सीरवी समाज - मुख्य समाचार
	
	
	
	 
	Posted By : साभार - दैनिक भास्कर - जोधपुर 
	
	
बिलाड़ा, क्षेत्र में इन दिनों हरी मैथी(बाकले) की खेती ग्रामीणों के लिए आय का अच्छा साधन बन गई है। प्राचीन मान्यता एवं आयुर्वेद के मुताबिक हरी मैथी की फलियों को स्वास्थ्य के लिए गुणकारी एवं रोगनाशक बताया गया हैं। इसके उपयोग से शरीर में जोड़ों के दर्द, मोटापे,गठिया रोग आदि में राहत मिलती हैं, एवं हरी मैथी की फलियां कई रोगों की निवारक हैं। 
मारवाड़ की प्रसिद्ध इस हरी मैथी की मांग देश-प्रदेश के साथ-साथ विदेशों में भी हैं। व्यापारियों के अनुसार मेथी के भाव विभिन्न जगहों पर अलग-अलग हैं। प्रमुख व्यवसायी देवाराम बताते हैं कि प्रदेश में मेथी 150 से 175 रुपए प्रति किलो के भाव से निर्यात की जाती हैं, वहीं महेंद्र सीरवी ने बताया कि जब मैथी प्रदेश से बाहर निर्यात की जाती हैं, तो इसका दाम 100 से 225 रुपए प्रति किलो हो जाता हैं। मेथी जब प्रवासी मारवाडिय़ों तक पंहुचती हैं, तो इसके भाव 400 से 500 रुपए प्रति किलो हो जाते हैं। क्षेत्र के लाखों हेक्टर में बोई मेथी ग्रामीण औरतो के लिए भी रोजगार का साधन बना हुआ है। ठेकेदार इस मेथी को खेतो से उखड़वाकर गांव के घरों में इसके लट्ठे डाल देते हैं और महिलाएं इन फलियों को तोड़कर इनके दाने निकालती हैं, जिससे इन महिलाओं को रोजगार और साथ ही जानवरों को चारा मिल जाता हैं। अकाल के दिनों में जानवरों को जहां एक ओर चारा मिल रहा हैं, वहीं घरेलू महिलाओं को एक किलो दाने पर एक से दो रुपए मिल जाते हैं, जिससे एक दिन में उनको पचास से सत्तर रुपए की आमदनी हो जाती हैं।
जीरे से अधिक फायदेमंद हैं मेथी 
जीरे की बजाय मैथी की फसल की बुवाई शत प्रतिशत फायदा देती हैं। जीरे की फसल में अंतिम समय तक नुकसान का भय बना रहता हैं, जबकि मेथी की फसल में सिवाय मोयला कीट के कोई डर नहीं हैं। इस कारण क्षेत्र में मैथी की बंपर पैदावार हुई हैं। किसानों ने बताया कि मैथी की खड़ी फसल के हाथों हाथ दाम मिल जाते हैं। इस कारण किसानों का रूझान मैथी की तरफ ज्यादा रहा हैं।
(uploaded by Mangal Senacha,Bangalore, on 23Feb2010 at 9.47PM )