कि हम उन्हें समाज की उपलब्धि, उसकी विकास यात्रा व इस विकास यात्रा के आधार स्तम्भ समाज के आदर्शों से उन्हें ठीक से परिचित नहीं करवा पाऐ। अतः वर्तमान दौर की यह नितांत आवश्यकता है कि हम उन्हें समाज की पूर्ण जानकारी अवश्य दें। जिससे वे भी अपने आपके सीरवी होने पर गर्व कर सकें। जब हम यह करने में सफल होंगे तभी युवाओं की समाज से बढ़ती दुरी व आदि समस्याओं पर लगाम कस पाऐंगे।
युवा वर्ग को यदि समाज से जोड़े रखना है, तो इसके लिये संगठनों में युवावर्ग कि भागीदारी बढ़ानी होगी। समाज में एक बड़ा युवा वर्ग है, जो समाज संगठन को अपनी सक्रिय सेवा देना चाहता है, लेकिन उनकी शिकायत होती है कि उन्हें पर्याप्त अवसर नहीं मिलता। अतः ऐसे वर्ग को प्रोत्साहित करने की आवश्यकता है। इससे उनके साथ सम्पूर्ण युवा वर्ग भी समाज की मुख्य धारा की और अवश्य ही आकृष्ट होगा। इसका दुसरा प्रभाव यह होगा कि समाज संगठन के विभिन्न आयोजकों का स्वरूप भी धीरे-धीरे युवाओं के अनुरूप होता चला जाऐगा। जब तक हम समाज संगठनों में युवा वर्ग की भागीदारी बढ़ाकर उन्हें आकृष्ट नही करेंगे, उन्हें समाज की मुख्य धारा में नही ला सकते। उन्हें वर्तमान दौर में महसूस करवाने की भी आवश्यकता है कि कोई भी उन्नति सही मायने में तभी तक उन्नति कही जा सकती है, जब तक वह संस्कारों में आबद्ध है, अन्यथा उसके कोई मायने नहीं।
मनोहर सीरवी सुपुत्र श्री रतनलाल जी राठौड़, (मैसूरु-जनासनी)
पूर्व सम्पादक - सीरवी समाज सम्पूर्ण भारत डॉट कॉम