सीरवी समाज - मुख्य समाचार

##सोजत तहसील मुख्यालय से 12 किमी दूर गागूड़ा, बीरावास ,संडारड़ा, बिलावास, लुंडावास और रुपावास के मध्य छत्तीस कौम के मात्र 150 घर की बस्ती है - हिंगावास।
Posted By : 28 Sep 2023, 07:55:21गोविन्द सिंह पंवार रोबड़ी
##सोजत तहसील मुख्यालय से 12 किमी दूर गागूड़ा, बीरावास,संडारड़ा, बिलावास, लुंडावास और रुपावास के मध्य छत्तीस कौम के मात्र 150 घर की बस्ती है - हिंगावास। हिंगावास छोटी सी बस्ती है जिसमें सीरवी समाज के अलावा देवासी, घांची, कुम्हार, गुर्जर, वैष्णव, मालवीय लौहार, नायक, मेघवाल, चौकीदार और वादी जाति के लोग बसे हुए हैं। यहां पर सीरवी समाज के मात्र दो गौत्र राठौड़ों के 17और सोलंकियों के 05 घर कुल बाईस घर है। श्री आई माताजी का मंदिर बडेर श्री चारभुजा जी के छत्तीस कौम के मंदिर के साथ बना हुआ है,छोटी बस्ती होने एवं प्रेम भाव से सीरवी समाज द्वारा ही श्री आई माताजी के साथ ठाकुर जी को विराजमान किया गया है। मंदिर बहुत प्राचीन है विक्रम संवत २०१४ में निर्मित और उस समय अर्थात 66 वर्ष पूर्व प्राण प्रतिष्ठा सम्पन्न हुई थी इसलिए अधिक जानकारी नहीं है यहां बड़े बुजुर्गो द्वारा बताए अनुसार भैंसाणा से आये हुए एक महाराज जी द्वारा पाट स्थापना की गई थी, एवं धूमधाम से प्राण प्रतिष्ठा सम्पन्न हुई थी। यहां पर वर्तमान में श्री केवलरामजी जी राठौड़ कोटवाल, श्री पारस जी सोलंकी जमादारी है। पुजारी के रूप में श्री चारभुजा जी तथा श्री आई माताजी की पूजा अर्चना श्री लालदास जी वैष्णव करते हैं। श्री आई माताजी मंदिर बडेर के सामने सीरवी समाज का सभा भवन है जिसका जिर्णोद्धार करवाया गया है, जो शानदार है, बड़ा हाॅल एवं अन्दर कमरा है, एवं पर्याप्त सुविधा युक्त है। यहां से सरकारी नौकरी में एकमात्र सीरवी तुलसाराम जी राठौड़ अध्यापक पद से सेवानिवृत हो चुके हैं अब सरकारी नौकरी में कोई नहीं है। यहां से सीरवी समाज ने राजनीति में बिल्कुल इच्छा नहीं रखी एवं अब तक किसी ने चुनाव में भाग्य नहीं आजमाया। यहां से चेन्नई, बंगलौर और मैसूर में सीरवी समाज के प्रतिष्ठान है और बाईस घर की बाईस दुकान जरुर है। यहां से सर्वप्रथम दक्षिण भारत जाने वालों में नारायण लाल जी सोलंकी चैन्नई, भीकाराम जी राठौड़ कोटवाल मैसूर तथा पारसमल जी राठौड़ ने बंगलौर में भाग्य आजमाया। यहां पर भामाशाह रुप में श्री रामलाल जी, श्री हीरालाल जी, श्री तेजाराम जी पुत्र श्री नारायण लाल जी सोलंकी ने विद्यालय में द्वार निर्माण करवाया, श्री केवलरामजी राठौड़ ने संडारड़ा सड़क मार्ग पर खेतों के लिए टांका निर्माण करवाया। यहां से और भी छोटे मोटे दान में कोई पीछे नहीं है उन सभी अनाम भामाशाहों का बहुत बहुत आभार। श्री किशनाराम जी राठौड़ हिंगावास से चौताला के माने हुए पंच रहे हैं जिनकी न्यायप्रियता आसपास के चौतालों में प्रसिद्ध थी। और ये गांव किशनो बा के गांव के नाम से जाना जाता था। यहां पर श्री आई माताजी के धर्म रथ भैल का भव्य बधावा किया गया, शाम को संध्या आरती में भी सीरवी समाज के अलावा अन्य जातियों के श्रद्धालु उपस्थित रहे। रात्रि में आयोजित धर्म सभा में बारह बजे तक सभी कौम की माताओं बहनों ने मनोयोग से श्री आई माताजी के इतिहास को सुना एवं प्रसन्नता व्यक्त की। ग्राम हिंगावास के सर्वांगीण विकास एवं खुशहाली की मां श्री आईजी से कामना करता हूं-दीपाराम काग गुड़िया।