सीरवी समाज - मुख्य समाचार

Posted By : साभार - दैनिक भास्कर - जोधपुर

देसूरी, किसी जमाने में किसान का साथी रहा अरट आज खेतों से लगभग लुप्त हो गया है। कारण है किसानों ने वैज्ञानिक युग के साथ खेती करने का तरीका ही बदल दिया। वह इस पुराने जमाने के अरट को खेतों में कैसे रख सकते हैं। किसानों ने आधुनिक खेती करने के साथ बेरों पर अरट की जगह इंजन व बिजली की मोटर लगा दी है। यही कारण है की खेतों से लगभग किसान का कभी साथी रहा अरट पूरी तरह से लुप्त हो गया है।
उल्लेखनीय है कि पुराने जमाने में किसानों द्वारा बेरों पर अरट लगाकर बैलों से हजारों बीघा जमीन की सिंचाई कर लाखों रुपए की फसलें ली जाती थी, और उस पर खर्च भी कम ही आता था, अरट बेरों पर चलने के कारण किसान लोग बैलों की ज्यादा हिफाजत करते थे और बचपन से ही उससे अरट चलाने के कार्य से जोड़ दिया जाता था, जिससे बैलों की अच्छी मांग होने के कारण पशुपालकों को अच्छी रकम भी किसानों से मिलती थी। साथ ही अरट बनाने पर अन्य लोगों को भी रोजगार उपलब्ध होता था, जिसमें लकड़ी एवं मिटटी का कार्य करने वाले लोगों की उस समय विशेष मांग हुआ करती थी। दिनभर खेतों में अरट से बेरों पर पानी निकालते थे और इनकी आवाज भी बड़ी मधुर हुआ करती थी।
मगर समय बदला तो किसान भी बदल गए और देखते ही देखते यह किसान अरट को भूलने लगे और इंजन को बेरों पर स्थापित कर दिया। आज किसान लोग महंगे दाम पर डीजल खरीदकर इंजन से पानी निकालकर खेती कर रहे हैं, जिससे कोई फायदा नहीं हो रहा है, जबकि अरट के समय बिना खर्च हजारों की फसल तैयार हो जाती थी। आज ऐसा नहीं है, अरट के साथ बैलों की संख्या में भी भारी कमी आई है। आज का किसान बैलों को पालना पंसद नहीं करता है। आज हालात यह है कि देसूरी क्षेत्र में लगभग अरट पूरी तरह से लुप्त हो गए हैं।
(uploaded by Mangal Senacha,Bangalore, on 4 April 2010 at 9.43 AM )